मजबूत हुई भारत और साइप्रस की दोस्ती
साइप्रस के सर्वोच्च सम्मान से नवाजे गए प्रधानमंत्री मोदी
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साइप्रस भारत के साथ
रक्षा समेत कई जरूरी मसलों पर बनी परस्पर सहमति
भारत से रिश्ते मजबूत कर रहे हैं तुर्की के दुश्मन देश
ग्रीस, आर्मेनिया व मिस्र के साथ प्रगाढ़ हो रही दोस्ती
निकोसिया, 16 जून (एजेंसियां)। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साइप्रस के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया। साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने प्रधानमंत्री मोदी को साइप्रस के सर्वोच्च सम्मान ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस तृतीय से सम्मानित किया। ऑर्डर ऑफ मकारियोस तृतीय साइप्रस की ओर से प्रदान किया जाने वाला नाइटहुड सम्मान है, जिसका नाम साइप्रस के प्रथम राष्ट्रपति आर्कबिशप मकारियोस तृतीय के नाम पर रखा गया था। साइप्रस का सर्वोच्च सम्मान पाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में हमारी सक्रिय भागीदारी नई ऊंचाइयों को छुएगी। हम साथ मिलकर न केवल अपने दोनों देशों की प्रगति को मजबूत करेंगे, बल्कि एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित वैश्विक वातावरण के निर्माण में भी योगदान देंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, राष्ट्रपति जी, ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस तृतीय सम्मान के लिए मैं आपका, साइप्रस सरकार का और साइप्रस के लोगों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। यह सिर्फ नरेंद्र मोदी का ही नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है। यह उनकी क्षमताओं और आकांक्षाओं का सम्मान है। यह हमारी संस्कृति, भाईचारे और वसुधैव कुटुम्बकम की विचारधारा का सम्मान है। मैं इसे भारत और साइप्रस के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों, हमारे साझा मूल्यों और आपसी समझ को समर्पित करता हूं। मैं सभी भारतीयों की ओर से इस सम्मान को बड़ी विनम्रता और कृतज्ञता के साथ स्वीकार करता हूं। यह पुरस्कार शांति, सुरक्षा, संप्रभुता, क्
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साइप्रस के निकोसिया स्थित राष्ट्रपति भवन में भव्यता के साथ आधिकारिक स्वागत किया गया। साइप्रस गणराज्य के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय साइप्रस की आधिकारिक यात्रा पर थे। प्रधानमंत्री मोदी और निकोसिया के राष्ट्रपति क्रिस्टोडौलाइड्स के बीच महत्वपूर्ण मसलों पर बातचीत हुई। यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने, भूमध्यसागरीय क्षेत्र और यूरोपीय संघ के साथ भारत के संबंधों को आगे बढ़ाने में दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता दिखाती है।
साइप्रस के राष्ट्रपति के साथ बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमने पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रहे संघर्षों पर चिंता व्यक्त की। हमारा मानना है कि यह युद्ध का युग नहीं है। प्रधानमंत्री ने सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करने के लिए साइप्रस का आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भारत-साइप्रस-ग्रीस साझेदारी शुरू की गई है। भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा इस क्षेत्र में शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा कि यह दो दशकों से अधिक के अंतराल के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस यात्रा है। यह आपसी संबंधों में एक नया अध्याय लिखने का अवसर है।
साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने कहा कि हमने विभिन्न क्षेत्रों में अपने द्विपक्षीय संबंधों और तालमेल को बढ़ाने पर चर्चा की। हम रक्षा सहयोग, संकट प्रबंधन, पर्यटन, नवाचार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करना चाहते हैं। हम साथ मिलकर काम करने पर सहमत हुए ताकि हम ठोस परिणाम दे सकें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने साइप्रस के निकोसिया में प्रतिनिधिमंडल स्तर पर भी वार्ता की। वार्ता में आतंकवाद का मसला भी खास तौर शामिल था। आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में साइप्रस ने अपना समर्थन दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हम सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में साइप्रस के निरंतर समर्थन के लिए आभारी हैं। आतंकवाद, ड्रग्स और हथियारों की तस्करी को रोकने के लिए हमारी एजेंसियों के बीच वास्तविक समय में सूचना के आदान-प्रदान के लिए एक तंत्र विकसित किया जाएगा। