यूपी में बिजली का होगा निजीकरण

ऊर्जा मंत्री ने साफ-साफ कहा

यूपी में बिजली का होगा निजीकरण

सरकारी कर्मचारी आरपार करने के मूड में

लखनऊ, 23 जून (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने साफ-साफ कहा कि उत्तर प्रदेश में बिजली का निजीकरण होगा। उन्होंने माना कि राज्य की बिजली व्यवस्था ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि जितनी अच्छी व्यवस्था बिजली की होनी चाहिए उतनी नहीं है। लिहाजा, बिजली विभाग का निजीकरण जनता के हित में है।

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि वर्तमान में 24 घंटे बिजली आपूर्तिबिलिंग और कर्मचारियों का व्यवहार जनता के प्रति उचित नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बिजली विभाग के कर्मचारी निजीकरण का विरोध नहीं कर रहे हैं। कुछ नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए विरोध कर रहे हैं। एके शर्मा ने निजीकरण के फायदे गिनाते हुए सड़क और एयरपोर्ट का उदाहरण दिया। उन्होंने टेलीफोन सेवाओं का भी जिक्र किया। कहा कि पहले फोन कनेक्शन के लिए लंबी लाइन लगती थी। आज जब चाहें तब कनेक्शन मिल जाता है। मंत्री ने बताया कि बिजली विभाग के निजीकरण पर मंथन चल रहा है। इससे जनता को निर्बाध बिजली आपूर्ति के साथ कई समस्याओं का समाधान मिलेगा। शर्मा ने कहा, आपने देखा होगा कि पहले सरकार रोड बनाती थी। एयरपोर्ट चलाती थी। उस समय के रोड और एयरपोर्ट कैसे थे। जब निजीकरण हुआतो आज के एयरपोर्ट और हाईवे देख लीजिए। यही नहीं टेलीफोन में पहले कनेक्शन लेने के लिए वर्षों लाइन लगती थी। निजीकरण हुआतो तेजी से मिलने लगा। आज हर आदमी के हाथ में मोबाइल है। निजीकरण के बहुत फायदे हैं।

ऊर्जा मंत्री की इस घोषणा पर प्रदेश के बिजली कर्मियों ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि निजीकरण हुआ तो उत्तर प्रदेश लालटेन युग में लौट जाएगा। यूपी के बिजली कर्मचारियों ने साफ किया है कि वह 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे। इसमें बिजली कर्मचारियों के अलावा दूसरे विभागों के कर्मचारी भी शामिल होंगे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से राजधानी में आयोजित महापंचायत ने निर्णय लिया कि प्रदेश में बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में 9 जुलाई को देश के 27 लाख बिजलीकर्मी एक दिन की राष्ट्रव्यापी सांकेतिक हड़ताल करेंगे। बिजलीकर्मीरेल कर्मचारीराज्य कर्मचारीकिसान और उपभोक्ता व्यापक आंदोलन का हिस्सा बनेंगे। इसकी तैयारी के तहत 2 जुलाई को देशभर में व्यापक विरोध किया जाएगा। समिति ने चेतावनी दी कि इसके बाद भी प्रबंधन ने फैसला नहीं बदला तो जेल भरो आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। अगले चरण में इसकी भी तिथि घोषित की जाएगी।

प्रदेश में बिजली निजीकरण का फैसला पहले भी दो सरकारें वापस ले चुकी हैं। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने निजीकरण का फैसला वापस लेने की मांग की हैक्योंकि विद्युत नियामक आयोग ने निजीकरण के फैसले में कई आपत्तियां निकली हैं। इन आपत्तियों से स्पष्ट हो गया है कि निजीकरण का प्रस्ताव ही गलत है। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा 2006 में उपभोक्ता परिषद की याचिका पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह की सरकार में निजीकरण के तहत सेस फ्रेंचाइजी का फैसला वापस हुआ था। यह फ्रेंचाइजी लखनऊ के ग्रामीण क्षेत्र मालमलिहाबादकाकोरी से संबंधित था। जिस दिन उसका टेकओवर किया जा रहा थाउसी दिन विद्युत नियामक आयोग द्वारा पूरे मामले पर रोक लगा दी गई थी। ऐसे में सरकार ने फैसला वापस ले लिया। इसी तरह वर्ष 2014 में जब पांच शहरों में बिजली के निजीकरण का मामला तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में कैबिनेट से पास हुआ था। मगर उपभोक्ता परिषद की याचिका पर विद्युत नियामक आयोग द्वारा अवमानना नोटिस जारी किए जाने के बाद उसे भी वापस कर लिया गया था। उपभोक्ता परिषद ने आगाह किया है कि यदि जबरन प्रदेश में बिजली का निजीकरण हुआ तो उसके दो नुकसान होंगे। एक तो बिजली के दाम कई गुना बढ़ जाएंगे दूसरी तरफ गांवों की बिजली व्यवस्था फिर से लालटेन युग में लौट जाएगी।

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अब वर्तमान में जब विद्युत नियामक आयोग के सामने उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन का पूरा मसौदा वित्तीय और विधिक सलाह के लिए पेश किया गया तो उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने उसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय और सांविधानिक कमियां उजागर करते हुए अपनी अंतिरम रिपोर्ट पेश कर दी है। ऐसे में विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्षा अवधेश कुमार वर्मा ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि अब निजीकरण का फैसला वापस ले लिया जाए। उन्होंने कहा कि कहा उपभोक्ता परिषद हमेशा से ही कानूनन और सही तथ्य आयोग के सामने रखना चला आ रहा है। इस बार भी उपभोक्ता परिषद की आधा दर्जन लोकमहत्व प्रस्ताव के परिपेक्ष्य में ही उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार के निजीकरण के मसौदे में बड़े पैमाने पर वित्तीय और सांविधानिक कमियां पाई हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को जनहित में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के हित में अपने फैसले को तत्काल वापस लेना चाहिए।

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