आईएसआई से नजदीकी बढ़ाने काठमांडू गया था छांगुर
अवैध धर्मांतरण से अलग बन रही थी खौफनाक साजिश
बलरामपुर, 13 जुलाई (एजेंसियां)। अवैध धर्मांतरण से इतर छांगुर बाबा और उसके साथियों की बेहद खौफनाक साजिश का राजफाश हुआ है। छांगुर आईएसआई से नजदीकी बढ़ाने काठमांडू गया था। काठमांडू स्थित पाकिस्तानी दूतावास में बीते दिनों आईएसआई एजेंटों का जमावड़ा हुआ था। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार ये देश विरोधी षडयंत्र, सामाजिक समरसता और सद्भाव के खात्मे के प्रयास के तीन अहम मोहरे हैं। मिशन आबाद के लिए आर्थिक रूप से कमजोर हिंदू परिवारों के अवैध धर्मांतरण से इतर इनकी साजिश बेहद खौफनाक रही।
ये पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी हाथ मिलाने की तैयारी में थे। इसके लिए छांगुर काठमांडू भी गया था, लेकिन समय रहते सुरक्षा एजेंसियों ने तीनों को दबोचकर प्रदेश और देश को बड़ी अनहोनी से बचा लिया। बीते दिनों नेपाल के पूर्व सैनिकों का एक सम्मेलन राजधानी काठमांडू स्थित पाकिस्तान दूतावास में आयोजित हुआ, जिसमें पाकिस्तान की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी (एनडीयू) का प्रतिनिधिमंडल मौजूद था। पाकिस्तान दूतावास के सैन्य सलाहकार कर्नल मुहम्मद अली अल्वी भी मौजूद थे। दुनिया को दिखाने के लिए भले ही यह एक्सचेंज प्रोग्राम था, लेकिन इस कार्यक्रम के बाद पाकिस्तानी दल ने भारत सीमा का दौरा किया था, जिसमें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के अधिकारी भी थे। नेपाल के सीमावर्ती जिले दांग के एक कद्दावर धार्मिक नेता के साथ छांगुर आईएसआई से नजदीकी बढ़ाने काठमांडू तक भी पहुंचा था, लेकिन तब सुरक्षा कारणों से वह पाकिस्तानी दूतावास में दाखिल नहीं हो सका।
इसकी रिपोर्ट सुरक्षा एजेंसियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी, जिसके बाद छांगुर, नीतू उर्फ नसरीन और नवीन उर्फ जलालुद्दीन की निगरानी बढ़ाई गई। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार छांगुर एक विशेष योजना लेकर नेपाल गया था। वह चाहता था कि उसके माध्यम से हिंदू से मुस्लिम बनीं युवतियों व महिलाओं का निकाह नेपाल में मौजूद आईएसआई एजेंटों व स्लीपर सेल से कराई जाए। इससे एजेंटों की सीमावर्ती कस्बे में गतिविधि बढ़ती। देश विरोधी सूचनाएं एकत्रित करने में आसानी होती और खाड़ी देशों में उसका कद भी बढ़ता। इसके लिए वह सिद्धार्थनगर के बढ़नी में भी ठौर तलाश रहा था। इसी सिरे को पकड़ते हुए एजेंसियों ने जांच आगे बढ़ाई तो अवैध धर्मांतरण के तार महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु,
छांगुर और उसकी टीम मुंबई से लेकर कोलकाता तक सक्रिय थी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि उसने धर्मांतरण का केंद्र उतरौला को ही क्यों बनाया। इसपर पूर्व आईबी अधिकारी संतोष सिंह बताते हैं कि उतरौला नेपाल बॉर्डर से महज 65 किमी. दूर है। यह पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, सिद्
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