वे अब खुद फर्जी डाटा के लिए चुनाव आयोग से मांग रहे माफी
जो कल कह रहे थे चुनाव आयोग ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी
धराशाई हो गई राहुल गांधी और उसके विदेशी हैंडलर्स की साजिश
नई दिल्ली, 20 अगस्त (एजेंसियां)। सीएसडीएस के संजय कुमार ने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर शेयर किए फर्जी डाटा को डिलीट कर माफी मांगी है। इसी फर्जी डाटा के दम पर राहुल गांधी के वोट चोरी के कैंपेन को कांग्रेस आगे बढ़ा रही थी। संजय कुमार ने पहले कहा था कि चुनाव आयोग को राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देना चाहिए। बाद में जब मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सभी आरोपों के सिलसिलेवार जवाब दिए तो संजय कुमार ने एक लेख में लिखा – चुनाव आयोग ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है।
संजय कुमार के फर्जी डाटा के आधार पर कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने 18 अगस्त 2025 को एक्स पर एक ग्राफिक शेयर कर चुनाव आयोग पर सवाल उठाए थे। उन्होंने दावा किया था कि 2024 के लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच छह महीनों में रामटेक और देवलाली जैसे क्षेत्रों से करीब 40 प्रतिशत वोटर हटा दिए गए। वहीं, नासिक वेस्ट और हिंगना में करीब 45 प्रतिशत वोटर बढ़ गए। चुनाव आयोग पर तंज कसते हुए उन्होंने लिखा, अब ये कहेंगे कि 2 और 2 जोड़ने से 420 होता है। इस डेटा का स्रोत लोकनीति-सीएसडीएस था।
खुद को प्रोफेसर और रिसर्चर बताने वाले संजय कुमार के फर्जी डाटा के पीछे कांग्रेस की भक्ति और विदेशी फंडिंग की शक्ति है। उसने फर्जी डाटा शेयर कर न सिर्फ आम लोगों में भ्रम फैलाया, बल्कि लगातार भारत की सर्वोच्च चुनावी संस्था चुनाव आयोग को भी निशाना बनाया और जब उसका खेल पकड़ में आ गया, तो चुपचाप अपने फर्जी डाटा को डिलीट कर माफी मांग ली। इस साजिश की शुरुआत 11 अगस्त 2025 को हुई, जब संजय कुमार ने दावा किया कि महाराष्ट्र चुनावों को लेकर चुनाव आयोग को सफाई देनी चाहिए। उसने सीएनबीसी आवाज जैसे बड़े चैनल पर जाकर अपनी बात को और हवा दी। 17 अगस्त 2025 को संजय कुमार ने एक स्क्रीनशॉट शेयर किया, जिसमें महाराष्ट्र के चुनावी डेटा का दावा पेश किया गया। इस डेटा में कहा गया कि नासिक वेस्ट में 2024 के लोकसभा चुनाव से विधानसभा चुनाव तक वोटरों की संख्या 47.38 प्रतिशत बढ़ी, जबकि हिंगना में 43.08 प्रतिशत की वृद्धि हुई। ये आंकड़े देखने में तो चौंकाने वाले थे, लेकिन इनकी सच्चाई कहीं और थी। इस फर्जी डेटा को शेयर करते ही हंगामा मच गया। कांग्रेस ने इसे दोनों हाथों से लपक लिया। कांग्रेसी नेताओं ने इसे एटम बम तक कह डाला। लेकिन सच्चाई यह थी कि ये सारा डेटा झूठ का पुलिंदा था, जिसे संजय कुमार ने जानबूझकर गढ़ा था। बाद में पता चला कि उसकी टीम ने 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के डेटा को गलत तरीके से पढ़ा और तुलना की, जिससे ये भ्रामक आंकड़े सामने आए।
संजय कुमार ने अपनी साजिश को और मजबूत करने के लिए नवभारत टाइम्स में एक ओपिनियन आर्टिकल लिखा, जो 18 अगस्त 2025 को प्रकाशित हुआ। इस लेख में उसने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद उठे विवाद को फिर से हवा दी। उसने राहुल गांधी के उस दावे को दोहराया, जिसमें कहा गया था कि प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में फर्जी वोटर जोड़े गए और वोट प्रतिशत बढ़ाकर धांधली की गई। विपक्ष का तर्क था कि मुख्यमंत्री के अपने क्षेत्र में पांच महीनों में मतदाता सूची में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, और कुछ बूथों पर 20-50 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी गई। संजय ने इसको आधार बनाकर चुनाव आयोग पर उंगली उठाई और उसे असफल ठहराने की कोशिश की।
संजय ने लिखा कि चुनाव आयोग को दोनों चुनावों की मतदाता सूचि सार्वजनिक करनी चाहिए थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, जो उसकी नाकामी को दर्शाता है। लेकिन सच्चाई यह है कि चुनाव आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस को लिखित जवाब दे दिया था, जिसमें इन आरोपों को निराधार और बेतुका करार दिया गया था। आयोग ने अपनी वेबसाइट पर भी ये जवाब रखा, लेकिन संजय कुमार ने इसे नजरअंदाज कर दिया और अपना एजेंडा चलाया।
