भारत अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए दृढ़ है

ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने दिया दुनिया को संदेश

भारत अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए दृढ़ है

शेर मेंढक मारे तो अच्छा संदेश नहीं : राजनाथ

लोकसभा में शुरू हुई ऑपरेशन सिंदूर पर बहस

संघर्ष रोकने के निर्णय में कोई तीसरा पक्ष नहीं

पाकिस्तानी डीजीएमओ के आग्रह पर रुका संघर्ष

 

नई दिल्ली, 28 जुलाई (एजेंसियां)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज लोकसभा में भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर पर शुरू हुई 16 घंटे की चर्चा में कहा कि लड़ाई हमेशा बराबरी वालों से की जाती हैशेर कभी मेंढक पर हमला नहीं करता। पाकिस्तान पर हमला कर भारत अपना स्तर खराब नहीं करेगा। उन्होंने कहाआतंकवाद को समर्थन देने वालों को यह स्पष्ट संदेश चला गया है कि भारत अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध है। रक्षा मंत्री ने विपक्षी दलों से आह्वान कियाआइए हम सभी दलगत भेदभाव से ऊपर उठकरसंगच्छध्वं संवदध्वं के मंत्र से प्रेरणा लेकर एक साथ खड़े हों। हम इस राष्ट्रीय संकल्प को मजबूत करेंयही हम सबका राष्ट्रीय दायित्व है। रक्षा मंत्री ने कहायह समय एकजुट होकर अपनी सुरक्षासंप्रभुता और आत्मसम्मान की रक्षा के संकल्प को और अधिक मजबूत करने का है। हमें यह याद रखना होगा कि हमारी सामाजिक और राजनीतिक एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

पाकिस्तान के दुस्साहस को दिए गए भारत के मुंहतोड़ जवाब का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्री ने पूरी दुनिया को बड़ा संदेश दिया। उन्होंने संसद के मंच से एक बार फिर साफ किया कि पाकिस्तान और भारत के बीच 10 मई को थमी गोलाबारी के पीछे कोई तीसरा पक्ष नहीं थादेशों के डीजीएमओ की बातचीत के बाद संघर्ष रुका। राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की सेना ने पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने में पूरी सफलता पाई है। भारतीय सेना को किसी भी तरह की सैन्य क्षति नहीं हुई है। राजनाथ सिंह ने विपक्षी दलों को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने सभी सवालों के जवाब दिए और कहा कि संसद को एक सुर में देश की सेना के पराक्रम को सलाम करना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में देश की नीति को रेखांकित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहावर्ष 2015 में जब प्रधानमंत्री मोदी जी ने लाहौर जाकर नवाज शरीफ से मुलाक़ात कीतो भारत ने फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। हम वाकई शांति की राह पर चलना चाहते थे क्योंकि हमारी मूल प्रकृति बुद्ध की हैयुद्ध की नहीं।

भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद 10 मई को थमी गोलाबारी के पीछे की वजह साफ करते हुए संसद के पटल पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कियापाकिस्तान के सैन्य ऑपरेशन के महानिदेशक (डीजीएमओने भारत के डीजीएमओ से संपर्क किया और सैन्य कार्रवाइयों रोकने की अपील की। उन्होंने कहामैं सदन में यह बात फिर से दोहराना चाहूंगा कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से संपर्क किया और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने की अपील की। इसके बाद 12 मई को दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच औपचारिक संवाद हुआ और दोनों पक्षों ने सैन्य कार्रवाइयों पर विराम लगाने का निर्णय लिया।

राजनाथ ने कहा, साल 2017 में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में पहली बार आतंकवाद से लश्कर ए तैयबा और जैशे मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों को जोड़ा गया। हमने दुनिया को बताया कि आतंकवाद के खिलाफ हम सरहद के इस पार भी मारेंगे और जरूरत पड़ी तो आतंकियों के घर में भी घुस कर मारेंगे। यह बदलाव प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आया है। उन्होंने कहा, अभी कुछ सप्ताह पहले मुझे एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में मुझे चीन जाना पड़ा था। वहां आतंकवाद पर भारत का स्टैंड कमजोर हो रहा था। हमने साफ कह दिया कि जब तक आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का स्टैंड नहीं रखा जाएगा हम किसी संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे। जब प्रधानमंत्री ब्रिक्स की बैठक में ब्राजील गए तो चीन की मौजूदगी में जो ज्वाइंट डेक्लरेशन आया उसमें जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले की निंदा की गईयानि अंततः भारत की बात मानी गई। ब्रिक्स सम्मेलन के इतिहास में पहली बार जम्मू-कश्मीर में हुई किसी आतंकी घटना की खुल कर निंदा की गई।

