१६५ करोड़ रुपये खर्च करने के लिए कौन जिम्मेदार है?

मुख्यमंत्री को लोगों से माफी मांगनी चाहिए और इस्तीफा देना चाहिए: वी. सुनील कुमार

१६५ करोड़ रुपये खर्च करने के लिए कौन जिम्मेदार है?

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| भाजपा के प्रदेश महासचिव और विधायक वी. सुनील कुमार ने मांग की है कि जाति जनगणना पर १० साल तक बार-बार गलत आंकड़ों के बारे में राज्य की जनता को बताने के लिए मुख्यमंत्री को राज्य की जनता से माफी मांगनी चाहिए और इस्तीफा देना चाहिए|

भाजपा प्रदेश कार्यालय जगन्नाथ भवन में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि आप ही हैं जिन्होंने विफलताओं की एक श्रृंखला देखी है| १६५ करोड़ रुपये का दुरुपयोग भी हुआ है| मुडा घोटाला, वाल्मीकि घोटाला, भगदड़ कांड, आबकारी घोटाला और अब जाति जनगणना - ये सब विफलताओं की एक श्रृंखला है| इसलिए उन्होंने मांग की कि वे तत्काल इस्तीफा दें|

उन्होंने कहा कि राज्य ने पिछला जाति सर्वेक्षण छोड़ दिया है और पूछा कि १६५ करोड़ रुपये खर्च करने के लिए कौन जिम्मेदार है| पिछले सर्वेक्षण पर किए गए खर्च के लिए आप किसे जिम्मेदार ठहराएंगे? उन्होंने पूछा कि नए सर्वेक्षण की लागत के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा| उन्होंने पूछा कि क्या वे राज्य के टैक्स के पैसे को अपनी मर्जी से पानी में जलाने के लिए तैयार हैं| जब डेटा सही नहीं है, तो उन्होंने पिछली रिपोर्ट को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी| उन्होंने कहा कि हाईकमान ने डेटा पर संदेह व्यक्त किया था| उन्होंने सवाल किया कि जब डेटा ही सही नहीं है तो उन्होंने डेटा के आधार पर श्रेणियां कैसे बनाईं| वी. सुनील कुमार ने पूछा कि उन्होंने आरक्षण वर्गीकरण के लिए इसका उपयोग कैसे किया| क्या घर का नक्शा सही न होने पर घर बन सकता है? इन सवालों का जवाब खुद मुख्यमंत्री को देना होगा| जब भाजपा नेताओं से इस बारे में सवाल किया जाता था तो वे बड़े अहंकार के साथ कहते थे, ’मैं जाति जनगणना के लिए प्रतिबद्ध हूं| मैं इसे जरूर करूंगा| अब इसे उलट कर देखें तो कई तरह की शंकाएं सामने आ रही हैं| नए सर्वेक्षण के लिए पैसा जारी करने से पहले उन्होंने मांग की कि पहले बताएं कि इस १६५ करोड़ को खर्च करने के लिए कौन जिम्मेदार है|

उन्होंने कहा कि भाजपा टैक्स के पैसे की बर्बादी के खिलाफ है| उन्होंने विश्लेषण किया कि अगर सिद्धरामैया को पिछड़े वर्गों की जनता की चिंता होती तो वे सत्ता में आने पर सब कुछ कर सकते थे| उन्होंने इसे १० साल तक बड़े पैमाने पर खींचा| २०२४ में जयप्रकाश हेगड़े ने इस बात पर आपत्ति जताई कि रिपोर्ट १४ महीने बाद कैबिनेट की बैठक में लाई गई| वहां आपकी प्रतिबद्धता का पता चला| उन्होंने आलोचना की कि लोगों को बार-बार गुमराह किया गया| क्या पिछले आयोग के अध्यक्ष १६५ करोड़ खर्च करने के लिए जिम्मेदार हैं? केंद्र सरकार ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह जाति जनगणना कराएगी| वी. सुनील कुमार ने पूछा कि क्या राज्य सरकार को भी एक और जाति जनगणना कराने की जरूरत है, जबकि केंद्र जाति जनगणना करा रहा है| राज्य सरकार को केंद्र की जाति जनगणना में सहयोग करना चाहिए|

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उन्होंने मांग की कि आप अपने फायदे के लिए ओबीसी का इस्तेमाल करना और लोगों को गुमराह करना बंद करें| जाति जनगणना कराने के लिए ९० दिन की समयसीमा देना एक और झूठ है| आपने कहा था कि आप एससी (अनुसूचित जाति) आंतरिक आरक्षण के बारे में एक महीने में सर्वेक्षण कराएंगे| आपने उस सर्वेक्षण को ३ बार टाला है| अब आपने ७ करोड़ लोगों के सर्वेक्षण के लिए ३ महीने की समयसीमा दी है| आप किसे बेवकूफ बनाने जा रहे हैं? क्या यह संभव है? मुझे ऐसा लगता है कि आपने सत्ता छोड़ने के लिए ९० दिन की समयसीमा दी है|

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आरसीबी की जीत के जश्न के दौरान भगदड़ में ११ लोगों की मौत हो गई| सिद्धरामैया इस मुद्दे पर हर दिन झूठ बोल रहे हैं और उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि अब जाति जनगणना के मुद्दे पर हाईकमान को कुचला जा रहा है| इस मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष एवं विधायक बैरती बसवराज, सांसद पी.सी. मोहन, विधान परिषद विपक्ष के मुख्य सचेतक एन. रविकुमार, ओबीसी मोर्चा के प्रदेश महासचिव सोमशेखर उपस्थित थे|

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