मुगलों का असली इतिहास पढ़ाएगा एनसीईआरटी

अकबर ने 30000 हिंदुओं को मारा, औरंगजेब ने तोड़े असंख्य मंदिर

मुगलों का असली इतिहास पढ़ाएगा एनसीईआरटी

इस्लामी सल्तनत में हिंदुओं पर हुए अत्याचारों का होगा जिक्र

नई दिल्ली, 17 जुलाई (एजेंसियां)। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की कक्षा-8 की सामाजिक विज्ञान की नई किताब मुगलों और इस्लामी आक्रांताओं की सच्चाई बताएगी। समाज की खोज: भारत और उससे आगे भाग-1 किताब में मुस्लिम आक्रांताओं की क्रूरता की ऐतिहासिक सच्चाई के संदर्भ शामिल किए गए हैं, जिन्हें आज तक छुपा कर रखा गया। इस सच्चाई से बच्चों को अवगत कराया जाएगा। इस किताब में दिल्ली सल्तनत और मुगलों के शासनकाल को उससे असली ऐतिहासिक दृष्टिकोण से दिखाया गया है। एनसीईआरटी बच्चों को उस इतिहास से रूबरू कराएगा, जिसे षडयंत्रपूर्वक दबा कर रखा गया और भांड इतिहासकारों ने झूठी कहानियों से भारत का इतिहास लिखने की साजिश की।

एनसीईआरटी की नई पुस्तक में ऐतिहासिक तथ्यों और प्रामाणिकता के साथ बाबर को क्रूर विजेताअकबर के शासन को बर्बरता एवं उदारता का मिश्रण और औरंगजेब को मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट करने वाला शासक बताया गया है। किताब में मुगल सल्तनत काल को लूटविध्वंस और धार्मिक असहिष्णुता से भरा बताया गया है। एनसीईआरटी ने बताया है कि यह नई पुस्तक 13वीं से 17वीं शताब्दी के बीच के राजनीतिक घटनाक्रमविद्रोहों और धार्मिक संघर्षों को केंद्र में रखती हैजिसे अब पहली बार कक्षा 8 में पढ़ाया जा रहा है। इससे पहले इसे 7वीं कक्षा में पढ़ाया जाता था।

नई पुस्तक में बताया गया है कि अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति मलिक काफूर ने श्रीरंगममदुरैचिदंबरम और संभवतः रामेश्वरम जैसे प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थलों पर आक्रमण किए। दिल्ली सल्तनत के दौरान बौद्धजैन और हिंदू मंदिरों पर कई बार हमले हुए। किताब के अनुसारइन हमलों का उद्देश्य केवल लूट नहीं थाबल्कि मूर्तिभंजन यानी धार्मिक प्रतीकों का विनाश भी इसका मुख्य उद्देश्य था। पुस्तक में जजिया-कर के बारे में भी बताया गया है। बताया गया है कि कुछ मुस्लिम शासकों द्वारा गैर-मुसलमानों (हिंदुओं) पर लगाया गया था। किताब के अनुसारयह कर उनके लिए सार्वजनिक अपमान का कारण भी बन गया। नई किताब के अनुसारइस कर ने इस्लाम अपनाने के लिए एक प्रकार का वित्तीय और सामाजिक दबाव पैदा किया। कक्षा 7 की पुरानी किताब में जजिया-कर को भूमि कर के साथ वसूला जाने वाला कर बताया गया थाजबकि नई किताब प्रामाणिक तथ्यों के साथ इसे एक स्वतंत्र और अलग कर के रूप में पेश करती है।

बाबर की आत्मकथा में बाबर को एक सुसंस्कृत और बौद्धिक रूप से जिज्ञासु व्यक्ति बताया गया हैजबकि ऐतिहासिक तथ्य इसके ठीक विपरीत हैं। उन ऐतिहासिक तथ्यों को नई किताब में शामिल किया गया है। तथ्यात्मक असलियत यही है कि बाबर अत्यंत क्रूर आक्रांतदा था। किताब में बताया गया है कि उसने कई शहरों में नरसंहार किएमहिलाओं और बच्चों को गुलाम बनाया और लूटे गए शहरों के मारे गए लोगों की खोपड़ियों से मीनारें बनवाने पर गर्व महसूस किया। पुरानी किताब में बाबर को केवल एक ऐसा शासक बताया गया था जिसे अपने सिंहासन से हटने के बाद काबुल और फिर दिल्ली और आगरा पर कब्जा करने का अवसर मिला।