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2008 के मुंबई आतंकी हमले का जिक्र कर रक्षा मंत्री ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीएसरकार के दौरान विदेश मंत्री रहे प्रणब मुखर्जी की किताब का उल्लेख किया। उन्होंने कहाप्रणब मुखर्जी ने अपनी पुस्तक द कोएलिशन ईयर्स में लिखा है कि जब मुंबई पर हमला हुआ तो भारत के पास सबूत थे कि आतंकवादी कराची बंदरगाह से आए थे। पाकिस्तान नॉन-स्टेट एक्टर्स का बहाना बना रहा थाजिसे पूरी दुनिया में उसके सहयोगी भी मानने को तैयार नहीं थे। किताब के अंश को उद्धृत कर राजनाथ सिंह ने कहाप्रणब मुखर्जी ने लिखा हैकैबिनेट के भीतर गरमागरम बहस के बीचसैन्य हस्तक्षेप की मांग की गई थी जिसे मैंने खारिज कर दिया।

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रक्षा मंत्री ने कहाभारतीय विदेश सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी अपनी किताब में इस बात की पुष्टि की है कि मुंबई हमले के तुरंत बाद एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। इसमें तत्कालीन विदेश मंत्री प्रणब दा ने पूछा था कि क्या किया जाना चाहिए। इस पर विदेश सचिव शिवशंकर मेनन ने सुझाव दिया था कि भारत मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय पर क्रूज मिसाइल से हमला कर सकता है। यह सुनकर प्रणब दा ने अपना चश्मा उतारकर साफ किया और सभी अधिकारियों को धन्यवाद देकर बैठक समाप्त कर दी थी।

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रक्षा मंत्री ने कहाउस समय की सरकार ने भी अगर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की एयर स्ट्राइक जैसे निर्णायक और कठोर कदम उठाए होते तो पाकिस्तानी रणनीति बदल सकती थी। एक सशक्त और निर्णायक एक्शनपाकिस्तान और उसकी सेना से समर्थित आतंकी संगठनों को हतोत्साहित करने वाला बड़ा झटका साबित हो सकता था।

उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में इसी साल 22 अप्रैल को हुए कायराना आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने 6-7 मई की दरम्यानी रात ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। पाकिस्तानी सीमा के भीतर दहशतगर्दों के पनाहगाह को नेस्तनाबूद करने के बाद भारत के सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों ने 33 देशों की राजधानियों का दौरा कर पाकिस्तान और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार की नीतियों को बेनकाब किया। शिष्टमंडलों ने अल्जीरियाडेनमार्कब्रिटेनइथियोपियाफ्रांसइटली जैसे देशों में भारत का पक्ष मजबूती से रखा। ग्रीसबहरीनकतररूसजापान और यूएई जैसे देशों में भी दहशतगर्दों के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति बताई गई। वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की कूटनीतिक मुहिम के तहत अलग-अलग दलों में शामिल 51 सांसदों के अलावा कई राजनयिकपूर्व केंद्रीय मंत्री और राजनयिकों ने पाकिस्तानी दुष्प्रचार को धराशाई किया। अब संसद के मानसून सत्र में पहलगाम और ऑपरेशन सिंदूर पर विस्तृत चर्चा हुई।

पहलगाम हमले में शामिल आतंकी का खात्मा!

श्रीनगर, 28 जुलाई (एजेंसियां)। भारतीय सुरक्षाबलों द्वारा चलाए गए ऑपरेशन महादेव में हासिम मूसा समेत 3 कुख्यात आतंकी ढेर हो गए। एनकाउंटर जारी है। बताया गया है कि मरने वाले आतंकियों में पहलगाम हमले में शामिल आतंकी भी शामिल है। हालांकि इसकी अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

जम्मू-कश्मीर में चल रहे ऑपरेशन महादेव के तहत श्रीनगर के लिदवास स्थित हारवन जंगल क्षेत्र में आज सुरक्षाबलों ने तीन आतंकियों सुलेमान साहाअबु हमजा और यासिर को मार गिराया। सेना के चिनार कोर के अनुसारमुठभेड़ दिन में 11:30 बजे शुरू हुई। 24 राष्ट्रीय राइफल्स और 4 पैरा रेजिमेंट ने आतंकियों को घेर लिया और मुठभेड़ शुरू हो गई। मुठभेड़ में मारे गए आतंकी सुलेमान साहा को स्थानीय मीडिया हासिम मूसा बता रहा हैजो पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड था। इसकी आधिकारिक पुष्टि होनी बाकी है। आतंकियों के पास से एक एम4 कार्बाइन असॉल्ट राइफल और दो एके सीरीज की राइफलें समेत भारी मात्रा में गोलियां और ग्रेनेड बरामद हुए हैं। ऑपरेशन अभी जारी है। एक अन्य आतंकी की तलाश चल रही है

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