भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता से चिढ़ते क्यों हैं राहुल गांधी!

कांग्रेस राजकुमार ने मेक इन इंडिया को कह दिया असेम्बल इन इंडिया

भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता से चिढ़ते क्यों हैं राहुल गांधी!

झूठे आंकड़ों के साथ फैला रहे देश विरोधी प्रोपेगेंडा

शुभ-लाभ समीक्षा

कांग्रेस पार्टी के भोले-भाले नाबालिग राजकुमार राहुल गांधी ने मेक इन इंडिया को असेम्बल इन इंडिया कह दिया। ऐसे बोल कर राहुल गांधी ने पूरे देश के समक्ष यह प्रदर्शित किया कि भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता से उसे कितनी चिढ़ लगती है। राहुल गांधी झूठे आंकड़ों का सहारा लेकर देश विरोधी प्रोपेगेंडा फैला रहे हैं।

राहुल गांधी आज जिस असेम्बलिंग को कोस रहे हैंउसने वित्त वर्ष 2024-25 में देश के निर्यात में 2 लाख करोड़ से अधिक का योगदान दिया है। इससे लाखों नौकरियां पैदा हुई हैं। कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आजकल कभी कभार जब अपने वातानुकूलित कमरों से निकलते हैं तो बाहर निकल कर किसी प्रायोजित दुखी इंसान को पकड़ लेते हैं और उसकी दुख की कहानी का लिंक मोदी सरकार से जोड़ कर फिर मोदी-निंदा का प्रलाप शुरू कर देते हैं। देश पर छह दशक से अधिक समय तक राज करने वाली कांग्रेस के डी फैक्टो मुखिया राहुल गांधी हाल ही में दिल्ली में अपने परनाना के नाम पर बने नेहरू प्लेस मार्केट पहुंच गए। इसे एशिया का सबसे बड़ा कंप्यूटर और मोबाइल मार्केट कहा जाता है। जब राहुल गांधी यहां पहुंचे तब उन्हें पता चला कि इस देश में फोन बनाए जाते हैं। जब उन्होंने फोन की असेम्बलिंग देखी तो फौरन बोल पड़े, भारत में मोदी सरकार आने के बाद निर्माण क्षेत्र बर्बाद हो गया। राहुल ने बिना देर किए राष्ट्र के नाम यह संदेश प्रसारित कर दिया कि भारत में जो फोन निर्मित हो रहे हैं वह असल में मैनुफैक्चरिंग नहीं बल्कि असेम्बलिंग यानी पुर्जों को जोड़ने का काम हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने एक वीडियो पर यह दावा करके कि हम चीन से कहीं पीछे हैं, अपनी चीन-परस्ती भी प्रदर्शित कर दी। इसी मोहब्बत-ए-चीन में उन्होंने चीन और भारत के बीच व्यापार घाटे का भी ठीकरा मोदी सरकार पर ही फोड़ दिया।

