छह महीने में 1555 महिलाएं हिंसा का शिकार
बांग्लादेश महिला परिषद ने पेश किए सनसनीखेज आंकड़े
ढाका, 06 जुलाई (एजेंसियां)। बांग्लादेश में शेख हसीना के जाने के बाद जो अराजकता फैली, उसके शिकार हिंदू हुए। हिंदू महिलाओं पर जुल्म ढाए गए। महिलाओं के साथ बलात्कार से लेकर भीड़ में भी पीटे जाने की घटनाएं हुईं। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार हिंदू विरोधी हिंसा को रोकने के बजाय उसे और भड़काने में लगी रही। बांग्लादेश में महिलाओं की क्या स्थिति है, इस बारे में बांग्लादेश महिला परिषण की ताजा रिपोर्ट ने सनसनीखेज खुलासा किया है।
बांग्लादेश के चप्पे-चप्पे से वहां हुई घटनाओं का शोध करने के बाद जुटाए गए तथ्यों को आधार पर बांग्लादेश महिला परिषद ने रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में लिखा है कि कैसे जून के ही महीने में अकेले 203 महिलाएं हिंसा का शिकार हुई हैं। इनमें 87 बच्चियां शामिल हैं। इनमें से 43 बच्चियों सहित 65 महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ था। 5 बच्चियों सहित 8 महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ और 3 महिलाओं की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई। 7 बच्चियों के साथ बलात्कार का प्रयास हुआ।
जून में ही दो महिलाओं ने बलात्कारियों की छेड़खानी और लगातार पीछा किए जाने की वजह से आत्महत्या कर ली। इसके अलावा 13 बच्चियों समेत 68 महिलाओं की अलग-अलग वजहों से हत्या कर दी गई। दो बच्चियों समेत 11 महिलाओं की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई। एक महिला पर तेजाब से हमला किया गया, जबकि तीन महिलाएं झुलस गईं, जिनमें से दो की मौत हो गई। जो पीड़ित महिलाएं हैं, उनमें दिव्यांग महिलाएं भी हैं। मई में बलात्कार के 59 मामले सामने आए थे। मई महीने से अज्ञात शव मिलने की संख्या में भी वृद्धि हुई है और साथ ही राजनीतिक हिंसा में भी कमी नहीं आई है। बच्चियों से लेकर किशोरियों तक हर उम्र की लड़कियां शिकार हुई हैं। जून के महीने में 63 बलात्कारों के शिकार में 19 बच्चियां हैं और 23 किशोरियां। सामूहिक बलात्कार के मामलों में दो बच्चियां, तीन किशोरियां और आठ वयस्क महिलाएं हैं।
यह आंकड़े वाकई भयभीत करने वाले हैं। यह दिखाते हैं कि किस प्रकार हिंदू महिलाओं के प्रति बांग्लादेश में माहौल बिगड़ रहा है। अभी एक हिंदू महिला के साथ बलात्कार का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल है और पिछले दिनों एक ऐसी प्रोफेसर का भी इंटरव्यू वायरल हुआ था, जिन्होंने शेख हसीना को हटाने के अभियान में भाग लिया था और अब यह कहा था कि शेख हसीना के जाने के बाद महिलाओं की हालत बांग्लादेश में बहुत खराब हो गई है।
यह भी मामले सामने आया है कि कैसे कट्टरपंथियों के आगे यूनुस सरकार ने घुटने टेक दिए हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार बांग्लादेश महिला आयोग द्वारा की गई सिफारिशों को ठेंगा दिखा रही है। यहां तक बांग्लादेश की महिला खिलाड़ियों तक को सुरक्षा नहीं दी जा रही है। बांग्लादेश महिला परिषद की अध्यक्ष डॉ. फौजिया मोस्लेम ने कहा, ये आंकड़े केवल दर्ज मामलों के हैं। वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा है। पुलिस के नाकारेपन, सामाजिक कलंक और कानूनी जटिलताओं के कारण कई घटनाएं रिपोर्ट ही नहीं की जातीं। संगठन महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए सरकार से अपील के तहत कानूनों के सख्त क्रियान्वयन, जागरूकता बढ़ाने और पीड़ितों के लिए सुरक्षित आश्रय की लगातार मांग कर रहा है। लेकिन सरकार इस मांग पर कोई ध्यान ही नहीं दे रही है।
बांग्लादेश महिला परिषद की रिपोर्ट को लेकर अब राजनीतिक प्रश्न भी उठ रहे हैं। बांग्लादेश छात्र लीग के अध्यक्ष और ढाका विश्वविद्यालय केंद्रीय छात्र संघ के पूर्व सहायक महासचिव हुसैन सद्दाम ने कहा है कि यूनुस सरकार पूरी तरह से महिला और बच्चों के मामले में विफल रही है। हिंसा की यह महामारी महीनों से चली आ रही राज्य की उदासीनता और कानून प्रवर्तन की पूर्ण विफलता का प्रत्यक्ष परिणाम है। यह एक ऐसे समाज का भयावह प्रतिबिंब है जहां इस्लामी भीड़ का हौसला बुलंद है, राजनीतिक प्रतिशोध अनियंत्रित है और यह भी सच है कि लोगों के मन में दंड का डर नहीं है। महिलाएं और बच्चे एक अवैध सरकार की कीमत चुका रहे हैं जिसके पास कार्रवाई करने की न तो क्षमता है और न ही साहस।
बांग्लादेश समाज कल्याण और महिला एवं बाल मामलों के मंत्रालय की सलाहकार शर्मीन एस मुर्शिद ने 20 जून से 29 जून तक बांग्लादेश में बलात्कार के लगभग 24 मामले सामने आने पर अपनी बात कही है। उन्होंने इसे महामारी के स्तर की आपदा कहा है। उन्होंने बाकायदा मीडिया के सामने कहा कि सरकार इस समस्या का समाधान नहीं कर रही।
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