शराब के कारोबार पर टिका है यूपी का कांच उद्योग

शराब के कारोबार पर टिका है यूपी का कांच उद्योग

लखनऊ, 14 जुलाई (एजेंसियां)। यूपी का कांच उद्योग शराब पर टिका है। इंटरनेशनल स्प्रिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात सामने आई है। कांच उत्पाद का करीब 88 फीसदी माल शराब कंपनियों में सप्लाई होता है। कांच सेक्टर की रीढ़ शराब है। शराब की बिक्री घट जाए तो सबसे पहले कमर कांच उद्योग की टूटती हैक्योंकि कुल कांच उद्योग का करीब 88 फीसदी खपत शराब कंपनियों में होता है। कांच की बोतलों की अहमियत इसी से समझी जा सकती है कि महंगी शराब और बीयर की कीमत की 25 फीसदी तक लागत इन बोतलों की होती है।

फिरोजाबाद का लगभग पूरा कांच उद्योग ही इस पर टिका है। सिर्फ 12 फीसदी कांच से गिलासझूमर व अन्य उत्पाद तैयार होते हैं। यह खुलासा इंटरनेशनल स्प्रिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया की यूपी पर जारी रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक आज भी शराब बाजार में 65 फीसदी हिस्सेदारी देशी मदिरा की है। हालांकिविदेशी शराब की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। मध्यम श्रेणी की शराब की सालाना ग्रोथ दर सात फीसदी है जबकि विदेशी श्रेणी की शराब की सालाना ग्रोथ दर 32 फीसदी हैजो देश में सर्वाधिक है। इस श्रेणी की शराब की बिक्री बढ़ने से कांच उद्योग की ग्रोथ पर भी सीधा असर हुआ है क्योंकि महंगी शराब में इस्तेमाल होने वाली बोतलें भी महंगी होती हैं।

अखिल भारतीय कांच निर्माता संघ के मुताबिक भारत में तैयार होने वाले 88 प्रतिशत कंटेनर कांच का उपयोग शराब और बीयर में होता है। इस कांच का 69 प्रतिशत फीसदी शराब और 19 फीसदी बीयर की बोतलें बनाने में इस्तेमाल होता है। साफ है कि शराब उद्योग के लिए कांच की बोतलेंविशेष रूप से नियमित और प्रीमियम सेगमेंट में महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये बोतलें उनकी कुल लागत का 20-25 प्रतिशत तक होती हैं। फिरोजाबाद प्रदेश में कांच उद्योग का गढ़ है। यहां कांच की बोतलों सहित कई प्रकार के कांच उत्पादों का निर्माण होता है। भारत में एमएसएमई सेक्टर द्वारा कुल कांच उत्पादन का 70 प्रतिशत से अधिक का उत्पादन होता है। उद्योग के अनुमान बताते हैं कि फिरोजाबाद में 70 प्रतिशत से अधिक कार्यबल अब कांच की बोतलें बनाने वाली स्वचालित इकाइयों में कार्यरत है।

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