ऊर्जा विभाग अपने पास रखें मुख्यमंत्री

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने उठाई मांग

 ऊर्जा विभाग अपने पास रखें मुख्यमंत्री

ऊर्जा मंत्री साजिशन बिजली निगमों को कर रहे बदनाम

लखनऊ, 28 जुलाई (एजेंसियां)। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समितिउत्तर प्रदेश ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से निवेदन किया है कि वे स्वयं ऊर्जा विभाग अपने पास ले लें और निजीकरण का निर्णय निरस्त कर दें तो बिजली कर्मी द्विगुणित उत्साह के साथ उपभोक्ताओं को बेहतर विद्युत आपूर्ति सेवा देने हेतु कृतसंकल्प हैं। बिजली कर्मियों का उन पर पूरा विश्वास है। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण के एजेंडे के तहत देश में सर्वाधिक विद्युत आपूर्ति करने वाले उत्तर प्रदेश के ऊर्जा निगमों को बेवजह बदनाम नाम किया जा रहा है। वस्तुत: देश में सर्वाधिक विद्युत आपूर्ति करने वाले ऊर्जा निगम उत्तर प्रदेश का गौरव हैं।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समितिउत्तर प्रदेश की कोर कमेटी की आज हुई बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर माननीय मुख्यमंत्री जी से ऊर्जा विभाग का दायित्व अपने पास लेने का निवेदन किया गया। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मियों ने भीषण गर्मी के दौरान सीमित संसाधनों के बावजूद सर्वाधिक बिजली आपूर्ति का नया राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाया है। यद्यपि बिजली कर्मी निजीकरण के विरोध में आंदोलनरत है किंतु बिजली कर्मियों ने अपने आंदोलन के साथ उपभोक्ता सेवा को सदैव सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। निजीकरण का एजेंडा लेकर चलने वाले लगातार मिल रही सफलता को विफलता में बदल देने पर तुले हुए हैं। संघर्ष समिति ने कहा जो लोग ऊर्जा विभाग में शीर्ष पदों पर हैं और जो संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए विद्युत वितरण निगमों को असफल बता रहे हैंदरअसल इसके पीछे उनका निजीकरण का एजेंडा हैउन्हें अपने पदों से त्यागपत्र दे देना चाहिए। संघर्ष समिति ने कहा कि संघर्ष समिति के साथ लिखित समझौता कर मुकर जाने वाले ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा बिजली कर्मियों का विश्वास पहले ही खो चुके हैं। अब ऊर्जा मंत्री और पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष के बीच मचे घमासान में आम जनता पिस रही है। ऐसे में आम जनता के हित में मा मुख्यमंत्री जी को ऊर्जा विभाग अपने पास रखना चाहिए।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समितिउत्तर प्रदेश के केंद्रीय पदाधिकारियों ने आज यहां कहा कि मुख्यमंत्री की प्रदेश की बिजली व्यवस्था के प्रति चिंता सर्वथा उचित है। उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारीसंविदा कर्मीजूनियर इंजीनियर और अभियंता माननीय मुख्यमंत्री के प्रति पूरा विश्वास रखते हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में लगातार सुधार कर रहे बिजली कर्मियों के प्रयास से 2017 में चल रही 41 प्रतिशत लाइन हानियां घटकर अब 15 प्रतिशत से नीचे आ गई हैं। एक वर्ष के अंदर अंदर उत्तर प्रदेश के विद्युत वितरण निगमों की लाइन हानियां राष्ट्रीय मानक से काफी नीचे आ जाएंगी इसकी पूरी संभावना है। उन्होंने कहा कि विद्युत वितरण निगमों में सुधार के लिए केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश को 44000 करोड़ रुपए मिला है। निजीकरण का एजेंडा चलाने वाले इस धनराशि को खर्च करके विद्युत वितरण निगमों को कौड़ियों के मोल निजी घरानों को बेचना चाहते हैं। बिजली कर्मचारी उपभोक्ताओं की सेवा को बनाए रखते हुए इसी के विरोध में गत आठ माह से आंदोलनरत है।

संघर्ष समिति ने कहा कि 65 दिन चले महाकुंभ के दौरान बिजली कर्मियों ने दिन रात काम किया और महाकुंभ में पल मात्र के लिए भी बिजली का व्यवधान नहीं आने दिया। बिजली कर्मियों के अथक प्रयास से ही महाकुंभ की बिजली व्यवस्था की आज पूरे विश्व में चर्चा हो रही है। महाकुंभ भारत की सांस्कृतिक विरासत है और 2025 के महाकुंभ का सबसे बड़ा आकर्षण उच्च कोटि की बिजली व्यवस्था थी जिसे सरकारी क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों ने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कर दिखाया। संघर्ष समिति ने कहा कि निजीकरण का एजेंडा लेकर चलने वाले झूठे आंकड़े देकर वित्तीय संकट का हौआ खड़ा कर रहे हैं। संघर्ष समिति ने कहा कि सरकारी विभागों का बिजली राजस्व का बकाया और सब्सिडी की धनराशि को घाटे में जोड़कर निजीकरण का तर्क दिया जा रहा है। सरकारी विभागों का बिजली राजस्व का बकाया मिल जाए तो उत्तर प्रदेश के विद्युत वितरण निगम किसी घाटे में नहीं हैं ।

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संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों की एक लाख करोड़ रुपए की परिसम्पत्तियों को बेचने के लिए रिजर्व प्राइस मात्र 6500 करोड़ रुपए रखना और 42 जनपदों की सारी जमीन मात्र एक रुपए की लीज पर निजी घरानों को सौंप देना यह ऐसे कदम है जो उत्तर प्रदेश सरकार को बदनाम करने के लिए उठाए जा रहे हैं। निजीकरण के विरोध में आज अवकाश के दिन बिजली कर्मचारियों ने समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर व्यापक जनसंपर्क किया और आम जनता को यह बताने का प्रयास किया कि निजीकरण के बाद बिजली इतनी महंगी हो जाएगी कि वह किसानोंगरीब उपभोक्ताओं और आम घरेलू उपभोक्ताओं की पहुंच से दूर हो जाएगी। निजीकरण हुआ तो उत्तर प्रदेश की अधिकांश गरीब जनता लालटेन युग में चली जाएगी। 

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