बात हुई... पर बात बनी नहीं
रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने को लेकर अलास्का में मिले पुतिन और ट्रंप
दोनों राष्ट्र प्रमुखों ने दो घंटे 45 मिनट की वार्ता को अहम बताया
12 मिनट में प्रेस-वार्ता खत्म, पौने तीन घंटे की वार्ता पर रहे मौन
अगली वार्ता के लिए पुतिन ने ट्रंप को रूस बुलाया, ट्रंप की सहमति
भारत ने युद्ध समाप्त करने की पहल का तहेदिल से स्वागत किया
वाशिंगटन, 16 अगस्त (एजेंसियां)। यूक्रेन युद्ध की समाप्ति को लेकर अलास्का में हुए महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच कोई निर्णायक सहमति नहीं बन पाई। हालांकि दोनों शीर्ष नेताओं ने बैठक को काफी लाभदायक बताया। पुतिन ने ट्रंप को अगली बैठक के लिए मास्को आमंत्रित किया जिस पर ट्रंप ने सहमति जताई। इन दोनों नेताओं की मुलाकात पर यूक्रेन सहित दुनियाभर की निगाहें टिकी थीं। अलास्का के एल्मेडॉर्फ-रिचर्डसन सैन्य बेस पर रूस के राष्ट्रपति पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच बंद कमरे में बैठक हुई। जिसमें ट्रंप के साथ मार्को रूबियो, विटकॉफ और पुतिन के साथ सर्गेई लावरोव, वित्त मंत्री एंटोन सिलुआनोव और आर्थिक सलाहकार किरिल दिमित्रिएव भी मौजूद थे। अलास्का में ट्रंप-पुतिन की मुलाकात का भारत ने तहेदिल से स्वागत किया है। भारत सरकार ने कहा, संवाद से ही शांति की राह बनेगी।
इस बहुप्रतीक्षित बैठक के लिए रूसी राष्ट्रपति पुतिन के अलास्का पहुंचने पर उनका गर्मजोशी भरा स्वागत हुआ। पुतिन के पहुंचने से पहले ही ट्रंप वहां पहुंच चुके थे और पुतिन के पहुंचने के बाद दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया। दोनों नेता एक ही कार में सम्मेलन स्थल के लिए रवाना हुए। शांति की खोज की पृष्ठभूमि में आयोजित इस महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन में पिछले तीन साल से भी ज्यादा समय से रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ति का मुद्दा केंद्रीय था। इन दोनों शीर्ष नेताओं के बीच साल 2019 के बाद यह पहली आमने-सामने की बैठक थी। करीब दो घंटे 45 मिनट की बातचीत के बाद दोनों नेताओं ने कहा कि सम्मेलन में उन्होंने यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने की दिशा में प्रगति की है लेकिन वे ऐतिहासिक शांति समझौते पर नहीं पहुंच पाए।
साझा प्रेस कांफ्रेंस में ट्रंप ने कहा कि उनकी बैठक काफी उपयोगी रही और कई मुद्दों पर सहमति भी बनी। हालांकि कुछ बड़ी बाधाओं के समाधान तक अभी नहीं पहुंचा जा सका है लेकिन उसमें भी प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि जब तक कोई समझौता अंतिम नहीं हो जाता, तब तक कोई समझौता मान्य नहीं होगा। ट्रंप ने यह भी कहा कि वे इस मामले में हुई बातचीत का ब्यौरा यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से भी साझा करेंगे और नाटो से भी उनकी बातचीत होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि इस मुद्दे पर जल्द ही दोबारा मिलेंगे।
इस दौरान रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने ट्रंप को रूस आने का न्यौता देते हुए कहा कि अगली बार मॉस्को में। जिसके जवाब में ट्रंप ने भी कहा कि वे इसे होते देख सकते हैं। पुतिन ने दोहराया कि यूक्रेन की भौगोलिक स्थिति उनके देश की सुरक्षा के लिए बुनियादी खतरा है। उन्होंने कहा कि सभी प्राथमिक कारणों को खत्म करके ही इस मुद्दे पर स्थायी और दीर्घकालिक समझौते तक पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने की राष्ट्रपति ट्रंप की बात का वे स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि आज जिन बिंदुओं पर बात हुई है उससे शांति के लक्ष्य तक पहुंचने में मदद मिलेगी। हालांकि 12 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों नेताओं ने बंद कमरे में हुई दो घंटे 45 मिनट की बातचीत का कोई ब्यौरा नहीं दिया। दोनों नेताओं ने पत्रकारों के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। संयुक्त प्रेस वार्ता में पुतिन ने कहा, जब राष्ट्रपति ट्रंप कहते हैं कि अगर वे राष्ट्रपति होते तो यूक्रेन युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता तो मैं इससे पूरी तरह सहमत हूं। मुझे भी यकीन है कि ऐसा नहीं होता। मैंने 2022 में पिछली अमेरिकी सरकार के साथ आखिरी बातचीत में यह साफ तौर पर कहा था कि स्थिति को प्वाइंट ऑफ नो रिटर्न यानि युद्ध की ओर नहीं ले जाना चाहिए। मैंने तब सीधे तौर पर कहा था कि ऐसा करना बहुत बड़ी गलती होगी।
यूक्रेन के साथ टकराव में रूस की मांग है कि डोनबास, खेरसॉन से यूक्रेन अपनी सेना हटाए, नाटो की सदस्यता की महत्वाकांक्षा छोड़ अपनी सेना को सीमित करे और उसे पश्चिमी देशों की सैन्य मदद खत्म हो। जबकि यूक्रेन का कहना है कि वह अपनी जमीन नहीं छोड़ेगा। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बार-बार दोहराया है कि यूक्रेन के बिना कोई शांति समझौता सफल नहीं होगा। पुतिन और ट्रंप की वर्ष 2019 के बाद पहली बार मुलाकात से यूक्रेन में हालात बदलने की उम्मीद जताई जा रही है।
अलास्का में बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने पुतिन को अपनी शक्ति का भी अहसास कराया। पुतिन एंकरोज के एल्मेडॉर्फ-रिचर्डसन सैन्य बेस पर जब ट्रंप से मिल रहे थे तो उनके सिर के ऊपर से अमेरिकी लड़ाकू विमान बी-2 बॉम्बर गुजरे। इसके बाद पुतिन ने आसमान की ओर देखा। बी-2 बॉम्बर विमान हवाई सुरक्षा में प्रवेश करने तथा कठोर लक्ष्यों पर सटीक हमला करने में सक्षम है। अमेरिका ने ईरान पर इसी लड़ाकू विमान से हमला किया था। लेकिन दूसरी तरफ पुतिन के स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ी। अलास्का एयरबेस पर पुतिन के लिए खास रेड कारपेट बिछाया गया था। ट्रंप ने यहां काफी देर पुतिन का इंतजार भी किया। इससे पहले जब पुतिन अपने विमान से उतरने वाले थे तो अमेरिकी सैनिक घुटने के बल बैठकर उनके लिए रेड कारपेट सही करते नजर आए। यूक्रेन की स्टेट एजेंसी फॉर रेस्टोरेशन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के पूर्व प्रमुख मुस्तफा नईम ने तस्वीर पोस्ट की और लिखा कि घुटने टेकने को फिर से महान बनाओ।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वार्ता को बहुत अच्छा बताया। उन्होंने वार्ता को 10 में से 10 अंक दिए। ट्रंप ने कहा कि यह मुलाकात बहुत गर्मजोशी भरी रही। पुतिन एक मजबूत इंसान हैं, वह इन सब मामलों में बेहद सख्त हैं, लेकिन यह मुलाकात दो बेहद अहम देशों के बीच बहुत गर्मजोशी भरी रही। मुझे लगता है कि हम समझौते के काफी करीब हैं। अब देखिए, यूक्रेन को इसके लिए राजी होना ही होगा। अगर दोनों पक्ष राजी हो जाते हैं तो दोनों देश हर सप्ताह हजारों मौतों को रोक सकते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अपनी पत्नी मेलानिया ट्रंप का पत्र सौंपा। इसमें यूक्रेन और रूस में बच्चों की दुर्दशा का मुद्दा उठाया गया था। उनके पत्र में युद्ध के दौरान बच्चों के अपहरण का उल्लेख था।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रेस वार्ता में कहा, हम देख सकते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप और उनकी सरकार यूक्रेन संघर्ष को सुलझाने के लिए गंभीर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने इस मामले की जड़ों को समझने की कोशिश की है, जो हमारे लिए अहम है। पुतिन ने कहा कि यूक्रेन की स्थिति रूस की सुरक्षा के लिए एक मूलभूत खतरा बन गई है। लेकिन अगर युद्ध को स्थायी रूप से खत्म करना है तो संघर्ष के मूल कारणों को दूर करना जरूरी होगा। उन्होंने कहा कि हम कई बार कह चुके हैं कि रूस की वैध सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए और यूरोप तथा पूरी दुनिया में सुरक्षा का एक न्यायसंगत संतुलन बहाल किया जाना चाहिए। अलास्का से रवाना होने से पहले ट्रंप ने कहा कि युद्धविराम के मामले में आगे की जिम्मेदारी यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की की है कि वे इसे पूरा करें, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि इसमें यूरोपीय देशों देशों की भी कुछ भागीदारी होगी। उधर, व्हाइट हाउस ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से बात की। ट्रंप ने नाटो नेताओं से भी फोन पर लंबी बात की।
अलास्का में ट्रंप-पुतिन की मुलाकात का भारत ने तहेदिल से स्वागत किया है। भारत सरकार ने कहा, संवाद से ही शांति की राह बनेगी। भारत के विदेश मंत्रालय ने अलास्का शिखर सम्मेलन का स्वागत किया और अमेरिका तथा रूस के बीच हुई वार्ता को शांति की दिशा में अहम बताया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, वार्ता में हुई प्रगति की भारत सराहना करता है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यह पहल वैश्विक शांति की दिशा में एक अहम कदम है। भारत इस वार्ता में हुई प्रगति की सराहना करता है और मानता है कि आगे का रास्ता केवल संवाद और कूटनीति से ही निकल सकता है। मौजूदा समय में पूरी दुनिया की नजर यूक्रेन युद्ध पर है और सभी चाहते हैं कि इस संघर्ष का जल्द से जल्द अंत हो। भारत की हमेशा से यही नीति रही है कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। उन्होंने दोहराया कि बातचीत और आपसी समझ ही शांति का सबसे बड़ा माध्यम है।
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