नगर निगम कर्मचारियों की जायज माँगों को तुरंत पूरा करना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी: बीवाई विजयेन्द्र
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| विपक्षी भाजपा ने मांग की है कि अगर पिछले पाँच दिनों से धरना दे रहे राज्य के नगर निगम कर्मचारियों की माँगें पूरी नहीं की जातीं, तो मुख्यमंत्री सिद्धरामैया तुरंत पद छोड़ दें| इस संबंध में, प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र और विधानसभा में विपक्ष के नेता आर. अशोक ने अलग-अलग पोस्ट में सरकार की आलोचना की है|
गाँव से लेकर दिल्ली तक सड़कों पर चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे मुख्यमंत्री सिद्धरामैया कि वे पाँच साल से मुख्यमंत्री हैं, उन्हें राज्य भर के १० निगमों के २५,००० से ज्यादा कर्मचारियों की पाँच दिनों से चल रही हड़ताल दिखाई या सुनाई नहीं दे रही है| कुर्सी की लड़ाई और गुटबाजी में पूरी तरह डूबी कांग्रेस सरकार के किसी भी मंत्री ने प्रदर्शनकारी निगम कर्मचारियों से मिलने की जहमत तक नहीं उठाई| सिद्धरामैया, आप कब तक सत्ता के बिना कुर्सी पर ऐसे बैठे रहेंगे जैसे बिना खाने के अचार? इस्तीफा दीजिए और चले जाइए| कन्नड़ लोग एक मजबूत मुख्यमंत्री का इंतजार कर रहे हैं जो एक सुरक्षित, स्थिर और जनहितैषी प्रशासन दे सके|
उन्होंने माँग की है कि कन्नड़ लोग इस्तीफा देकर अपनी इच्छा पूरी करें| प्रदेश अध्यक्ष विजयेंद्र ने भी पोस्ट किया कि निष्क्रिय कांग्रेस सरकार आँखें मूंदकर बैठी है और गैरजिम्मेदारी दिखा रही है, जबकि राज्य के १० नगर निगमों में कामकाज ठप है और जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है| राज्य सरकार की भेदभावपूर्ण नीति के कारण ही ३०,००० कर्मचारी अपनी जायज माँगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं| मुख्यमंत्री नगर निगम कर्मचारियों की जायज माँगों पर तुरंत कार्रवाई करने और हड़ताल समाप्त कराने के लिए जिम्मेदार कदम उठाएँ|
अगर कर्मचारियों का संघर्ष अनिश्चित काल तक जारी रहा, तो निगमों के अधिकार क्षेत्र वाले शहरों की स्थिति अकल्पनीय हो जाएगी, लोगों को स्थानीय निकायों की सफाई और प्रशासनिक सेवाओं सहित रोजमर्रा की बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ेगा, और नागरिक पहले से ही इस गर्मी को महसूस कर रहे हैं| स्थानीय निकायों के अधिकारियों, कर्मचारी समूहों और सरकारी कर्मचारियों के बीच विशेषाधिकारों और सुविधाओं को प्रदान करने में अपनाई गई भेदभावपूर्ण नीति को कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता, जो एक आँख में मक्खन और दूसरी में चूने के समान है| उन्होंने कहा कि नगर निगम कर्मचारियों की जायज माँगों को तुरंत पूरा करना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है|
कांग्रेस सरकार में, मुख्यमंत्री पद की लड़ाई में विधान सभा पहले ही लगभग बिखर चुकी है, जिसके कारण सरकार का प्रशासनिक तंत्र भी सो गया है| राज्य में कोई भी विकास कार्य हुए वर्षों हो गए हैं, बढ़ती महंगाई और सरकारी कार्यों के सुचारू रूप से न चलने के कारण आम जनता सरकार को कोस रही है| यदि नगर परिषद जैसे स्थानीय निकायों को भी बंद कर दिया गया, तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि राज्य में अराजकता फैल जाएगी| उन्होंने मांग की है कि सरकार तुरंत जागे और सबसे पहले नगर परिषद कर्मचारियों की माँगों को पूरा करे और नगर परिषदों के प्रशासन को सामान्य स्थिति में लाने के लिए कदम उठाए|