पुनर्जीवित हो रही तमसा नदी, पांच जिलों में लौटने लगी हरियाली

 पुनर्जीवित हो रही तमसा नदी, पांच जिलों में लौटने लगी हरियाली

लखनऊ28 जुलाई (एजेंसिय़ां)। पूर्वांचल की जीवनरेखा कही जाने वाली तमसा नदी को नया जीवन मिल रहा है। तमसा नदी के पुनर्जीवन अभियान से आजमगढ़ जिले की 121 ग्राम पंचायतों में हरियाली लौट रही है। ऋषि दुर्वासाचंद्रमा ऋषि और ऋषि दत्तात्रेय की तपोभूमि पर बहती तमसा नदी अब फिर से पूर्वांचल के किसानों के लिए संजीवनी बन रही है। तमसा नदी अयोध्याअंबेडकर नगरआजमगढ़मऊ और बलिया से होकर गुजरती है। इसके पुनरुद्धार से इन जिलों में बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों को इसका लाभ मिलेगा। वर्तमान में तमसा नदी जनपद आजमगढ़ के अहरौलामिर्जापुरतहबरपुररानी की सरायपल्हनीबिलरियागंज और सठियांव विकासखंडों की 121 ग्राम पंचायतों से होते हुए मऊ जनपद में प्रवेश करती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन को राज्य स्वच्छ गंगा मिशन और जिला गंगा समितियां मिलकर साकार कर रहे हैं।

Tamsa Nadi ka punruddhar - 2

तमसा नदी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हैबल्कि यह पूर्वांचल की कृषि और पर्यावरण के लिए भी जीवनदायिनी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऋषि दुर्वासाचंद्रमा ऋषि और ऋषि दत्तात्रेय की तपोभूमियों को फिर से हरा-भरा बनाने का संकल्प लियाजिसके परिणामस्वरूप यह क्षेत्र अब एक बार फिर समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहा है। आजमगढ़ के मुख्य विकास अधिकारी परीक्षित खटाना ने बताया कि तमसा नदी आजमगढ़ जिले में 89 किलोमीटर और कुल मिलाकर 264 किलोमीटर लंबी हैजो अयोध्याअंबेडकरनगरआजमगढ़ऊ और बलिया जिलों से होकर गुजरती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर आजमगढ़ में तमसा नदी पर अभियान चलाकर काम किया जा रहा है। तमसा नदी के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए 29 जुलाई को आजमगढ़ में सभी विभागों के प्रमुख अधिकारी जुटेंगे।

तमसा नदी के पुनर्जीवन से किसानों को बड़ी राहत मिल रही है। अयोध्याअंबेडकर नगरआजमगढ़मऊ और बलिया के लाखों किसानों को अब सिंचाई की बेहतर सुविधा मिल रही हैजिससे खेतों की उत्पादकता में बढ़ोत्तरी हुई है। ग्राम पंचायतों में हरियाली लौटने के साथ-साथ ग्रामीण आजीविका के नए रास्ते भी खुले हैं। आजमगढ़ के डीएफओ पीके पांडे ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर तमसा नदी के दोनों किनारों पर पौधारोपण भी कराया जा रहा है। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ भूजल स्तर में भी सुधार हो रहा है।

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तमसा नदी केवल खेती के लिए ही नहींबल्कि अपनी धार्मिक विरासत के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां दुर्वासा ऋषि आश्रम तमसा और मंजूषा नदी के संगम पर स्थित है। यहां श्रावणकार्तिक मास सहित कई पर्वों पर तीन से चार लाख तक श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। चंद्रमा ऋषि आश्रम तमसा और सिलनी नदी के संगम पर स्थित हैजहां राम नवमी और कार्तिक पूर्णिमा को विशेष मेले लगते हैं। दत्तात्रेय मंदिर तमसा और कुंवर नदी के संगम पर स्थित है। यहां शिवरात्रि पर भव्य मेला आयोजित होता है। जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।

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