जब इस फर्जी डेटा की पोल खुलने लगी, तो संजय कुमार को मजबूरी में पीछे हटना पड़ा। उसने अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया और 18 अगस्त 2025 की रात एक माफी ट्वीट जारी किया। उसने लिखा, मैं महाराष्ट्र चुनावों को लेकर किए गए ट्वीट्स के लिए दिल से माफी मांगता हूं। 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों के डेटा की तुलना में गलती हो गई। हमारी डेटा टीम ने इसे गलत पढ़ लिया। ट्वीट हटा दिया गया है और मेरा इरादा किसी तरह की गलत जानकारी फैलाने का नहीं था। लेकिन क्या ये माफी सचमुच दिल से आई? बिल्कुल नहीं! ये तो बस कानूनी कार्रवाई से बचने का एक सस्ता नाटक था। सोशल मीडिया यूजर्स ने तुरंत इसकी आलोचना की और कहा कि ये माफी मजबूरी में दी गई है। कई लोगों का मानना है कि संजय ने जानबूझकर गलत डेटा फैलाया, ताकि कांग्रेस को फायदा हो और जब पकड़ा गया, तो उसने पीछे हटने का ढोंग किया।
राहुल गांधी ने संजय कुमार के फर्जी डेटा पर आंख मूंदकर भरोसा किया और अपनी सारी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी। वैसे, राहुल की कितनी प्रतिष्ठा बची है, अब इसका अंदाजा भी कोई नहीं लगा पा रहा। सीएसडीएस ने अपनी गलती मानी, तो राहुल और उसके विदेशी हैंडलर्स का सपना धराशायी हो गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये सारी साजिश कांग्रेस के विदेशी समर्थकों के इशारे पर रची गई थी, ताकि भारत की चुनावी प्रणाली को बदनाम किया जा सके। राहुल का ये कदम न सिर्फ उसकी अज्ञानता को दिखाता है, बल्कि उसकी टीम की लापरवाही और जल्दबाजी को भी उजागर करता है।
सीएसडीएस कोई साधारण शोध संस्थान नहीं है। यह एक ऐसी मशीन है, जो विदेशी फंडिंग और राजनीतिक एजेंडा के बल पर देश को अंदर से कमजोर करने का काम कर रही है। फोर्ड फाउंडेशन, गेट्स फाउंडेशन, आईडीआरसी (कनाडा), डीएफआईडी (यूके), नॉराड (नॉर्वे), ह्यूलेट फाउंडेशन और डच एजेंसियों जैसे संगठनों से मिलने वाला पैसा सीएसडीएस को हिंदू समाज को जाति के आधार पर बांटने और गलत नैरेटिव बनाने में मदद करता है। इसके लोकनीति प्रोग्राम के तहत हिंदुओं को ओबीसी, ईबीसी, दलित, और सवर्ण में बांटकर वोटिंग पैटर्न पर डेटा जारी किया जाता है, जो द हिन्दू और जैसे अखबारों में बड़े-बड़े शीर्षकों के साथ छपता है। लेकिन मुसलमानों की अंदरूनी जातीय दरारों (जैसे दलित मुसलमान, अशरफ, अज्लाफ, अरज़ल) पर चुप्पी साध ली जाती है। ये साफ है कि सीएसडीएस का मकसद हिंदू समाज को तोड़ना और कांग्रेस को फायदा पहुंचाना है। योगेंद्र यादव से लेकर संजय कुमार तक, ये लोग लगातार इस एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। ये कोई भूल नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश है, जिसका मकसद भारत की एकता को कमजोर करना है।
कांग्रेस का एक और झूठ बेनकाब
राहुल गांधी ने बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन (एसआईआर) के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वोट अधिकार यात्रा के तहत गरीब लोगों के वोट काटे जाने का प्रोपेगेंडा चला रहे हैं। इन्हीं में एक नाम रंजू देवी का भी है। रंजू देवी को 18 अगस्त 2025 को राहुल गांधी की औरंगाबाद सभा में वोटर लिस्ट से नाम कटने की शिकायत करते सुना गया था। रंजू देवी ने दावा किया था कि सिर्फ उनका ही नहीं बल्कि परिवार में भी 6 लोगों का नाम वोटर लिस्ट से कटा है। इसके बाद अब रंजू देवी का वीडियो सामने आया है, जिसमें वह बता रहीं है कि वार्ड सचिव के कहने पर उन्होंने यह दावा किया। रंजू देवी बताती हैं कि वो सचिव उन्हें बहकाकर ले गए कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव आपकी समस्या का समाधान करेंगे। रंजू देवी आगे कहती हैं, हम देहात की महिला हैं, जैसा जो बताता है वो सुन लेते हैं। राहुल गांधी ने रंजू देवी को बहका कर झूठ तो बुलवा लिया लेकिन तथ्यों को नहीं छिपा सके। BLO ने रंजू देवी को 01 अगस्त 2025 को बनी नई वोटर लिस्ट भी दिखाई, जिसमें उन्होंने अपना और परिवार समेत 6 लोगों का नाम पाया। रंजू देवी ने वोटर लिस्ट देखकर कहा कि अब वे संतुष्ट हैं।
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