कोई तो बताए... जमीन पर कहां लगे हैं पौधे?

उत्तर प्रदेश का रिकॉर्ड तोड़ पौधा रोपण अभियान

कोई तो बताए... जमीन पर कहां लगे हैं पौधे?

जितने पौधे रोपे, तो खाली जमीन नहीं बचनी चाहिए

आशीष सागर दीक्षित

लखनऊ/बांदा, 20 जुलाई। उत्तर प्रदेश सरकार ने हर साल की तरह इस बार वर्ष 2025-26 में भी वार्षिक पौधरोपण अभियान के तहत 35 करोड़ पौधे रोपने का दावा किया। बुंदेलखंड में भी वार्षिक कीर्तिमान पौधरोपण को सुगम और सफल बनाने के लिए तमाम कवायद हुई। 35 करोड़ पौधे रोपने के लिए किन-किन नर्सरियों से पौधे लिए गए या उनका पहले कहां-कहां बीजारोपण किया गया, इसके बारे में सरकार ने कोई तथ्य प्रस्तुत नहीं किया है।

पौधे रोपने के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में 5.72 करोड़ पौधे रोपे गए। वित्तीय वर्ष 2018-19 में 11.77 करोड़ पौधेवित्तीय वर्ष 2019-20 में 22.60 करोड़ पौधेवित्तीय वर्ष 2020-21 में 25.87 करोड़ पौधेवित्तीय वर्ष 2021-22 में 30.53 करोड़ पौधेवित्तीय वर्ष 2022-23 में 35.49 करोड़ पौधेवित्तीय वर्ष 2023-24 में 36.16 करोड़ पौधे और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 36.74 करोड़ पौधों का रोपण उत्तर प्रदेश सरकार ने किया। यानि इस दरम्यान कुल 204.88 करोड़ पौधे रोपे गए। सरकार का दावा है 70 से 80 फीसदी पौधे जीवित हैं। बहरहाल, इस वर्ष यूपी सरकार ने 2025 का पौधरोपण लक्ष्य 35 करोड़ रखा है। यह एक जुलाई से प्रारंभ हुआ और सितंबर तक चलेगा। जिसमें अकेले चित्रकूट मंडल के बांदा 64 लाख से अधिक पौधों का रोपण किया जाना है।

सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने हरियाली और खुशहाली के सब्जबाग में विभागों को विगत वर्षों की तर्ज पर 35 करोड़ पौधरोपण की जिम्मेदारी दी। आंकड़ों और निर्देश-दस्तावेजों पर नजर डालें दे तो राजस्व विभाग 1.06 करोड़ पौधरोपणपंचायतीराज विभाग 1.28 करोड़ पौधरोपणउद्यान विभाग 1.55 करोड़ पौधरोपणकृषि विभाग 2.50 करोड़ पौधरोपण,वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग 14 करोड़ पौधरोपण,ग्राम्य विकास विभाग 12.59 करोड़ पौधरोपण और अन्य विभागों पर 2.02 करोड़ पौधों के रोपण की जिम्मेदारी दी गई।

Read More राज्य सरकार हजारों परिवारों को बेघर करने की कर रही कोशिश: टीए सरवण

यूपी के खनन क्षेत्र सोनभद्र में 1.53 करोड़झांसी में 97 लाखलखीमपुर में 95 लाखजालौन में 94 लाखमिर्जापुर में 93 लाख पौधरोपण किए जाने का दावा किया गया है। वहीं अन्य जनपदों में इनकी संख्या प्रकाशित विज्ञापन के मुताबिक ललितपुर में 88 लाख,प्रयागराज में 75 लाखहमीरपुर में 74 लाखचित्रकूट में 73 लाखमहोबा में 71 लाखबांदा में 66 लाखबहराइच में 69 लाखइटावा में 64 लाखचंदौली में 62 लाखकानपुर देहात में 61 लाखबिजनौर में 59 लाखआजमगढ़ में 57 लाखसुल्तानपुर में 54 लाख और लखनऊ में 41 लाख बतलाई गई है।

