मतदाता सूची से हटाए गए करीब 66 लाख नाम जारी
चुनाव आयोग ने एसआईआर के नतीजे सार्वजनिक किए
कुल 65.89 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटे
केवल 28,370 आपत्तियां मिलीं, राजनीतिक दल लापता
नई दिल्ली/पटना, 18 अगस्त (एजेंसियां)। भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद हटाए गए 65 लाख वोटरों का विवरण पब्लिक डोमेन में जारी कर दिया है। भारत निर्वाचन आयोग के मतदाता सेवा पोर्टल पर बिहार के 65 लाख वोटरों की सूची जारी की गई है, जिन्हें मतदाता सूची से बाहर कर दिया गया है। आयोग ने बताया कि जिन नामों को ड्राफ्ट मतदाता सूची से हटाया गया है, वे एएसडी (एबसेंट, शिफ्टेड, डेड) श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। इनमें मृतक मतदाता, स्थानांतरित मतदाता, गैरमौजूद या दोहरे पंजीकरण वाले मतदाता शामिल हैं।
आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, हटाए गए नामों में से लगभग 36 लाख लोग स्थायी रूप से पलायन (माइग्रेट कर चुके हैं, जबकि 22 लाख मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है। शेष नाम अनुपस्थित या दोहराव की श्रेणियों में आते हैं। बिहार में कुल मतदाताओं की संख्या 7.89 करोड़ है। पहले मसौदा मतदाता सूची में 7.24 करोड़ नाम शामिल थे। इसके बाद विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के पहले चरण में 65 लाख नामों को हटा दिया गया था। इस पर विपक्षी दलों ने जबरदस्त आपत्ति जताई और बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे भारत निर्वाचन आयोग को निशाने पर ले लिया। बिहार में मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान पूरे जुलाई महीने विपक्ष ने आयोग को परेशान किए रखा। फिर एक अगस्त को इस पुनरीक्षण के बाद आयोग ने जब मृत/स्थायी तौर पर मतदान क्षेत्र छोड़ जाने/क्षेत्र में नहीं रहने/दो जगह में से एक जगह के वोटर लिस्ट से हटाने की जानकारी देते हुए 65 लाख वोटरों को हटाने का ऐलान किया तो विपक्ष ने हमले तेज कर दिए। यह हमला वोट चोरी के अभद्र नारे तक पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने भी आयोग को इन 65 लाख वोटरों की सूची जारी करने के लिए कह दिया। चुनाव आयोग ने सोमवार 18 अगस्त को यह जारी कर दिया।
निर्वाचन आयोग के पास 15 अगस्त को शाम चार बजे के पहले तक 28,370 मतदाताओं के दावा-आपत्ति के आवेदन मिले थे। आयोग के अनुसार यह ऐसे आवेदन हैं, जो मृत लोगों को हटाने या हट गए जीवित लोगों को पुन: मतदाता सूची में शामिल करने के लिए आए थे। राजनीतिक दलों से एक भी दावा-आपत्ति का आवेदन नहीं मिला था। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के 14 अगस्त के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने यह सूची प्रकाशित की है। लिस्ट में उन मतदाताओं के नाम शामिल हैं, जिनके नाम बिहार में एसआईआर के बाद प्रकाशित मसौदा सूची से हटाए गए थे। मतदाताओं को अपने नाम आसानी से जांचने में मदद करने के लिए ईसी बिहार की वेबसाइट पर एक नया लिंक भी सक्रिय किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को गुरुवार को निर्देश दिया था कि वह बिहार की मतदाता सूची के एसआईआर में पारदर्शिता बढ़ाए। इसके लिए मसौदा मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण प्रकाशित करे। साथ ही उन्हें शामिल न करने के कारण भी बताए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बिहार में मतदाता सूची की एसआईआर कराने के 24 जून के आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने टेलीविजन समाचार चैनलों और रेडियो के माध्यम से व्यापक प्रचार करने पर जोर दिया, ताकि लोगों को उन स्थानों के बारे में जानकारी दी जा सके जहां सूची उपलब्ध होगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि नाम हटाए जाने से जिन लोगों को दिक्कत है, उन्हें अपने आधार कार्ड के साथ निर्वाचन अधिकारियों से संपर्क करने की अनुमति दी जाती है। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 अगस्त की तारीख निर्धारित करते हुए आयोग से उसके निर्देश की पालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। इससे पहले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से उन दस्तावेजों की जानकारी देने को कहा, जिन पर बिहार में 2003 के गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान विचार किया गया था।
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