कहीं ईरान ने स्ट्रेट ऑफ होरमुज बंद कर दिया तो?

 पूरे विश्व को परेशान कर रही एक और खतरे की आशंका

कहीं ईरान ने स्ट्रेट ऑफ होरमुज बंद कर दिया तो?

पूरी दुनिया में तेल की हो जाएगी भारी किल्लत

तेहरान, 17 जून (एजेंसियां)। इजराइल और ईरान के बीच तेज होते जा रहे संघर्ष के दरम्यान पूरे विश्व को एक और खतरे की आशंका परेशान कर रही है। अगर ईरान ने स्ट्रेट ऑफ होरमुज बंद किया तो पूरी दुनिया में तेल का भारी अकाल पड़ जाएगा। होरमुज जलडमरूमध्य से काफी बड़ी मात्रा में तेल को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जाता है। अगर ईरान इस रास्ते को बंद करता है तो दुनियाभर के कई देशों को इसका नुकसान झेलना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस तेल के आवागमन के लिए अन्य वैकल्पिक रास्ते काफी कम और खर्चीले हैं।

इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच यह अंदेशा जताया जा रहा है कि ईरान स्ट्रेट ऑफ होरमुज (होरमुज जल डमरू मध्य) वाले रास्ते को बंद कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा असर वैश्विक बाजार पर पड़ेगा। होरमुज जल डमरू मध्य दुनियाभर के लिए काफी महत्वपूर्ण रास्ता है। स्ट्रेट ऑफ होरमुज ईरान और ओमान के बीच स्थित है। यह फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। यह इतना गहरा और चौड़ा है कि दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल के टैंकर्स को भी आराम से संभाल सकता है। इसके साथ ही यह दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण तेल चोक-पॉइंट्स में भी शामिल है।

इस रास्ते से काफी बड़ी मात्रा में तेल को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जाता है। अगर ईरान इस रास्ते को बंद करता है तो दुनियाभर के कई देशों को इसका नुकसान झेलना पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस तेल के लिए रास्ते से परे अन्य वैकल्पिक रास्ते काफी कम और काफी लंबे एवं खर्चीले हैं। अगर किसी एक चेक-प्वाइंट से दूसरे तक के बीच कोई भी परेशानी होती है तो सबसे पहले आपूर्ति में देरी होगी। इसके चलते शिपिंग की लागत बढ़ेगी और अंततः वैश्विक स्तर पर तेल और गैस की कीमतों में इजाफा होगा।

इस बात को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी नौसेना का पांचवां बेड़ा बहरीन के मनामा में रहकर जल डमरू मध्य की निगरानी करता है। अगर होरमुज जलडमरूमध्य में किसी भी तरह से रुकावट आती है या इसे अस्थायी रूप से बंद किया जाता हैतो इससे वैश्विक तेल बाजार में झटके लग सकते हैं। अगर आंकड़ों की बात करें तो इस जलडमरूमध्य से 2024 में प्रतिदिन 2 करोड़ बैरल तेल का आवागमन हुआ था। ये आंकड़ा वैश्विक पेट्रोलियम खपत का लगभग 20 प्रतिशत के बराबर था। वहीं 2025 के शुरुआती तीन महीनों में पेट्रोल का कारोबार 2024 की अपेक्षा स्थिर ही रहा। 2024 और 2025 के आंकड़ों में होरमुज से होकर जाने वाले तेल वैश्विक तेल व्यापार का एक चौथाई से अधिक और पेट्रोलियम उत्पाद और तेल के खपत का लगभग 5वां हिस्सा होगा।

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सऊदी अरब होरमुज जलडमरूमध्य से किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक कच्चा तेल और कंडेनसेट का आवागमन करता है। 2024 में सऊदी अरब से कच्चे तेल और कंडेनसेट का निर्यात पूरे कारोबार का 38 प्रतिशत था। अगर ईरान होरमुज जलडमरूमध्य को बंद करने की कार्रवाई करता है तो सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को नुकसान पहुंचेगा। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए सऊदी और यूएई ने इस रास्ते को बाईपास करने का एक बुनियादी ढांचा तैयार कर रखा है। इसके तहत पाइपलाइनें बिछाई गई हैं जो इस रास्ते में आने वाले अड़ंगों को कुछ हद तक कम कर सकता है। हालांकि ये पाइपलाइनें पूरी तरह से संचालित नहीं होतींफिर भी किसी तरह के व्यवधान होने पर सऊदी अरब और यूएई होरमुज जलडमरूमध्य को बाईपास कर प्रतिदिन 260 लाख बैरल प्रतिदिन के आवागमन की क्षमता रखती है।