वैसे तो देश के नेता प्रतिपक्ष का मैनुफैक्चरिंग जैसी चीजों के लिए चिंतित होना काफी प्रसन्नता की बात होतीलेकिन राहुल गांधी असल में चिंतित नहीं हैं बल्कि वह झूठ बोल रहे हैं और आधे अधूरे तथ्य रख कर सरकार को घेरना चाह रहे हैं। राहुल गांधी के दावों की सच्चाई जान कर आपको उनके नाबालिग होने का पक्का पता चलेगा। राहुल गांधी ने कहा कि हमारे देश में जो स्मार्टफोन का निर्माण हो रहा हैवह असल में मेक इन इंडिया नहीं बल्कि असेम्बल इन इंडिया है। उन्होंने दावा किया कि हम सिर्फ पुर्जे जोड़ने के काम को मेक इन इंडिया कह रहे हैं। राहुल गांधी ने दावा किया कि चीन से पुर्जे आते हैं और हम उन्हें जोड़ देते हैं। राहुल गांधी के इस दावे की सच्चाई हाल ही में आई एक रिपोर्ट बताती है। रिपोर्ट के अनुसारभारत में बनने वाले एप्पल के फोन और बाकी उत्पादों में लगने वाले 20 प्रतिशत से अधिक पार्ट देश में ही बन रहे हैं। यानी भारत में बनने वाले किसी आईफोन के लगभग 20 प्रतिशत पार्ट स्थानीय स्तर पर ही निर्मित होते हैं। यह उपलब्धि एप्पल को अलग-अलग पार्ट सप्लाई करने वाले वेंडर्स ने हासिल की है। एप्पल के भारत भर में पार्ट सप्लायर्स मौजूद हैं। इनमें टीडीके कारपोरेशनहोन हाई प्रिसिजनटाटा इलेक्ट्रॉनिक्सफॉक्सलिंक समेत तमाम कम्पनियां हैं। सैमसंग और डिक्सन भी 20 प्रतिशत-25 प्रतिशत तक भारत में बने पार्ट ही उपयोग कर रही है। सरकार का लक्ष्य है कि इसे आने वाले वर्षों में 35 प्रतिशत-40 प्रतिशत के स्तर पर ले जाया जाए। इससे भारतीय उद्योग भी मजबूत होंगे और जरूरी पार्ट्स के लिए विदेशों पर निर्भरता भी कम होगी।

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राहुल गांधी को यह पता होना चाहिए कि दशकों से इस काम जुटा हुआ चीन भी अभी तक 35 प्रतिशत-40 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच पाया है। भारत ने 20 प्रतिशत की उपलब्धि 5 ही वर्षों में हासिल कर ली है। और उन्हें एक बात और समझनी चाहिए कि किसी भी वस्तु का निर्माण जब चालू होता हैतो उसका लोकलाइजेशन धीमे-धीमे होता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण देश की ऑटो इंडस्ट्री है। 1980 के दशक में सुजुकी ने भारत में गाड़ियों को केवल एक साथ जोड़ना (असेम्बली) चालू किया थी लेकिन अब भारत में बनने वाली सुजुकी की हर गाड़ी में 95 प्रतिशत पार्ट भारतीय होते हैं। यही स्थिति बाक़ी इंडस्ट्री की भी है।

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राहुल गांधी आज जिस असेम्बलिंग को कोस रहे हैंउसने वित्त वर्ष 2024-25 में देश के निर्यात में 2 लाख करोड़ से अधिक का योगदान दिया है। इससे लाखों नौकरियां पैदा हुई हैं। हालांकिऐसा पहली बार नहीं है जब राहुल या उनके गिरोह ने भारत की इस उपलब्धि को कम कर दिखाने का प्रयास किया है। इससे पहले उनके करीब रघुराम राजन भी ऐसी बातें कह चुके हैं। उनके करीबी कई लोग तो इसे पेचकसबाजी बताते थे। हालांकिजब भारत ने पार्ट्स भी स्थानीय स्तर पर बनाने चालू कर दिएतो उनके होठ सिल गए हैं।

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राहुल गांधी वीडियो क दौरान दावा करते हैं कि बीते 10 वर्षों में हमारे चीन से आयात 2 गुना बढ़ गए हैं और मोदी सरकार दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार घाटे के लिए दोषी है। यह बात ठीक है कि हम चीन से बड़ी मात्रा में चीजें आयात करते हैं और हमाराउसका व्यापार घाटा भी बहुत बड़ा है। लेकिन राहुल गांधी एक बात इस दौरान बहुत करीने से छुपा ले जाते हैं। वह यह नहीं बताते कि भारत की चीन पर निर्भरता असल में यूपीए दौर में ही चालू हुई थी। मोदी सरकार को आयात में दोगुनी बढ़त के लिए कोसने वाले राहुल गांधी की पार्टी के राज में भारत का चीन से व्यापार घाटा लगभग 20 गुना बढ़ा।

