कर्नाटक के कई तालुकों में मानसून से पहले हुई भारी बारिश से भूजल स्तर में सुधार
हुब्बल्ली/शुभ लाभ ब्यूरो| मार्च से मई के बीच राज्य में हुई मानसून से पहले हुई भारी बारिश ने १३८ तालुकों में भूजल स्तर को पिछले मई की तुलना में कम से कम दो मीटर नीचे (एमबीजीएल) बढ़ा दिया है| हालांकि, १९ तालुक ऐसे भी हैं, जहां भूजल स्तर में ०-४ एमबीजीएल की गिरावट देखी गई| तीन महीने पहले, राज्य के लगभग सभी वेधशाला कुओं में भूजल स्तर में कमी देखी गई थी और विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान जल स्तर में वृद्धि का कारण राज्य भर में हुई भारी बारिश और उच्च सांद्रता वाली बारिश हो सकती है|
१ मार्च से ३१ मई के बीच, राज्य में लगभग १७१ मिमी अधिक बारिश हुई है| राज्य में आमतौर पर मानसून से पहले होने वाली सामान्य बारिश ११५ मिमी होती है| हालांकि, इस साल यह २८६ मिमी है, जो लगभग १४९ प्रतिशत की भारी वृद्धि है| इन तीन महीनों में तीन तटीय जिलों में ७०७ मिमी अधिक वर्षा हुई है, जबकि चार मलनाड जिलों में सामान्य से ४४३ मिमी अधिक वर्षा हुई है| जबकि १३ उत्तरी आंतरिक कर्नाटक जिलों में १८९ मिमी अधिक वर्षा हुई है और राज्य के ११ दक्षिणी आंतरिक जिलों में २२९ मिमी वर्षा हुई है| लघु सिंचाई और भूजल विकास विभाग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, लगभग ८५ तालुकों, जिनमें से अधिकांश मध्य कर्नाटक, कित्तूर कर्नाटक के कुछ हिस्से और बीदर और कलबुर्गी के कुछ हिस्से में भूजल स्तर में ४ मीटर से अधिक की वृद्धि देखी गई है| लगभग ५३ तालुकों में भूजल स्तर में २ और ४ एमबीजीएल की सीमा में वृद्धि देखी गई|
७३ तालुकों, मुख्य रूप से कल्याण और कित्तूर कर्नाटक क्षेत्र में, भूजल स्तर में ०-२ एमबीजीएल की वृद्धि देखी गई है| विभाग के विश्लेषण में कहा गया है कि इस मई में कोलार, चिक्कबलापुर, बेंगलूरु ग्रामीण और रामनगर के तालुकों में ४ एमबीजीएल से अधिक की तीव्र गिरावट देखी गई है| कुल १९ तालुकों, जिनमें से अधिकांश दक्षिण कर्नाटक में हैं, में भूजल स्तर में शून्य से चार एमबीजीएल तक की गिरावट दर्ज की गई है| हालांकि, यह कहना जल्दबाजी होगी कि राज्य में भूजल में भारी वृद्धि हुई है| लघु सिंचाई विभाग और भूजल विकास सचिव बीके पवित्रा ने बताया कि यह देखते हुए कि पिछले साल राज्य में लंबे समय तक सामान्य से अधिक बारिश हुई थी, विभिन्न उद्देश्यों के लिए भूजल का दोहन न्यूनतम रहा होगा| यह भूजल स्तर में सुधार दिखा रहा है| मानसून से पहले और मानसून के बाद के स्तरों के लिए कर्नाटक भर से भूजल निदेशालय के लगभग २,७०० वेधशाला कुओं का विश्लेषण करने के बाद डेटा संकलित किया गया था| कृषि और औद्योगिक गतिविधियों सहित विभिन्न कारणों से तेजी से घट रहे भूजल स्तर को रिचार्ज करने की उम्मीद है|
कर्नाटक राज्य प्राकृतिक आपदा निगरानी केंद्र (केएसएनडीएमसी) की २०२१ की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के ५३ तालुका भूजल का अत्यधिक दोहन कर रहे थे, जबकि १० तालुका गंभीर और ३५ तालुका भूजल निष्कर्षण में अर्ध-महत्वपूर्ण हैं| भूजल निदेशालय के सेवानिवृत्त निदेशक रामचंद्रैया बी जी का कहना है कि झीलों को भरने, जलाशयों में पर्याप्त मात्रा में पानी का भंडारण करने और पिछले साल प्रचुर मात्रा में बारिश की योजनाओं ने भूजल स्तर को सुधारने में मदद की है|
-कर्नाटक में उथले जलभृत हैं
कर्नाटक में उथले जलभृत हैं, खासकर राज्य के दक्षिणी हिस्से में, जिसका मतलब है कि भूजल का भंडारण तुलनात्मक रूप से कम है| अन्य उप-जलभृतों की तुलना में सतही जल का पुनर्भरण और कमी तेजी से होती है| जल संरक्षण विशेषज्ञ और शहरी योजनाकार एस विश्वनाथ कहते हैं, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि बेंगलूरु और कावेरी बेसिन में भूजल स्तर में निरंतर वृद्धि हुई है| बेंगलूरु में हाल ही में हुई अत्यधिक वर्षा ने शहर की ६३ झीलों को लगभग भर दिया है और अन्य ४० झीलें लगभग ७५ प्रतिशत भर गई हैं| इससे भूजल का पुनर्भरण होगा| उनका कहना है कि भूजल में ४ एमबीजीएल की वृद्धि या गिरावट से कीमती भूजल स्तर की वर्तमान स्थिति की स्पष्ट तस्वीर नहीं मिलेगी|