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अकबर को नई किताब में एक ऐसा शासक बताया गया है जिसमें सहिष्णुता और क्रूरता दोनों के तत्व थे। नई किताब बताती है कि जब उसने चित्तौड़गढ़ के किले पर आक्रमण कियातो लगभग 30,000 नागरिकों के नरसंहार का आदेश दिया था। किताब के अनुसारअपनी जीत की घोषणा करते हुए अकबर ने कहा था कि उसने काफिरों के किलों और कस्बों पर कब्जा कर इस्लाम की स्थापना की है और तलवार के बल पर मंदिरों को नष्ट कर काफिरों के प्रभाव को मिटा दिया है। कालांतर में अकबर ने विभिन्न धर्मों के प्रति उदारता दिखाईफिर भी प्रशासन में गैर-मुसलमानों की संख्या अल्प ही रही।

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नई किताब औरंगजेब के शासन को राजनीतिक और मजहबी दृष्टिकोणों से देखती है। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि उसके कई निर्णय राजनीतिक थेउसके फरमान यह भी दिखाते हैं कि उसमें मजहबी कट्टरता भी थी। उसने अपने राज्य के गवर्नरों को मंदिरों और धार्मिक शिक्षण संस्थानों को नष्ट करने के आदेश दिए। उसने काशीमथुरासोमनाथ के मंदिरोंजैन धार्मिक स्थलों और सिख गुरुद्वारों को ध्वस्त करने का आदेश दिया।

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पुस्तक यह भी बताती है कि दिल्ली सल्तनत और मुगल शासन के अधीन एक मजबूत प्रशासनिक ढांचा था और 13वीं से 17वीं शताब्दी के बीच आर्थिक गतिविधियां काफी जीवंत थीं। शहरों और बुनियादी ढांचे में काफी प्रगति हुईलेकिन 1600 के दशक के अंत में आर्थिक संकट और दबाव का दौर शुरू हुआ। इसके बावजूदभारतीय समाज ने कस्बोंमंदिरों और अर्थव्यवस्था के अन्य पहलुओं के पुनरनिर्माण में लचीलापन और अनुकूलन क्षमता दिखाई।

अध्याय के अंत में मराठों का वर्णन किया गया हैजिसमें शिवाजी को एक कुशल रणनीतिकार और दूरदर्शी नेता कहा गया है। उन्हें एक धार्मिक हिंदू बताया गया है जो अन्य धर्मों का सम्मान करते थे और अपवित्र हो चुके मंदिरों का पुनरनिर्माण करवाते थे। किताब में मराठों को भारत के सांस्कृतिक विकास में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता माना गया है। पुरानी किताब में शिवाजी को केवल एक कुशल प्रशासक और मराठा राज्य की नींव रखने वाला बताया गया थालेकिन नई किताब में उनके धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को भी महत्व दिया गया है।

नई किताब में दिल्ली सल्तनत के उत्थान-पतनविजयनगर साम्राज्यमुगलों का शासनउनके खिलाफ हुए प्रतिरोध और सिखों के उदय को विस्तार से दर्शाया गया है। गौर करने वाली बात यह भी है कि पहले दिल्ली सल्तनत और मुगल इतिहास की पढ़ाई कक्षा 7वीं में होती थी। लेकिन अब नए पाठ्यक्रम संरचना में बदलाव करते हुएइसे 8वीं कक्षा में शामिल किया गया है। यह नई किताब पहले से कहीं ज्यादा आलोचनात्मकविश्लेषणात्मक और तथ्यों पर आधारित है। इसमें शासकों की धार्मिक और सैन्य नीतियों का खुलकर अंदाजा लगाया गया हैजिसकी जानकारी पहले की किताबों में हल्की फुल्की ही दी गई थी।

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