म्यांमार से सटे अरुणाचल के 66 गांवों में काम शुरू

आधुनिक शैली में मजबूत किए जाएंगे सीमा पर बसे गांव

म्यांमार से सटे अरुणाचल के 66 गांवों में काम शुरू

जम्मू कश्मीर के 124 सीमावर्ती गांवों का होगा विकास

ईटानगर, 15 जुलाई (एजेंसियां)। चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार और नेपाल की सीमा से लगे गांवों को मजबूत किया जाएगा। सीमा से लगे गांवों में सुरक्षा से लेकर तकनीक, सड़क, सम्पर्क सुविधाएं और स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत की जाएंगी। सीमावर्ती गांवों को पर्यटन के रूप में भी विकसित किए जाने का काम शुरू हो रहा है। इस योजना के तहत अरुणाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में सीमा पर स्थित गांवों के मजबूतीकरण का काम किया जा रहा है। चीन-म्यांमार सीमा पर अरुणाचल प्रदेश के 66 गांवों और पाकिस्तान सीमा पर जम्मू कश्मीर के 124 सीमावर्ती गांवों को को इस प्रोजेक्ट में लिया गया है।

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि ये गांव सीमावर्ती राज्य के तिरपचांगलांग और लोंगडिंग जिलों में हैं। इनमें से 42 गांव चांगलांग जिले में हैंतो 13 लोंगडिंग में और 11 तिरप जिले में हैं। खांडू ने इस पहल को आखिरी छोर तक विकास की पहल बताते हुए कहा कि इन गांवों में सड़कदूरसंचारबिजलीआजीविका और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। सीएम ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के म्यांमार की सीमा से सटे 66 गांव अब केंद्र के वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (वीवीपी) के तहत संवारे जाएंगे।

अरुणाचल प्रदेश के अधिकारियों के मुताबिकवीवीपी का उद्देश्य आजीविकाबुनियादी ढांचेपर्यटनकौशल विकाससड़कदूरसंचारआवास और नवीकरणीय ऊर्जा सहित कनेक्टिविटी की कमियों को दूर करना है ताकि यहां के लोगों को सीमावर्ती गांवों में रहने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। केंद्र सरकार ने 15 फरवरी2023 को वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के पहले चरण में भारत-भूटान और भारत-तिब्बत सीमा पर 455 गांवों को विकसित करने की मंजूरी दी थी। इनमें से 135 गांव अभी भी संपर्क से वंचित हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिकवीवीपी के तहत विकास के लिए चुने गए गांवों में लोंगडिंग जिले के वक्का गांव की जनसंख्या सबसे अधिक है। वक्का में 2,000 से अधिक लोग रहते हैं। इसी जिले के गांव खानु की आबादी 1,629चांगलांग के गांधीग्राम में 1,754 और सबसे कम आबादी वाले सभी गांव चांगलांग जिले में है। इनमें ओल्ड पोटुक 41 लोगों की आबादी है तो गाहेरीग्राम में 57 और लुंगटुंग में 71 लोग रहते हैं।

केंद्र सरकार के वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत जम्मू-कश्मीर के 124 सीमावर्ती गांवों को पर्यटन और विकास के नए केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत 24 घंटे बिजलीइंटरनेटस्वास्थ्यप्रशिक्षण और सुरक्षा जैसी सुविधाएं होंगी। इनमें जम्मूराजोरीपुंछकठुआकुपवाड़ाबारामुलाबांदीपोरा और रियासी जिले के गांव शामिल हैं। केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट के माध्यम से पाकिस्तान से होने वाली गोलाबारी से बाहर निकलकर इन गांवों को सैरगाह बनाने की तैयारी में है। सीमावर्ती इलाकों के ये गांव पर्यटन केंद्र के तौर पर उभरेंगे और सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोग सुरक्षा एजेंसियों के लिए आंख व कान का काम करेंगे। केंद्र सरकार ने 15 राज्यों व दो केंद्र शासित प्रदेशों में 2029 तक के लिए वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को लांच किया है।

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वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम की खास बात यह है कि इसमें सौ फीसदी हिस्सेदारी केंद्र सरकार की है। सीमावर्ती इलाकों में होने वाले बदलाव को लेकर प्रदेश सरकार को बजट खर्च करने की आवश्यकता नहीं है। जम्मू संभाग का करीब 192 किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान से सटा हुआ है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने रिहायशी इलाकों को अपना निशाना बनाया था। इससे इन जिलों में भारी नुकसान हुआ है। अब केंद्र सरकार की इस योजना से ग्रामीणों के जख्मों पर मरहम लगाने की तैयारी है। सीमावर्ती इलाकों में भविष्य में न तो मोबाइल सिग्नल बंद होगा और न ही बिजली गुल होगी। केंद्र सरकार ने वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में इन इलाकों को 24 घंटे बिजली व मोबाइल इंटरनेट से जोड़ने की तैयारी की है। बिजली सौर ऊर्जा से तैयार होगी। इसके लिए नोडल अधिकारी ग्रामीण सुझाव प्रदेश सरकार तक पहुंचाएगा। केंद्र ने इस प्रयास के माध्यम से पर्यटकों को सीमावर्ती इलाकों तक आकर्षित करने की तैयारी है।

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बहुउद्देशीय केंद्र और स्वास्थ्य सहित वेलनेस सेंटर भी सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों में बहुउद्देशीय केंद्र और स्वास्थ्य सहित वेलनेस सेंटर भी खोले जाएंगे। इससे लोगों की निर्भरता बाहर के अस्पतालों पर कम हो जाएगी। बहुउद्देशीय केंद्र की मदद से स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण हासिल होगा। इससे उनके रोजगार की राह आसान होगी। सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव एम राजू के अनुसारवाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को लेकर केंद्र और प्रदेश के बीच समन्वय के लिए योजना विकास व निगरानी विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। प्रदेश और जिलास्तर पर दो अलग-अलग समितियों का गठन किया गया है।

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प्रदेश स्तर की समिति का संचालन मुख्य सचिव की अगुवाई में हो रहा है। जिलास्तर पर गठित समिति की बागडोर सभी आठ जिलों के उपायुक्तों को सौंपी गई है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत चयनित होने वाले सभी प्रोजेक्ट के लिए जिलास्तरीय समिति जवाबदेह होगी। जिलास्तर पर योजनाएक्शन प्लानसीमा सुरक्षाबलों से तालमेल का काम जिला स्तरीय समिति करेगी। इसकी रिपोर्ट उपायुक्त प्रदेश स्तरीय समिति को प्रस्तुत करेंगे। प्रदेश स्तरीय समिति इस योजना को सिरे पर चढ़ाएगी।

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