कर्नाटक में ठग लाइफ फिल्म हुई रिलीज
पुलिस ने कन्नड़ कार्यकर्ता प्रवीण शेट्टी को भेजा नोटिस
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| कर्नाटक रक्षण वेदिके कार्यकर्ता प्रवीण शेट्टी को आरटी नगर पुलिस ने बुधवार को नोटिस भेजा| कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कमल हासन अभिनीत फिल्म ‘ठग लाइफ’ को पूरे राज्य में रिलीज करने का आदेश दिया है| उनके घर के बाहर चिपकाए गए नोटिस में कहा गया है कि अगर फिल्म की रिलीज को लेकर कोई विरोध हुआ तो कार्रवाई की जाएगी, जो कि उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है| नोटिस में कहा गया है कि अगर बेंगलूरु में फ्रीडम पार्क के अलावा कहीं भी कोई विरोध या धरना हुआ तो सख्त कार्रवाई की जाएगी|
पुलिस ने नोटिस की कॉपी सौंपने की भी कोशिश की, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि वे विरोध की कोई जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं| पुलिस ने एहतियात के तौर पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं| इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फिल्म निर्माताओं और थिएटर मालिकों के बिना आगजनी और हिंसा की धमकी के फिल्में रिलीज करने के अधिकार को बरकरार रखा| साथ ही यह स्पष्ट किया कि कर्नाटक सरकार को कमल हासन के राज्य में ‘ठग लाइफ’ की स्क्रीनिंग के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए| न्यायमूर्ति मनमोहन की एक अवकाश पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति उज्जल भुयान ने कर्नाटक सरकार के पक्ष को संबोधित करते हुए कहा हम भीड़ और निगरानी समूहों को अपनी सड़कों पर कब्जा करने नहीं दे सकते| हम ऐसा होने नहीं दे सकते|
कानून का शासन कायम रहना चाहिए| पीठ बेंगलूरु निवासी एम. महेश रेड्डी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता एथेनम वेलन कर रहे थे, जिसमें कर्नाटक में हासन की सीबीएफसी-प्रमाणित तमिल फिल्म की सुरक्षित और निर्बाध स्क्रीनिंग सुनिश्चित करने की मांग की गई थी| याचिका में उन तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की गई थी, जिन्होंने सिनेमाघरों और फिल्म निर्माताओं के खिलाफ धमकियां दी हैं और हिंसा भड़काई है| कानून के नियम की मांग है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी फिल्म रिलीज करने की अनुमति दी जानी चाहिए|
फिल्म निर्माता इस बात से परेशान नहीं हो सकते या उन्हें डर नहीं होना चाहिए कि फिल्म दिखाने के लिए सिनेमाघरों को जला दिया जाएगा| लोग फिल्म देखने नहीं आ सकते| हम लोगों को फिल्म देखने आने का आदेश नहीं दे रहे| लेकिन फिल्म जरूर दिखाई जानी चाहिए|
कोर्ट ने कहा कि वह न केवल कानून के नियम के संरक्षक बल्कि मौलिक अधिकारों के संरक्षक की भूमिका में इस मामले में दृढ़ता से हस्तक्षेप करेगा| कानून के नियम के अनुसार आप किसी फिल्म की रिलीज को नहीं रोक सकते| यह सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है कि सीबीएफसी प्रमाण पत्र मिलने के बाद फिल्म रिलीज हो| हम इसी कानून का पालन करते हैं| लोग फिल्म देखने नहीं आ सकते, लेकिन सिनेमाघरों में आगजनी और घेराव अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आड़े नहीं आ सकते|