Read More धर्मांतरण गिरोह से मुक्त हुई बहकी हुई दो सगी बहनें

वर्ष 2021 में फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई) ने देश के जंगलों पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसके अनुसार यूपी बुंदेलखंड के 7 जिलों क्रमशः बांदा का वनक्षेत्र 2.31 प्रतिशत, चित्रकूट का 19.64 प्रतिशतमहोबा का 5.14 प्रतिशतजालौन का 5.42 प्रतिशतहमीरपुर का 5.65  प्रतिशतझांसी का 6.05 प्रतिशत और ललितपुर का वनक्षेत्र 11.54 प्रतिशत था। इस तथ्य को सामने रखें तो हरियाली और खुशहाली के सरकारी आंकड़े बड़े चौंकाने वाले दिखेंगे। पिछले 11 वर्षों में बुंदेलखंड समेत यूपी में जितना पौधरोपण हुआ है यदि वह वास्तविकता में मुक्कमल होता तो लोगों के आवासीय निर्माण के लिए जमीन कम पड़ने लगती। किंतु आंकड़े पब्लिक डोमेन में देने से पूर्व अखबारों और मिडिया संस्थानों जमीनी स्तर पर कोई होमवर्क नहीं किया। सरकार ने कोई सैटलाइट फोटोग्राफी भी जनता के सामने नहीं रखी। ज्यादातर बबूल के झाड़-झखाड़ के बीच आंशिक जीवित पेड़ ही यहां के जंगल हैं। जबकि जंगल एक सतत दीर्घकालिक उगने और निर्मित होने वाली प्रक्रिया है। उपरोक्त विज्ञापन साल 2025 में यूपी सरकार ने दो बार प्रकाशित कराया है। इस पौधरोपण का सरकार ने भी कभी सत्यापनअनुश्रवणविश्लेषण इस वर्ष या पूर्व के वर्षों में नहीं किया है। मीडिया संस्थानों ने सरकार प्रायोजित खबरें और विज्ञापन उत्साहपूर्वक छापे और प्रसारित किए। धन के आगे जमीनी मूल्यांकन कहां होता है। खबरें और विज्ञापन उत्तर प्रदेश के लोगों को हरियाली का आभास देते रहे। बस काम हो गया।

Read More सीएम योगी ने कांवड़ियों पर बरसाए फूल, श्रद्धा का किया सम्मान

आंकड़ों की ऐसी ही बाजीगरी से यूपी में चार बार पौधरोपण का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड बन चुका है। दो दशकीय इस पौधरोपण घोटाले पर बुंदेलखंड के संदर्भ में बांदा से वर्ष 2020 में एक जनहित याचिका 1874/2020 इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दाखिल हुई और वह दाखिल होकर वहीं रह गई, आजतक लंबित है। यह न्यायपालिका की सोची-समझी शिथिलता है। अब तक तीन चीफ जस्टिस हाईकोर्ट में आए लेकिन पर्यावरण की चिंता करने वाली जनहित याचिका पर कोई ध्यान नहीं दिया। किसी को यह सवाल पूछने की कती चिंता नहीं है कि सरकार को एक पेड़ मां के नाम पर जनता से लगवाना हैलेकिन एक्सप्रेस-वेकेन-बेतवा लिंक आदि पर लाखों बुजुर्ग पेड़ सरकार को कटवाना है। ऐसे में पौधरोपण के सलाना बढ़ते पौधरोपण आंकड़ों पर निष्पक्ष जमीनी आकलन मुनासिब होगा लेकिन यह कभी संभव नहीं हो पाएगा।

#उत्तरप्रदेश, #पौधारोपणअभियान, #ग्रीनयूपी, #पर्यावरणसंरक्षण, #सरकारीदावा, #जमीनसच, #UPPlantationDrive, #RecordPlantation