3000 की बंदूक की बरामदगी में खपा दिए 50 हजार
26 साल पहले लुटेरे गए जेल, फिर भी नहीं मिली बंदूक
अलीगढ़, 29 जून (एजेंसियां)। 26 वर्ष पहले लूटी गई तीन हजार की बंदूक की बरामदगी के लिए भागदौड़ में पुलिस ने 50 हजार रुपए खर्च कर दिए, उसके बावजूद बंदूक नहीं मिली। पुलिस ने लूट के आरोप में तीन बदमाशों को गिरफ्तार कर जेल भी भेज दिया। उन पर लूट की चार्जशीट भी दे दी, लेकिन आज तक बंदूक का पता नहीं चल सका।
अकराबाद के गांव जुझारपुर के रहने वाले योगेंद्र प्रताप यादव की लाइसेंसी बंदूक नवंबर 1999 में लूट ली गई थी। योगेंद्र बताते हैं कि वे अपने रिश्तेदार सुनहरी सिंह के साथ बरला के गांव पहाड़ीपुर स्थित अपनी ससुराल से साले की शादी से वापस लौट रहे थे। उनकी लाइसेंसी बंदूक कंधे पर लटकी थी। आधी रात में करहला रोड पर कुआं गांव के रजबहे के पुल पर सात-आठ बदमाशों ने उनके रुपए-पैसे और बंदूक लूट ली। योगेंद्र ने एक बदमाश को पहचान भी लिया, जो पास के ही गांव का रहने वाला था। पुलिस ने उसे पकड़ लिया। रात तक पूछताछ हुई, लेकिन पुलिस बंदूक बरामद नहीं कर पाई। अगली सुबह सियासी दबाव में पुलिस ने जेल भेजने के बजाय उसे छोड़ दिया।
पुलिस द्वारा आरोपी को छोड़ दिए जाने पर बवाल मचा। इसको लेकर विपक्षी दल के नेताओं और सिकंदराराऊ के तत्कालीन निर्दल विधायक अमर सिंह यादव ने थाने में धरना दिया। पुलिस पर सत्ता के पक्ष में लूट को दबाने का आरोप लगा। लेकिन पुलिस के नाकारेपन के कारण बंदूक मिलने की उम्मीद जाती रही। जबकि बंदूक की बरामदगी के नाम पर पुलिस ने खूब भागदौड़ की और सरकारी पैसे खर्च किए। अलीगढ़ के साथ-साथ हाथरस, कासगंज, एटा तक के बदमाशों के यहां दबिश दी गई। तत्कालीन थाना प्रभारी ने अकराबाद बॉर्डर के विजयगढ़ क्षेत्र के तीन बदमाशों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा। उन्होंने लूट की बात भी स्वीकारी, लेकिन पुलिस बंदूक बरामद नहीं कर सकी। कुछ दिन थाने का चक्कर लगाने के बाद योगेंद्र यादव ने बंदूक मिलने की उम्मीद और पुलिस से कार्रवाई की उम्मीद दोनों छोड़ दी है।