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और साइप्रस दोनों देशों के बीच सहयोग को रणनीतिक दिशा प्रदान करने के लिए एक मजबूत रोडमैप विकसित करेंगे। राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स और मैंने द्विपक्षीय वार्ता की। साइप्रस के विजन 2035 और भारत के विकसित भारत 2047 में समानताएं हैं। इसलिए हम अपने साझा विकास की दिशा में मिलकर काम करेंगे। रक्षा और सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करने के लिए रक्षा उद्योग पर जोर दिया जाएगा। साइबर और समुद्री सुरक्षा पर एक अलग वार्ता शुरू की जाएगी।
पीएम मोदी ने कहा कि साइप्रस भारतीय पर्यटकों के लिए पसंदीदा जगह है। यहां के लिए सीधी हवाई सेवा को शुरू करने पर जोर दिया जाएगा। हम साइप्रस में योग और आयुर्वेद के प्रसार को देखकर उत्साहित हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ इस साल के अंत तक एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं। मैंने राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के साथ हमारे दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों पर चर्चा की। मैंने इस बारे में व्यापारिक समुदाय के भीतर उत्साह और तालमेल की भावना देखी। भारत और यूरोपीय संघ इस साल के अंत तक एक मुक्त व्यापार समझौते को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं।
साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स ने अहमदाबाद विमान हादसे पर दुख जताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी, साइप्रस के लोग हाल ही में हुई घटना के बारे में आपके साथ हैं। हम दुख की इस घड़ी में आपके साथ हैं। आगे उन्होंने कहा, हमारे बीच ऐतिहासिक मित्रता है और हम एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं। हम एकजुट हैं। साइप्रस और भारत के बीच संबंध हमारे साझा ऐतिहासिक अनुभव और मूल्यों पर आधारित हैं। ऐसा इसलिए हो सकता है, क्योंकि हम शांति, संवाद, सहयोग, लोकतंत्र और अंतरराष्ट्रीय नियमों के सम्मान में विश्वास करते हैं। हम समुद्र के कानून में विश्वास करते हैं और निस्संदेह, हम अंतरराष्ट्रीय नियमों को बनाए रखने में विश्वास करते हैं।
क्रिस्टोडौलाइड्स ने कहा, हमें हमारे दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों और भारत-यूरोपीय संघ संबंधों जैसे कई मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिला। हमने क्षेत्रीय स्थिति और आईएमईसी के तहत हमारे सहयोग पर भी चर्चा की। अगर मैं अपने द्विपक्षीय संबंधों की बात करूं, तो हमने इसे अपनी राजनीतिक निकटता और अपने लोगों के बीच अच्छे संबंधों से आगे बढ़ाते हुए कई क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी तक विस्तारित करने पर चर्चा की है। कल हमने एक व्यापार मंच में भाग लिया था, जिसमें कई उद्योगपतियों ने हिस्सा लिया। दोनों देशों के लोगों ने काफी रुचि दिखाई। इस संबंध में घोषणाएं भी की गई हैं। आज, हमने चर्चा की कि हम अपने व्यापार और व्यवसाय संबंधों को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं। हमारे पास एक भू-रणनीतिक स्थान है, जिसके कारण हम यूरोपीय संघ के बाजारों के प्रवेश द्वार के रूप में काम कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साइप्रस दौरे के गहरे निहितार्थ हैं। साइप्रस की यात्रा करके प्रधानमंत्री मोदी ने इस्लामी दुनिया के खलीफा बन रहे तुर्की को कड़ा संदेश दिया है। यह दुश्मन को चारों तरफ से घेरने की तैयारी है। तुर्की ने पाकिस्तान के साथ अपनी सैन्य और कूटनीतिक साझेदारी बढ़ाई तो भारत ने इसका जवाब तुर्की के विरोधी देशों के साथ दोस्ती बढ़ाकर दिया। भारत साइप्रस के अलावा ग्रीस, आर्मेनिया और मिस्र के साथ अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है। ये सभी देश तुर्की के साथ किसी न किसी तरह के विवाद में हैं। भारत इन देशों के साथ न सिर्फ व्यापारिक बल्कि सामरिक संबंध भी मजबूत कर रहा है। ये एक तरह से तुर्की को चारों तरफ से घेरने की रणनीति है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साइप्रस दौरा 20 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का साइप्रस दौरा है। इससे पहले 1983 में इंदिरा गांधी और 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी साइप्रस गए थे। साइप्रस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोरदार स्वागत हुआ। वहां उन्होंने भारतीय मूल के लोगों से भी मुलाकात की। भारत और साइप्रस की दोस्ती पुरानी और गहरी है। साइप्रस ने हमेशा भारत का साथ दिया है। 1998 में भारत के परमाणु परीक्षण के समय, 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए साइप्रस ने खुलकर समर्थन किया। आतंकवाद और कश्मीर जैसे मुद्दों पर साइप्रस ने कभी पाकिस्तान या तुर्की का साथ नहीं दिया। दूसरी तरफ भारत भी साइप्रस की एकता और अखंडता का समर्थन करता है। भारत चाहता है कि साइप्रस का मसला संयुक्त राष्ट्र के नियमों और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत हल हो। पीएम मोदी के साइप्रस दौरे ने इस दोस्ती को और मजबूती दी है। दोनों देशों के बीच व्यापार, संस्कृति और रक्षा सहयोग को लेकर कई महत्वपूर्ण सहमतियां हुई हैं।
साइप्रस और तुर्की का झगड़ा 1974 से चला आ रहा है। उस साल ग्रीस के समर्थन से साइप्रस में तख्तापलट हुआ, जिसका मकसद साइप्रस को ग्रीस के साथ मिलाना था। जवाब में तुर्की ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर हमला कर उसे अपने कब्जे में ले लिया। तब से साइप्रस दो हिस्सों ग्रीक साइप्रियस्ट और तुर्की साइप्रियट्स में बंटा हुआ है। तुर्की ने उत्तरी साइप्रस में अपनी सेना तैनात कर रखी है और वहां की समुद्री सीमाओं पर भी विवाद करता रहता है। साइप्रस के पास समुद्र में प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार हैं, जिन्हें तुर्की अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। तुर्की का कहना है कि साइप्रस जैसे छोटे द्वीप को इतना बड़ा समुद्री क्षेत्र (ईईजेड) नहीं मिलना चाहिए, जबकि अंतरराष्ट्रीय कानून इसके खिलाफ है। तुर्की ने साइप्रस के समुद्री क्षेत्र में अपने जहाज भेजकर गैस खोजने की कोशिश की, जिससे साइप्रस, ग्रीस और यूरोपीय संघ के साथ उसका तनाव बढ़ गया। भारत का साइप्रस के साथ खड़ा होना तुर्की के लिए साफ संदेश है कि भारत उसके खिलाफ उन देशों का समर्थन करेगा, जो तुर्की की आक्रामकता से परेशान हैं।
साइप्रस की भौगोलिक स्थिति इसे बहुत खास बनाती है। यह भूमध्य सागर में तुर्की के दक्षिण में, लेवांत (सीरिया-लेबनान-फिलिस्तीन-इजरा
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन ने कई बार कश्मीर जैसे मुद्दों पर भारत के खिलाफ बयान दिए हैं। वह खुद को इस्लामिक दुनिया का नेता दिखाने की कोशिश करते हैं और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर भारत की आलोचना करते हैं। तुर्की ने पाकिस्तान के साथ अपनी सैन्य और कूटनीतिक साझेदारी भी बढ़ाई है। भारत इसका जवाब तुर्की के विरोधी देशों के साथ दोस्ती बढ़ाकर दे रहा है। साइप्रस के अलावा, भारत ग्रीस, आर्मेनिया और मिस्र के साथ अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है। इन सभी देशों से तुर्की ने अपने संबंध बिगाड़ रखे हैं। मोदी का साइप्रस दौरा तुर्की को साफ-साफ बता रहा है कि भारत उसकी हरकतों का जवाब देना जानता है। साइप्रस यूरोपीय संघ का सदस्य है और भारत का पुराना दोस्त है। इस दौरे से दोनों देशों के बीच व्यापार, संस्कृति और रक्षा सहयोग को नया बढ़ावा मिलेगा। साथ ही साइप्रस आईएमईसी में भारत के लिए एक अहम साझेदार बन सकता है।
साइप्रस दौरे के बाद मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आज ही कनाडा रवाना हो गए। यह भारत के लिए अपनी वैश्विक ताकत दिखाने का एक और मौका होगा। साइप्रस दौरा और जी-7 में हिस्सा लेना दोनों ही भारत की उस रणनीति का हिस्सा हैं, जिसमें वह वैश्विक मंचों पर अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है। तुर्की जैसे देशों को घेरने के साथ-साथ भारत उन देशों के साथ दोस्ती बढ़ा रहा है, जो उसके हितों का समर्थन करते हैं। साइप्रस के साथ भारत का ये रिश्ता न सिर्फ तुर्की को जवाब है, बल्कि भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत का भी प्रतीक है।
