बहाउद्दीन बहार और उसकी बेटी को कैसे मिली नागरिकता?
सीएए लाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जवाब दें...
बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार का दोषी पूर्व सांसद भारत में कैसे घुसा?
कोलकाता में बहार को आलीशान सुविधाएं कैसे हासिल हुईं?
इस अपराध की दोषी भारत सरकार या प. बंगाल सरकार?
शुभ-लाभ चिंता
बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ भीषण नरसंहार का षडयंत्र रचने वाले भारत विरोधी पूर्व सांसद एकेएम बहाउद्दीन बहार और उसकी बेटी तहसीन बहार भारत में कैसे घुसे? पश्चिम बंगाल के राजरहाट में उसे आलीशान कोठी में रहने की सुविधा कैसे मिली? दोनों बाप-बेटी को भारतीय आधार कार्ड, पासपोर्ट और भारतीय नागरिकता के दस्तावेज कैसे मिल गए? ऐसे कट्टर इस्लामिक शैतान को भारत में रहने की इजाजत किसने दी? भारत सरकार ने या पश्चिम बंगाल सरकार ने? उसके घुसने से लेकर उसके रहने और उसके भारतीय दस्तावेज हासिल करने तक के घटनाक्रम के बीच भारत की खुफिया एजेंसियां क्या कर रही थीं? ये ऐसे गंभीर सवाल हैं, जिसका जवाब सीधे तौर देश के गृह मंत्री अमित शाह को देना चाहिए और इस बारे में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से कानूनन जवाब मांगा जाना चाहिए। इस घटना ने भारत के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की धज्जियां उड़ा दी हैं।
अक्टूबर 2021 में दुर्गा पूजा के दौरान कोमिला के निर्वाचन क्षेत्र-6 में नानुआ दिघी के तट पर हिंदुओं के साथ जघन्य घटना घटी ती। वह बांग्लादेश के इतिहास में सांप्रदायिक हिंसा के सबसे काले अध्यायों में से एक है। दुर्गा पूजा मंडप में हनुमान की गोद में कुरान की प्रति रखे जाने का कट्टरपंथी मुस्लिमों का कुकृत्य भयंकर रक्तपात में परिणत हुआ था। यह सुनियोजित साजिश के तहत किया गया था और इसका दोषारोपण हिंदुओं पर कर दिया गया था। इसी बहाने कट्टरपंथी इस्लामी भीड़ ने हिंदू मंदिरों पर हमला कर दिया, दुर्गा पूजा पंडालों में तोड़फोड़ की, हिंदुओं के घरों में आग लगा दी और हिंदू महिलाओं और लड़कियों पर हमला किया। कोमिला में, एक इस्कॉन भक्त की चरमपंथियों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। हिंदू अल्पसंख्यकों में दहशत इतनी बढ़ गई कि कई जिलों में दुर्गा पूजा अचानक रोक दी गई थी।
इस घटना के पीछे की साजिश का पर्दाफाश तब हुआ, जब सीसीटीवी फुटेज सामने आया। सीसीटीवी फुटेज में सामने आया कि मोहम्मद इकबाल हुसैन नाम का एक मुस्लिम युवक, हनुमान की गोद में कुरान रख रहा था। साफ हो गया कि यह कृत्य हिंदुओं ने नहीं, बल्कि मुसलमानों ने किया था। लेकिन इकबाल हुसैन के पीछे कौन शक्तियां थीं? जांच में पता चला कि अवामी लीग के नेता और कोमिला-6 से तत्कालीन सांसद एकेएम बहाउद्दीन बहार इस षडयंत्र का असली मास्टरमाइंड था। हनुमान की गोद में कुरान रखने वाला इकबाल तो सांप्रदायिक अराजकता फैलाने की बड़ी योजना का एक मोहरा मात्र था। असली सरगना तो सांसद एकेएम बहाउद्दीन बहार था। इस आपराधिक साजिश के कारण हुई तबाही और मौतों के बावजूद अभियुक्त को सजा बेहद कम मिली। ढाका स्थित साइबर ट्रिब्यूनल के न्यायाधीश एएम जुल्फिकार हयात ने डिजिटल सुरक्षा अधिनियम के तहत इकबाल को केवल चार महीने के कारावास की सजा सुनाई। सांसद बहार और उसके करीबी सभी षडयंत्रकारी अपनी राजनीतिक शक्ति और प्रभाव के बल पर बेदाग बच निकले।
खुद को स्वतंत्रता सेनानी बताने वाहा बहाउद्दीन बहार असल में रजाकार है, जिसने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान की अत्याचारी सेना का सहयोग किया था। बहाउद्दीन का काम लंबे समय तक हिंदुओं की जमीनें हड़पने का रहा है। खासकर वह कोमिला में कमजोर हिंदू परिवारों की जमीनें हड़पता रहा। बहार और उसके गिरोह ने नानुआ दिघी के पास हिंदुओं की सम्पत्ति पर कब्जा किया और उसे बेचा या अपने परिवार के सदस्यों को हस्तांतरित किया है। कब्जे की जमीन का फायदा उठाने में उसकी बेटी तहसीन बहार सुचना भी शामिल रही है। यहां तक कि कोमिला के निर्वाचन क्षेत्र-6 में अवामी लीग का सबसे बड़ा पार्टी कार्यालय भी हिंदू मालिकों से अवैध रूप से जब्त की गई जमीन पर बनाया गया था। उसने दुर्गा पूजा को मद्जुक्तो-पूजो (शराब का त्यौहार) बता कर पूरे बांग्लादेश का सांप्रदायिक माहौल खराब किया था। बहार की हिंदू-विरोधी हरकतें केवल जमीन हड़पने या हिंसा भड़काने तक ही सीमित नहीं थी। वह अपनी हिंदू विरोधी गतिविधियों का राजनीतिकरण करने में भी माहिर था। उसने बांग्लादेश में कट्टर इस्लामिक रुझान को बढ़ावा देने का काम किया और देश में सांप्रदायिक विभाजन की खाई को बढ़ाया।
