ढाई सौ रुपए में बेच डाली 49 रुपए की मच्छरदानी
एचआईएल और स्वास्थ्य मंत्रालय का नायाब घोटाला
मिलीभगत से हुए घोटाले की सीबीआई कर रही जांच
नई दिल्ली, 08 जुलाई (एजेंसियां)। सीबीआई ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत केंद्रीय चिकित्सा सेवा सोसायटी (सीएमएसएस) में करोड़ों के खरीद घोटाले का पर्दाफाश किया है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) ने 49 रुपए कीमत वाली कीटनाशक-उपचारित मच्छरदानी सीएमएसएस को 250 रुपए की दर पर बेची और करोड़ों का घोटाला किया। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है।
सीबीआई के मुताबिक पीएसयू हिंदुस्तान इंसेक्टिसाइड्स लिमिटेड (एचआईएल) ने गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जेएम पोर्टल) पर मलेरिया नियंत्रण के लिए 11 साल से अधिक लंबे समय तक चलने वाली मच्छरदानी (एलएलआईएन) की आपूर्ति के लिए 2021-22 में केंद्रीय चिकित्सा सेवा सोसाइटी से 29 करोड़ का अनुबंध हासिल किया। अपनी खुद की विनिर्माण क्षमता की कमी के बावजूद वह एकमात्र दावेदार था, जिसने 228 रुपए से 237 रुपए प्रति यूनिट की दर कोट की। एचआईएल ने इस कार्य का उप-ठेका सूचीबद्ध विक्रेताओं को दे दिया, जहां उन्होंने कच्चा माल और रसायन उपलब्ध कराए, जबकि विक्रेताओं ने उत्पादन और कीटनाशक उपचार का कार्य किया।
सीबीआई की तरफ से दर्ज एफआईआर के मुताबिक सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी शोभिका इम्पेक्स को दरकिनार कर एचआईएल के अधिकारियों ने खरीद श्रृंखला शुरू की, जिसके तहत अंततः मोहिंदर कौर निटिंग प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से ऑर्डर दिया गया। जबकि इस कंपनी के पास अपनी कोई विनिर्माण क्षमता नहीं थी। वास्तविक उत्पादन वीकेए पॉलिमर्स ने किया था, जिसने जेपी पॉलिमर्स को 52 रुपए प्रति यूनिट की दर से जाल बेचा था। एचआईएल ने सीएमएसएस को 237 से 250 रुपए की दर से मच्छरदानी की आपूर्ति की, जिससे मूल्य में हेरफेर और रिश्वतखोरी का संदेह पैदा हुआ। वीकेए पॉलिमर्स और जेपी पॉलिमर्स आपस में जुड़ी हैं। आरोप है कि सीएमएसएस को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ, जबकि एचआईएल और उसके बिचौलियों ने लाभ कमाया।
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