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होरमुज जलडमरूमध्य में आठ प्रमुख द्वीप हैं। इनमें से सात पर ईरान का नियंत्रण है। अबू मूसाग्रेटर टुंब और लेसर टुंब द्वीपों को लेकर ईरान और संयुक्त अरब अमीरात के बीच विवाद है। ये तीनों द्वीप रणनीतिक रूप से दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं। 1970 के दशक सेईरान ने इन द्वीपों पर अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखी है। इसके अलावाचाबहारबंदर अब्बास और बुशहर में स्थित नौसैनिक अड्डों से ईरान की नौसेना सागर पर नियंत्रण करती है। इससे जलडमरूमध्य पर इसका मजबूत प्रभाव देखने को मिलता है। ईरान की खाड़ी के तट पर जलवायु अत्यधिक गर्म और शुष्क है। जुलाई और अगस्त के महीने इस क्षेत्र के लिए सबसे अधिक गर्म होते हैं। इसके चलते वहां रहना मुश्किल है। फिर भी तेल का क्षेत्र होने के कारण थोड़ा बहुत विकास किया गया है। जलडमरूमध्य के आसपास के क्षेत्रों में धूलसुबह की धुंध और धुंधलापन होता है। इससे भी वहां की दृश्यता प्रभावित होती है।

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होरमुज जलडमरूमध्य की रणनीतिक स्थिति इसे काफी अहम बना देती है। ओमान और ईरान के बीच होने के कारण ये कुवैतसऊदी अरबइराककतरबहरीन और यूएई को अरब सागर और उससे आगे जोड़ता है। जैसे-जैसे पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ रहा हैहोरमुज जलडमरूमध्य का महत्व भी बढ़ता जा रहा है। भारत के लिए यह संकट देश की रणनीतिक साझेदारी को बेहतर बनाने और नए ऊर्जा स्रोतों पर काम करने की जरूरत बता रहा है। इजराइल की ओर से ईरान पर हमले किए जाने के बाद शिया मुल्क के कई सैन्य ठिकाने और परमाणु कार्यक्रम तबाह हो गए हैं। बौखलाए ईरान ने जलडमरूमध्य बंद करने की धमकी दी है। हालांकि इस रास्ते को पूरी तरह से बंद करने की आशंका कुछ कम ही जताई जा रही है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इन कारणों में ईरान के कुछ देशों के साथ बेहतर संबंध और आर्थिक स्थिरता समेत कई पहलू शामिल हैं। ईरान और चीन के संबंध काफी बेहतर हैं। चीन ईरान के तेल का तीन चौथाई हिस्से का आयात करता है जो कि सबसे अधिक है। ऐसे में जल डमरू मध्य का रास्ता बंद होने से चीन के लिए भी आपूर्ति बाधित होगी।

इसके अलावा इस रास्ते के बंद होने से ईरान के ओमान के साथ रिश्ते खराब हो सकते हैं। ओमान समुद्री रास्तों के जरिए कारोबार की आजादी का समर्थन करता रहा है। साथ ही होरमुज जलडमरूमध्य के दक्षिणी हिस्से पर अपना नियंत्रण भी रखता है। इजराइल के साथ तनाव के चलते ईरान पहले से ही कई संघर्षों का सामना कर रहा है। ऐसे में अगर ये रास्ता बंद होता है तो ईरान को ही भारी कीमतों को ईरान को भी झेलना पड़ेगा। इससे ये मुल्क भी आर्थिक अस्थिरता के संकट से दो चार होगा। असल में दुनिया के ज्यादातर देश इस बात को जान चुके हैं कि होरमुज जल डमरू मध्य में कोई भी रुकावट वैश्विक संकट को जन्म दे सकता है। ऐसे में ईरान अपनी धमकी को मूर्त रूप में देने से पहले कई देशों के साथ अपने बचे खुचे रिश्तों से भी हाथ धो सकता है।

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