2027 चुनावों के लिए बसपा ने बदली रणनीति

मायावती ने मैदान में सक्रिय की 600 टीमें

2027 चुनावों के लिए बसपा ने बदली रणनीति

लखनऊ, 23 जून (एजेंसियां)। बीते कई चुनावों में दयनीय प्रदर्शन करने वाली बसपा 2027 के चुनावों के लिए अभी से तैयारी में जुट गई है। मायावती इसकी सीधी निगरानी कर रही हैं। डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी गांव-गांव जाकर अपना जनाधार बढ़ा रही है। पार्टी की करीब 1600 टीमें गांवों में पोलिंग बूथ और सेक्टर कमेटियां बनाकर लोगों को जोड़ रही हैं। पार्टी का कहना है कि पदाधिकारी भी नामित किए जा रहे हैंजो लोगों को बसपा की नीतियों और विपक्ष की साजिशों से अवगत करा रहे हैं।

पार्टी अध्यक्ष मायावती के निर्देश पर भाईचारा कमेटी और ओबीसी कमेटी लगातार काम कर रही हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि जिस तरह वर्ष 2007 में भाईचारा कमेटियों के जरिए समाज के सभी वर्गों के लोगों का गठबंधन स्थापित करते हुए सरकार बनाई गई थीउसी फार्मूले पर अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी करनी है। इसके तहत गांव-गांव जाकर कमेटियों का गठन करना पहली प्राथमिकता है। जिसके लिए हर विधानसभा क्षेत्र में चार टीमें बनाई जा चुकी हैं। पार्टी का मानना है कि बसपा नेताओं की नहींकार्यकर्ताओं की पार्टी है। चार बार रही बसपा सरकार में गुमनाम चेहरों को भी इसी तरह पार्टी ने सियासी पहचान दी थी। इसी वजह से पूरा फोकस विधानसभा स्तर पर बूथ कमेटियोंभाईचारा कमेटी और ओबीसी समाज को जोड़ने पर है। फिलहाल पार्टी तराई और अवध के इलाकों में फोकस कर तेजी से संगठन का विस्तार कर रही है। पार्टी के चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद बिहार चुनाव के बाद यूपी में भी सक्रिय हो सकते हैं। फिलहाल बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर आकाश आनंद बिहार चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। जिसके बाद उन्हें यूपी में भी सक्रिय किया जा सकता है। फिलहाल यूपी और उत्तराखंड के संगठन की समीक्षा और उससे जुड़े फैसले बसपा सुप्रीमो खुद ले रही हैं।

बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा, बसपा नेताओं की नहींकार्यकर्ताओं की पार्टी है। समाज के सभी वर्गों के आपसी भाईचारे की बदौलत हमने सरकार भी बनाई है। बसपा सुप्रीमो के निर्देश पर गांव-गांव जाकर कार्यकर्ताओं के जरिए संगठन को मजबूत किया जा रहा है। बसपा ऐसी नर्सरी हैजो नेता बनाती है। पहले बड़ा मुकाम हासिल करने वाले नेता अपने बेटे-बेटियों के चक्कर में दूसरे दलों में चले गए थे।