सिद्धरामैया सरकार को बड़ा झटका

कोर्ट ने वाल्मीकि निगम घोटाले की जांच सीबीआई को देने के आदेश दिए

सिद्धरामैया सरकार को बड़ा झटका

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार के लिए परेशानी का सबब बने एक बड़े घटनाक्रम में, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को हाई-प्रोफाइल वाल्मीकि एसटी विकास निगम घोटाले की जांच अपने हाथ में लेने का निर्देश दिया, जिससे यह मामला एक पूर्ण राष्ट्रीय जांच में बदल गया|

यह आदेश मुख्यमंत्री सिद्धरामैया के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि यह मामला पहले से ही कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं और विधायकों से जुड़े होने के कारण राजनीतिक रूप से गरमा गया है| अभी तक, सीबीआई की भूमिका सीमित थी, जो वाल्मीकि विकास निगम के तहत अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए निर्धारित धन के दुरुपयोग से जुड़े करोड़ों रुपये के घोटाले में केवल विशिष्ट अनियमितताओं की जांच करती थी| हालांकि, उच्च न्यायालय ने अब दायरा बढ़ाते हुए विशेष जांच दल (एसआईटी) को निर्देश दिया है - जो पहले राज्य सरकार के अधीन मामले को संभाल रहा था - कि वह व्यापक जांच के लिए सभी रिकॉर्ड और केस सामग्री सीबीआई को सौंप दे| इससे मामला राज्य के नियंत्रण से हटकर केंद्रीय एजेंसी के हाथों में चला जाता है|


इस साल की शुरुआत में सामने आया वाल्मीकि एसटी विकास निगम घोटाला कर्नाटक में अनुसूचित जनजातियों के उत्थान के लिए निर्धारित धन के कथित गबन से जुड़ा है| रिपोर्ट बताती है कि फर्जी खातों, फर्जी कंपनियों और अनधिकृत निकासी के जरिए करोड़ों रुपये निकाले गए| जून में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपनी जांच तेज कर दी, जिसमें बल्लारी से कांग्रेस सांसद ई तुकाराम और तीन मौजूदा कांग्रेस विधायकों से जुड़े कई ठिकानों पर छापे मारे गए| ईडी को संदेह है कि इस घोटाले में धन शोधन की कई परतें शामिल हैं, जिसमें राजनीतिक संबंधों के कारण धोखाधड़ी वाले लेनदेन को बढ़ावा मिला|

भाजपा और जेडी(एस) ने कांग्रेस सरकार पर बार-बार निशाना साधा है और उस पर आरोपियों को बचाने और जांच को दबाने का आरोप लगाया है| मामले को सीबीआई को सौंपने के उच्च न्यायालय के फैसले को सिद्धरामैया प्रशासन के लिए प्रतिष्ठा की हानि के रूप में देखा जा रहा है, जिसने एसआईटी को जांच का जिम्मा सौंपा था| कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अदालत का यह कदम राज्य की जांच की निष्पक्षता या प्रभावशीलता में विश्वास की कमी को दर्शाता है|

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अब सीबीआई से मामले में कई कोणों को फिर से खोलने की उम्मीद है, जिसमें राजनीतिक संबंध, नौकरशाही की भागीदारी और राज्य-पार धन के लेन-देन शामिल हैं| कर्नाटक में आगामी उपचुनावों और स्थानीय निकाय चुनावों से पहले इस घटनाक्रम के गंभीर राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं, जहां इस घोटाले ने पहले ही शासन और भ्रष्टाचार पर कांग्रेस की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया है|

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