5 अगस्त 2024 को अवामी लीग की सरकार के पतन के बाद बहार और उसका परिवार अंडरग्राउंड हो गया। उसकी बेटी तहसीन बहार सुचाना 29 अगस्त 2024 को कोमिला के बुरीचोंग उपजिला से सीमा पार करके चरनाल सीमा के रास्ते भारत में प्रवेश करने में कामयाब रही। बहार भी कुछ ही देर बाद भारत में घुस आया। आज, बहाउद्दीन बहार और उसकी बेटी कोलकाता के राजारहाट इलाके में बड़े ठाठ से रह रहे हैं। उसे पश्चिम बंगाल के सत्ताधारी दल तृणमूल कांग्रेस और टीएमसी नेताओं का संरक्षण मिल रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस हिंदू विरोधी षड्यंत्रकारी को भारत का आधार कार्ड, भारतीय पासपोर्ट और यहां तक कि नागरिकता के कागजात भी मुहैया करा दिए गए हैं। उसकी बेटी को भी सारे भारतीय दस्तावेज मिल चुके हैं।
बहार जैसे भारत विरोधी व्यक्ति का भारत में होना सुरक्षा के समक्ष गंभीर चुनौती है। जिस व्यक्ति ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ सांप्रदायिक दंगे भड़काए, हिंदुओं का उत्पीड़न किया, मंदिरों की जमीनें हड़पीं और हिंदू महिलाओं के साथ बदसलूकियां कीं, वह व्यक्ति भारत में शांति और विशेषाधिकार का आनंद ले रहा है। यह भारत के लिए अत्यंत शर्म की बात है। बहार भारत में कैसे घुस आया? किन राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तियों ने उसके प्रवेश और बसने में मदद की? क्या बहार ने सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए धन और प्रभाव का इस्तेमाल किया? ऐसे कई गंभीर सवाल सामने हैं। कोलकाता में रहते हुए बहाउद्दीन बहार हिंदू-विरोधी कट्टरपंथी अंतरराष्ट्रीय चरमपंथी नेटवर्क के लिए माध्यम का काम कर रहा है।
भारत पारंपरिक रूप से बांग्लादेश में सताए गए हिंदुओं को शरण देने की बात कहता रहा है। जबकि, बहाउद्दीन बहार की भारतीय नागरिकता भारत सरकार के विपरीत आचरण का सबूत है। भारत उत्पीड़ित हिंदुओं को शरण देने के बजाय उत्पीड़क को न केवल शरण बल्कि नागरिकता दे रहा है। यह खतरनाक खेल भारत पर भारी पड़ने वाला है। भारत सरकार को बहाउद्दीन बहार और उसकी बेटी के आधार कार्ड, पासपोर्ट और नागरिकता हासिल करने की तत्काल जांच करनी चाहिए। उसका भारतीय दस्तावेज तत्काल रद्द किया जाना चाहिए और उसे बांग्लादेश वापस भेजने की कार्रवाई करनी चाहिए। भारत और बांग्लादेश के बीच अंतर-सरकारी सहयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि बहाउद्दीन बहार पर हिंदुओं के खिलाफ अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सके। सीमावर्ती इलाकों में सतर्कता बढ़ाई जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बांग्लादेश से राजनीतिक रूप से उजागर भगोड़े झूठी पहचान के साथ घुसपैठ न कर सकें।
एकेएम बहाउद्दीन बहार का वाकया इस बात की सनद है कि एक राजनीतिक अपराधी किस तरह सत्ता, प्रभाव और भ्रष्टाचार के बूते कानून से बच जाते हैं। विडंबना है कि बांग्लादेश में सांप्रदायिक दंगे भड़काने, हिंदुओं की जमीनें हड़पने और हिंदुओं को अपमानित करने के आरोपी व्यक्ति को भारत में सुरक्षित आश्रय मिल गया है। जबकि बांग्लादेश के हिंदू भारत से सुरक्षा और सहायता की उम्मीद लगाए बैठे हैं। भारत को इस विश्वासघात की गंभीरता को समझना चाहिए। बहार की रक्षा करने का मतलब उन अनगिनत हिंदुओं के साथ विश्वासघात करना है जिन्होंने उसके कृत्यों के कारण अपने घर, परिवार और जीवन खो दिए। उनके लिए न्याय तब तक प्राप्त नहीं हो सकता जब तक बहार से भारत में उसके धोखाधड़ी वाले विशेषाधिकार छीन लिए न जाएं और उसे उसके अपराधों के लिए मुकदमे का सामना न करना पड़े। यदि भारत वास्तव में वैश्विक हिंदुओं के रक्षक के रूप में अपनी भूमिका निभाना चाहता है, तो उसे यह सुनिश्चित करना होगा कि बहार जैसे लोगों को न्याय का मजाक उड़ाने और चोरी की गई जमीनों और जाली दस्तावेजों पर शांति से रहने की अनुमति न दी जाए। बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए न्याय की शुरुआत बहार को जवाबदेह ठहराने से होती है।
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