अंतरिक्ष मिशन से पृथ्वी पर लौट आए अंतरिक्ष यात्री

यह गगनयान मिशन में मील का पत्थर है

अंतरिक्ष मिशन से पृथ्वी पर लौट आए अंतरिक्ष यात्री

शुभांशु शुक्ला पर पूरे देश को गर्व: पीएम मोदी

कामयाब हुआ ऐतिहासिक एक्सिओम मिशन-4

वाशिंगटनजुलाई (एजेंसियां)। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 20 दिन अंतरिक्ष में और 18 दिन अंतरिक्ष स्टेशन पर बिताने के बाद अपने अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ आज धरती पर सकुशल लौट आए। शुंभाशु शुक्ला और क्रू के अन्य सदस्यों को लेकर ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट का कैप्सूल प्रशांत महासागर में उतरा। शुभांशु शुक्ला का यान सोमवार शाम करीब 4.45 बजे अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से अनडॉक हुआ था।

शुभांशु शुक्ला की धरती पर सकुशल वापसी पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, यह गगनयान मिशन की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ है। मैं पूरे देश के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का स्वागत करता हूंजो अपने ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन से पृथ्वी पर लौट आए हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन का दौरा करने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप मेंउन्होंने अपने समर्पणसाहस और अग्रणी भावना से करोड़ों सपनों को प्रेरित किया है। यह हमारे अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन गगनयान की दिशा में एक और मील का पत्थर है। परमाणु ऊर्जा विभाग तथा अंतरिक्ष विभाग के केंद्रीय राज्यमंत्री मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहाभारत ने आज अंतरिक्ष की दुनिया में सचमुच एक स्थायी स्थान प्राप्त कर लिया है। यह भारत के लिए गौरव का क्षण है क्योंकि हमारा एक यशस्वी पुत्र सफल यात्रा पूरी करके वापस लौट आया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के पिता शंभू दयाल शुक्ला से बात की और शुभांशु की सकुशल वापसी पर खुशी जताई। राजनाथ ने शुभांशु के पिता से कहा कि पूरे देश को शुभांशु पर गर्व है। राजनाथ सिंह ने कहा, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक एक्सिओम-मिशन से सफल वापसी हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने न केवल अंतरिक्ष को छुआ हैबल्कि भारत की आकांक्षाओं को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक उनकी यात्रा और वापसी केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं हैयह भारत की बढ़ती अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के लिए एक गौरवपूर्ण कदम है। मैं उनके भविष्य के प्रयासों में उन्हें अपार सफलता की कामना करता हूं। शुभांशु शुक्ला की मां आशा शुक्ला ने कहामैं इस चीज को शब्दों में बयान नहीं कर सकती हूं। जब लैंड हो रहा था तब बस थोड़ा डर लगा था लेकिन सब अच्छे से हो गया है ईश्वर साथ में हैंउन्होंने उसे वहां पहुंचाया था और उन्होंने ही उसे सुरक्षित लैंड कराया है।

प्रशांत महासागर में यान के सफल स्प्लैशडाउन के साथ ही पूरा देश खुशी से झूम उठा। जैसे ही शुभांशु शुक्ला और क्रू के अन्य सदस्यों को लेकर यान समुद्र में उतरादेश में भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा। शुभांशु के माता-पिता भावुक और गौरवान्वित होते हुए इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बने।

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स्पेसएक्स ने ड्रैगन के सुरक्षित उतरने की पुष्टि की और अंतरिक्ष यात्रियों का पृथ्वी पर स्वागत किया। शुभांशु शुक्लाअमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसनपोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापू 26 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हुए थे। शुभांशु राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बने हैं। राकेश शर्मा ने यह यात्रा 1984 में की थी।

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आज जब अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वातावरण में लौट रहा थातो 18 मिनट का डी-ऑर्बिट बर्न हुआजो प्रशांत महासागर के ऊपर हुआ। इस दौरान यान ने पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू की। अंतरिक्ष यान के वायुमंडल में प्रवेश करते समयकरीब सात मिनट तक यान से संपर्क टूट गया था। इसे ब्लैकआउट पीरियड कहा जाता है। यह आमतौर पर उस समय होता हैजब यान तेज गति और गर्मी के कारण सिग्नल नहीं पकड़ पाता। वापसी की प्रक्रिया में यान के ट्रंक (पिछला हिस्सा) को अलग किया गया और हीट शील्ड को सही दिशा में लगाया गयाताकि यान को वायुमंडल में प्रवेश करते समय सुरक्षा मिल सके। उस समय यान को करीब 1,600 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी का सामना करना पड़ा। अंतरिक्ष यान की सफल लैंडिंग के दौरान पैराशूट दो चरणों में खोले गए।

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स्पेसएक्स ने बताया कि अप्रैल में एफआरसीएम-2 मिशन के जरिए ड्रैगन यान को पहली बार पश्चिमी तट (कैलिफोर्निया) पर उतारा गया था। यह दूसरा मौका थाजब ड्रैगन यान ने इंसानों को लेकर कैलिफोर्निया के तट पर लैंडिंग की। इससे पहलेस्पेसएक्स के ज्यादातर स्प्लैशडाउन (समुद्र में उतरने) अटलांटिक महासागर में होते थे। आईएसएस पर अपने दो सप्ताह से अधिक के प्रवास के दौरानशुभांशु शुक्ला ने कुल 310 से ज्यादा बार पृथ्वी की परिक्रमा की और लगभग 1.3 करोड़ किलोमीटर की दूरी तय की। यह दूरी पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 33 गुना अधिक हैजो अपने आप में एक शानदार उपलब्धि है।

अंतरिक्ष मिशन के दौरान चालक दल ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से 300 से ज्यादा सूर्योदय और सूर्यास्त देखे, जो पृथ्वी की तेज परिक्रमा की वजह से संभव हुआ। इसी बीचइसरो ने सोमवार को बताया कि शुभांशु शुक्ला ने अपने मिशन के दौरान सभी सात सूक्ष्म-गुरुत्व प्रयोग और अन्य नियोजित वैज्ञानिक गतिविधियां सफलतापूर्वक पूरी कर ली हैं। इसरो ने इसे मिशन की एक बड़ी उपलब्धि बताया है।

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