यूपी में 13 रुपए प्रति यूनिट हो सकती है बिजली

40 से 45 फीसदी बढ़ोतरी का दिया गया प्रस्ताव

यूपी में 13 रुपए प्रति यूनिट हो सकती है बिजली

लखनऊ, 17 जून (एजेंसियां)। यूपी में बिजली उपभोक्ताओं को तगड़ा झटका लगने वाला है। पावर कारपोरेशन ने संशोधन का जो प्रस्ताव भेजा हैं उसमें बिजली महंगी होने जा रही है। पावर कारपोरेशन की ओर से विद्युत नियामक आयोग में दाखिल बिजली दरों में 40-45 फीसदी बढ़ोतरी का संशोधित प्रस्ताव स्वीकार होता है तो उपभोक्ताओं को तगड़ा झटका लगेगा। संशोधित प्रस्ताव के आधार पर ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अधिकतम फिक्स चार्ज 8 और शहरी के लिए 9 रुपए प्रति प्रति यूनिट हो जाएगा। उन्हें अधिकतम फिक्स चार्ज के साथ प्रति किलोवाट फिक्स चार्जविद्युत कर और दूसरे शुल्क जोड़कर प्रति यूनिट 12 से 13 रुपए चुकाने होंगे।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने आरोप लगाया है कि पावर कारपोरेशन ने फिक्स चार्ज में बड़ा खेल किया है। परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने शुक्रवार को पावर कारपोरेशन की ओर से दिए प्रस्ताव के विरोध में सोमवार को नियामक आयोग में लोकमहत्व प्रस्ताव दाखिल किया। नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार व सदस्य संजय सिंह से मुलाकात कर प्रस्ताव को असांविधानिक करार देते हुए खारिज करने की मांग की।

वर्मा ने बताया कि भाजपा के संकल्प पत्र में गरीबों को 100 यूनिट तक तीन रुपए प्रति यूनिट देने की बात कही गई है। उसे भी चार रुपए प्रति यूनिट कर दिया है। पहले बिजली दरों के चार स्लैब थेजिन्हें तीन कर दिया गया है। कुछ स्लैब में बिजली दरों में 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है। इसे लौटाने पर कोई बात नहीं हो रही है। वर्मा ने बताया कि नए प्रस्ताव में फिक्स चार्ज भी बढ़ाया गया है। शहरी फिक्स चार्ज को 110 रुपए से बढ़ाकर 190 रुपए प्रति किलोवाट करने का प्रस्ताव दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्र में फिक्स चार्ज 90 रुपए से बढ़ाकर 150 रुपए प्रति किलोवाट प्रस्तावित किया है।

बिजली के निजीकरण की चर्चा के बीच ही यूपी सरकार बिजली की दरें बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए पावर कारपोरेशन ने नियामक आयोग में संशोधित प्रस्ताव दाखिल कर दिया है। प्रदेश में ग्रामीण उपभोक्ताओं की बिजली दर 45 फीसदी और शहरी उपभोक्ताओं की 40 फीसदी बढा़ने की तैयारी है। इसके लिए पावर कार्पोरेशन ने नियामक आयोग में संशोधित प्रस्ताव दाखिल कर दिया है। जबकि सात जुलाई से बिजली दर निर्धारण के लिए सुनवाई की तिथि तय है। ऐसे में विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रस्ताव को असंवैधानिक बताया है। साथ ही नियामक आयोग से इस प्रस्ताव को खारिज करने की मांग की है।

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पावर कारपोरेशन ने बिजली कंपनियों की ओर से मई माह के पहले सप्ताह में वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) दाखिल किया। 19 मई को बिजली कंपनियों का घाटा 9200 से बढ़ाकर 19600 करोड़ दिखाते हुए 30 फीसदी तक बढोतरी का प्रस्ताव दिया। अब एक बार फिर शुक्रवार को गुपचुप तरीके से पावर कारपोरेशन ने नियामक आयोग में संशोधित प्रस्ताव दाखिल किया है।

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प्रस्ताव में श्रेणीवार दरें बढ़ाने की मांग की गई हैजिसमें ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में 40 से 45 फीसदी वृद्धि और घरेलू शहरी उपभोक्ताओं की दरों में 35 से 40 फीसदी वृद्धि प्रस्तावित की गई है। इसी तरह अन्य श्रेणी में भी बिजली दरों में वृद्धि की प्रस्ताव दिया गया है। पावर कारपोरेशन के प्रस्ताव को नियामक आयोग ने स्वीकार किया तो उपभोक्ताओं की जेब कटनी तय है।

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पावर कारपोरेशन ने नए उपभोक्ताओं की कनेक्शन की दरों के लिए कॉस्ट डाटा बुक को भी नियामक आयोग में दाखिल किया है। ऐसे में नया कनेक्शन लेना भी महंगा हो गया है। नए कनेक्शन की दर में करीब 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी प्रस्तावित की गई है। इसी तरह नए कनेक्शन लेने पर विभिन्न तरह की सामग्री पर भी अतिरिक्त चार्ज लगाया गया है। अभी तक नया कनेक्शन लेने पर पोल से 40 मीटर के दायरे में औसतन 10 हजार रुपया तक खर्च होता है। पावर कारपोरेशन ने नियामक आयोग में गुपचुप तरीके से निजीकरण के मसौदे पर सलाह लेने संबंधी प्रस्ताव भी पांच कॉपी में दाखिल कर दिया गया है। वर्ष 2025-26 के लिए राजस्व संग्रह क्षमता का आंकड़ा देते हुए घाटा करीब 19644 करोड़ दिखाया है।

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि कार्पोरेशन वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) दाखिल कर चुका है। इसके सभी आंकड़े समाचार पत्रों में प्रकाशित हो गए हैं। उपभोक्ताओं से आपत्तियां भी मांग ली गई है। सात जुलाई से बिजली दर की सुनवाई शुरू हो रही है। इस बीच अचानक श्रेणीवार बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव स्वीकार करना असंवैधानिक है। नियामक आयोग द्वारा बिजली दर की सुनवाई शुरू करने के बीच कोई भी नया प्रस्ताव नहीं दाखिल किया जा सकता है। नियामक आयोग को यह प्रस्ताव खारिज करना चाहिए। क्योंकि करीब पांच साल पहले भी इस तरह का प्रस्ताव दिया गया थाजिसे विद्युत उपभोक्ता परिषद के विरोध के बाद विद्युत नियामक अयोग ने खारिज कर दिया था।

प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर करीब 33122 करोड़ रुपया (सरप्लस) निकलने का मामला लगातार उठाया जा रहा है। इसे लेकर नियामक आयोग में याचिका भी लगाई गई है। विद्युत उपभोक्ता परिषद की मांग है कि नोएडा पावर कंपनी की तरह ही उपभोक्ताओं के बकाया को बिजली दर में कमी करके लौटाया जा सकता है।

 

इस बीच पावर कारपोरेशन ने नियामक आयोग में संशोधित प्रस्ताव दाखिल करके बिजली दरें बढ़ाने की मांग कर ली है। ऐसे में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि एक तरफ बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया है तो दूसरी तरफ निजीकरण प्रस्ताव पर सुझाव संबंधी मागपत्र भी आयोग में दाखिल हो गया है। इससे स्पष्ट है कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन बिजली दरें बढ़ाकर निजीकरण करना चाहता है ताकि निजी कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचाया जा सके।

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