दुनिया में भारत का प्रभावशाली तरीके से सामने आना इसी से प्रमाणित होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विश्व के कई देशों के सर्वोच्च सम्मान से लगातार नवाजा जा रहा है। मार्च में मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने पीएम मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार द ग्रांड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार एंड की ऑफ द इंडियन ओशन से सम्मानित किया था। यह सम्मान प्रधानमंत्री मोदी को भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए उनके योगदान के लिए दिया गया था। मोदी इस सम्मान को प्राप्त करने वाले पहले भारतीय हैं। यह 21वां अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार था, जो प्रधानमंत्री मोदी को किसी अन्य देश द्वारा दिया गया है। इसके बाद अप्रैल में श्रीलंका की सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी को श्रीलंका मित्र विभूषण सम्मान से सम्मानित किया था। श्रीलंका की सरकार यह सम्मान उन देशों के राष्ट्राध्यक्षों को देती है, जिनके श्रीलंका के साथ अच्छे संबंध होते हैं।
पिछले साल दिसंबर में कुवैत ने प्रधानमंत्री मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया था। कुवैत के अमीर अमीर शेख मेशाल अल-अहमद अल-जबर अल सबा ने प्रधानमंत्री मोदी को द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर से सम्मानित किया था। नवंबर 2924 में प्रधानमंत्री मोदी को गुयाना और बारबाडोस ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया था। गुयाना ने पीएम मोदी को सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान द ऑर्डर ऑफ एक्सीलेंस से सम्मानित किया था, वहीं बारबाडोस में पीएम मोदी को प्रतिष्ठित ऑनररी ऑर्डर ऑफ फ्रीडम ऑफ बारबाडोस सम्मान दिया गया था। डोमिनिका ने भी उन्हें हाल ही में सर्वोच्च सम्मान दिया था।
क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर उनके नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2014 से अब तक 20 से ज्यादा देशों के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कारों समेत संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। पीएम मोदी को साल 2016 में अफगानिस्तान द्वारा स्टेट ऑर्डर ऑफ गाजी अमीर अमानुल्लाह खान, फरवरी 2018 में फिलिस्तीन द्वारा ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन, अक्टूबर 2018 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा यूएन चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवार्ड दिया गया था। वहीं, अप्रैल 2019 में यूएई द्वारा ऑर्डर ऑफ जायद और अप्रैल 2019 में ही रूस द्वारा ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा पीएम मोदी को जून 2019 में मालदीव से ऑर्डर ऑफ द डिस्टिंग्विश्ड रूल ऑफ इज्जुद्दीन, अगस्त 2019 में बहरीन द्वारा किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां, दिसंबर 2020 में अमेरिका द्वारा लीजन ऑफ मेरिट, दिसंबर 2021 में भूटान द्वारा ऑर्डर ऑफ द ड्रैगन किंग और इस साल मई में फिजी द्वारा ऑर्डर ऑफ फिजी और पापुआ न्यू गिनी द्वारा ऑर्डर ऑफ लोगोहू से सम्मानित किया गया था।
जून 2023 में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने प्रधानमंत्री मोदी को ऑर्डर ऑफ द नाइल पुरस्कार से सम्मानित किया था। यह मिस्र का सर्वोच्च राजकीय सम्मान है। मई 2023 में पापुआ न्यू गिनी द्वारा कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ लोगोहू, मई 2023 में कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी, मई 2023 में पलाऊ गणराज्य द्वारा एबाकल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। जुलाई 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ्रांस ने लीजन ऑफ ऑनर से सम्मानित किया था। यह फ्रांस का सर्वोच्च सम्मान है। पीएम मोदी यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री मोदी को रूस के सर्वोच्च सम्मान ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्र्यू एपोस्टल से सम्मानित किया गया था।
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