वर्ष 2004 में भारत चीन से आयात मात्र 7.5 बिलियन डॉलर (62 हजार करोड़) था। कांग्रेस के 2004 से 2014 के राज में या 8 गुना बढ़ कर लगभग 60 बिलियन डॉलर (5 लाख करोड़ से अधिक) के पार पहुंच गया। यानी इस दौरान इसमें बिना किसी रोकटोक के 8 गुना की बढ़त हुई। राहुल गांधी को यह भी जानना चाहिए कि इसी दौरान भारत और चीन का व्यापार घाटा भी प्रति वर्ष 45 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ा। केंद्रीय मंत्री पीयुष गोयल के अनुसार, 2004 और 2014 के बीचभारत का व्यापार घाटा 2 बिलियन डॉलर से लगभग 40 बिलियन डॉलर हो गया।

आंकड़ों के अनुसारवर्ष 2004 में भारत का चीन से व्यापार घाटा लगभग न के बराबर था। कांग्रेस के सत्ता में रहते हुए 2014 में यह 40 बिलियन डॉलर (3.2 लाख करोड़ से अधिक) के पार पहुंच गया। वर्तमान में मोदी सरकार ने इसे बीते कई वर्षों से नियंत्रित कर रखा है। राहुल गांधी और उनकी लाजवाब कांग्रेस पार्टी को यह जवाब देना चाहिए कि आखिर क्यों उनकी सरकार के दौरान चीन के लिए भारत के बाजार के दरवाजे खोल दिए गए और क्यों उसके उत्पाद भारत में बिना रोक टोक के आते रहे। क्यों उस दौरान कांग्रेस ने भारत में निर्माण को बढ़ावा देने पर जोर दिया। यह काम भी मोदी सरकार ने ही चालू किया और पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) की स्कीम निकाली। इसके चलते भारत के निर्माण क्षेत्र में दोबारा जान आई और विदेशी कम्पनियां चीन के बजाय भारत को भी एक विकल्प के तौर पर देखने लगीं।

राहुल गांधी ने अपने इस वीडियो और ट्वीट में दावा किया कि भारत में निर्माण क्षेत्र का हिस्सा लगातार घट रहा है। उन्होंने अपने बयान से दो तथ्य छुपा लिए। पहला तथ्य यह है कि जब भी कोई देश विकासशील से विकसित की यात्रा करता हैतो उसकी अर्थव्यवस्था में निर्माण और कृषि क्षेत्र का हिस्सा घटता है। दूसरा यह कि जब भी कोई देश विकसित होने चलता है तो वह कृषि से निर्माण और फिर सेवा क्षेत्र की तरफ जाता है। लेकिन यह कांग्रेस की ही देन है कि भारत सीधे कृषि से सेवा क्षेत्र में जाने वाली अर्थव्यवस्था बना है। कांग्रेस को सलाह देने वाले अर्थशास्त्रियों ने लगातार इस बात का विरोध किया है कि भारत को निर्माण क्षेत्र पर फोकस बढ़ाना चाहिए।

इसका सबसे बड़ा उदाहरण रघुराम राजन हैं। उन्होंने ही भारत को चीन की तरह निर्माण क्षेत्र पर ध्यान न देने की सलाह दी थी। कांग्रेस के ही राज में 1991 तक तो भारत में आर्थिक सुधार नहीं हुए। इसके चलते निर्माण क्षेत्र नहीं पनपा। इसके बाद जब आर्थिक सुधार मजबूरी में किए भी गए तो हमने सेवा क्षेत्र की राह पकड़ी। राहुल गांधी जिस निर्माण क्षेत्र का हिस्सा जीडीपी में घटने की बात कर रहे हैंवह कोई नई बात नहीं है। यह प्रक्रिया कांग्रेस राज में ही चालू हो गई थी। असल बात यह है कि निर्माण क्षेत्र में भारत वापस अब अपनी मजबूती दर्ज करवा रहा है। इससे राहुल गांधी को समस्या है। कभी वह इसे असेम्बली इन इंडिया तो कभी चीन को फायदा पहुंचाने की प्रक्रिया बता रहे हैं। उनके पास इसका कोई विकल्प हैऐसा भी नहीं है। राहुल गांधी सिर्फ आलोचना के वास्ते ही भारत की इस उपलब्धि का मजाक उड़ा रहे हैंहालांकि यह सत्य के आसपास भी नहीं फटकता।

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