कर्नाटक के ५६० से ज्यादा स्कूलों में अंडे और केले का वितरण नियमित नहीं

-निरीक्षण रिपोर्ट में आया सामने

कर्नाटक के ५६० से ज्यादा स्कूलों में अंडे और केले का वितरण नियमित नहीं

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| कर्नाटक के सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा १ से १० तक के छात्रों को मध्याह्न भोजन के साथ अतिरिक्त पोषक तत्व के रूप में सप्ताह में छह दिन अंडे वितरित किए जा रहे हैं, और जिन छात्रों को अंडे नहीं मिलते, उन्हें केले वितरित किए जा रहे हैं| हालाँकि, एक हालिया रिपोर्ट में पाया गया है कि यह वितरण एक समान नहीं है| ५६० से ज्यादा स्कूलों में वितरण अनियमित है|

अजीम प्रेमजी फाउंडेशन फॉर डेवलपमेंट (एपीएफ) की मदद से, सितंबर २०२४ से सप्ताह में छह दिन अंडे उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए गए| एपीएफ निरीक्षण दल ने कर्नाटक भर के लगभग ७६२ स्कूलों का निरीक्षण किया, जिनमें से ५६८ स्कूलों में स्कूल विकास और निगरानी समितियों (एसडीएमसी) ने अंडे और केले के वितरण के संबंध में अनुचित निर्णय लिए थे| उन्होंने सप्ताह में तीन दिन छात्रों को अंडे और बाकी तीन दिन केले वितरित करने का निर्णय लिया था| कुछ अन्य स्कूलों में सोमवार और शनिवार को अंडों की जगह केले बाँटने का निर्णय लिया गया है|

अभिभावकों की सहमति के बावजूद, यह पाया गया कि सप्ताह में छह दिन छात्रों को अंडों की जगह केले बाँटने का एकतरफा निर्णय लिया गया था| रिपोर्ट के अनुसार, तुमकुरु जिले में सबसे ज्यादा १३२ स्कूल ऐसे हैं जहाँ अनियमित रूप से अंडे और केले बाँटे जा रहे हैं| इसके बाद चिक्कमगलूरु जिले में ७४ स्कूल, बेंगलूरु ग्रामीण जिले में ५६, कोलार जिले में ५०, दक्षिण कन्नड़ जिले में ३७, रायचूर में ३६ और स्कूल शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा के गृह जिले शिवमोग्गा में २१ स्कूल हैं|

यह रिपोर्ट स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीएसईएल) को सौंप दी गई है| पीएम पोषण, शक्ति निर्माण के निदेशक ने कहा एसडीएमसी द्वारा अभिभावकों की सहमति के बावजूद, स्कूलों में सप्ताह में छह दिन की बजाय दो या तीन दिन अंडे वितरित करने का निर्णय लेना उचित नहीं है| एसडीएमसी को स्वयं ऐसे निर्णय लेने की अनुमति नहीं है| स्कूल के प्रधानाध्यापक और संबंधित अधिकारी ऐसे मामलों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं और ऐसी गलत प्रथाओं को अब तक ठीक नहीं किया गया है, जिससे कर्तव्य की उपेक्षा और कार्यक्रम के हितों की उपेक्षा हो रही है| उन्होंने आगे कहा इसके परिणामस्वरूप, पोषण सहायता कार्यक्रम को गंभीर झटका लगेगा| अगर ऐसा ही चलता रहा, तो संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी|

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