धर्मांतरण गिरोह से मुक्त हुई बहकी हुई दो सगी बहनें

धर्मांतरण गिरोह से मुक्त हुई बहकी हुई दो सगी बहनें

आगरा, 20 जुलाई (एजेंसियां)। धर्मांतरण गिरोह से मुक्त हुईं सगी बहनों के पिता धर्मांतरण गैंग के तौर-तरीकों को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इन पर खुफिया एजेंसियां छानबीन कर रही हैं। इन महानुभाव की बड़ी बेटी पीएचडी की कोचिंग ले रही थी। वहां उसके साथ जम्मू कश्मीर की युवतियां भी पढ़ने आती थीं। इनमें से एक युवती ने बेटी को धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया। उस युवती ने बेटी की मां से भी फोन पर बात की। पिता ने बताया कि इस दौरान युवती की मंशा थी कि ब्रेनवॉश कर पूरे परिवार का ही धर्मांतरण करा दिया जाए।

पता चला कि धर्मांतरण गिरोह के लोग टारगेट चुनते हैं। इसके बाद इंतजार करते हैं। नाबालिग की जगह बालिग को निशाने पर रखते हैं। इसके लिए गैंग को एक-दो साल का इंतजार करते हैं। जैसे ही 18 वर्ष की उम्र पूरी करते हैंउस टारगेट पर गिरोह के सदस्य काम करना शुरू कर देते हैं। ब्रेन वॉश कर धर्मांतरण की कोशिश शुरू कर देते हैं। पुलिस ने बताया कि सदर बाजार स्थित पंजाबी परिवार की बड़ी बेटी एमफिल पास है। वर्ष 2020 में उसकी पहचान जम्मू कश्मीर के उधमपुर निवासी साइमा उर्फ खुशबू से हुई थी। दोनों में दोस्ती हो गई। साइमा आगरा के लाइफ साइंस से पढ़ाई कर रही थी। वर्ष 2021 में साइमा अपने साथ बड़ी बहन को जम्मू कश्मीर ले गई थी। अचानक लैंडस्लाइड हो गया था। उनकी गाड़ी फंस गईं। किसी तरह उन्हें निकाला गया।

तब साइमा ने खुद को रिटायर इंस्पेक्टर की बेटी बताया था। जम्मू कश्मीर पुलिस की सूचना पर परिजन बेटी को वापस लेकर आए थे। बेटी के घर पहुंचने पर परिवार के लोगों को पता चला कि वह पूजा-पाठ करने से इन्कार कर रही है। वह इस्लाम को मानने लगी थी। वह कई लोगों से फोन पर बातचीत किया करती थी। डाक से उसके पास इस्लाम से संबंधित किताबें आया करती थीं। कई बार घर के पास स्थित मस्जिद से सुबह अजान सुनकर वह उठ जाती थी। नमाज पढ़ने लगी थी। इस पर परिवार के लोग घबरा गए थे। उन्होंने उससे बात की मगर वह मानने के लिए तैयार नहीं हुई। उसकी विशेषज्ञ से काउंसलिंग कराई गई। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि बड़ी बेटी छोटी का भी ब्रेन वॉश कर देगी। 24 मार्च को दोनों बहनें घर से निकल गईं। इसके बाद दिल्ली पहुंचीं और वहां से कोलकाता चली गई थीं। परिजन का उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा था।

कोलकाता में दोनों बहनों को बैरकपुर निवासी रीत बनिक उर्फ मोहम्मद इब्राहिम मिला। उसने उनके रहने का इंतजाम मुस्लिम बस्ती में कराया। वहां पहुंचने पर छोटी बहन का भी धर्मांतरण करा दिया गया। दोनों ने अपने नाम भी बदल लिए थे। बड़ी का अमीना तो छोटी का जोया रख दिया गया। गिरोह में शामिल सदस्य पूरी तैयारी किए हुए थे। वह कहीं चली न जाएं इसलिए गिरोह के सदस्य उनका निकाह कराने के लिए मुस्लिम लड़का देख रहे थे। एक बार दोनों बहनें निकाह कर लेतीं तो उनका वापस लौट पाना बेहद ही मुश्किल हो जाता। दोनों सोशल मीडिया पर इस्लाम के पक्ष में मुहिम भी चला रही थीं।

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बहनों के लापता होने का मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व डीजीपी राजीव कृष्ण तक पहुंच गया था। एडीजी ला एंड ऑर्डर अमिताभ यश पूरे मामले को देख रहे थे। लगातार आगरा पुलिस से अपडेट लिया जा रहा था। लापता बहनों की तलाश के लिए पुलिस ने सोशल मीडिया अकाउंट खंगालना शुरू किया था। इस पर एक अकाउंट मिला। वह बड़ी बहन का था। उसने एके-47 लेकर प्रोफाइल पिक्चर लगा रखी थी। उसे देखकर पुलिस हैरान रह गई। इससे बड़े मामले का पता चला था।

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दोनों बहन चार हजार रुपएप्रमाणपत्र आदि सामान लेकर घर से गई थीं। परिवार का कोई व्यक्ति उनके संपर्क में न आए इसलिए मोबाइल तक घर पर छोड़ दिए थे। परिजन ने पुलिस को तहरीर देते हुए कहा था कि 26 फरवरी 2021 को बड़ी बेटी पहले भी घर से जा चुकी है। उसे वह उधमपुर थाना पुलिस के सहयोग से वापस लेकर आए थे। मगर सदर थाना पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया था। चार मई 2025 को गुमशुदगी को अपहरण के मुकदमे में तरमीम किया गया था। परिजन पुलिस थाने और एसीपी सदर कार्यालय के चक्कर काट रहे थे।

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