अनीश दयाल सिंह बने देश के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
नई दिल्ली, 24 अगस्त (एजेंसियां)। सीआरपीएफ और आईटीबीपी के पूर्व महानिदेशक अनीश दयाल सिंह को देश का नया उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (डिप्टी एनएसए) नियुक्त किया गया है। उन्हें आंतरिक मामलों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मणिपुर कैडर के 1988 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी अनीश दयाल सिंह दिसंबर 2024 में सेवानिवृत्त हुए थे।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और हाल ही में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) का नेतृत्व करने से पहले उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) में लगभग 30 वर्षों तक सेवा की है। इस भूमिका में उनका व्यापक अनुभव है। अनीश उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में जम्मू-कश्मीर, नक्सलवाद और पूर्वोत्तर उग्रवाद सहित देश के आंतरिक मामलों के प्रभारी होंगे। पूर्व रॉ प्रमुख राजिंदर खन्ना अतिरिक्त राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं, जबकि सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी टीवी रविचंद्रन और पूर्व आईएफएस अधिकारी पवन कपूर दो सेवारत उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं।
सीआरपीएफ प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अनीश ने कई अहम पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जैसे- नक्सलवाद से निपटने में सीआरपीएफ की प्रगति, तीन दर्जन से अधिक अग्रिम परिचालन अड्डे (फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस) स्थापित करना और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में चार नई बटालियनों की शुरुआत करना। उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पहले विधानसभा चुनावों के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने में सीआरपीएफ की भूमिका की भी देखरेख की।
आंतरिक रूप से अनीश ने 130 से अधिक सीआरपीएफ बटालियनों के व्यापक पुनर्गठन की पहल की। यह आठ वर्षों में इस तरह का पहला पुनर्गठन था, जिसका मकसद परिचालन दक्षता में सुधार और सैनिकों को अधिक पारिवारिक समय प्रदान करना था, जिससे इकाइयों और उनके मूल केंद्रों के बीच की औसत दूरी 1,200 किमी से घटकर 500 किमी हो गई। उन्होंने प्रतिक्रिया एकत्र करने के लिए कंपनी कमांडरों के साथ संवाद सत्र भी शुरू किए, जिसकी बल के भीतर व्यापक रूप से सराहना की गई।
यह नियुक्ति केंद्र सरकार की ओर से केंद्रीय सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त कर्मियों को मानद रैंक प्रदान करने की मंजूरी के साथ हुई है। एक ऐसी नीति जिसका अनीश ने समर्थन किया था। इस वर्ष की शुरुआत में गृह मंत्रालय ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और असम राइफल्स के अधिनस्थ अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से एक नीति को मंजूरी देते हुए एक आदेश जारी किया था। इस नीति का प्रस्ताव मूल रूप से स्वयं अनीश ने ही रखा था, जिसका मकसद पदोन्नति के अवसरों में लंबे समय से चली आ रही गतिरोध की समस्या को दूर करना था, जहां कुछ कांस्टेबलों को अपनी पहली पदोन्नति के लिए 20 साल तक का इंतजार करना पड़ता है।
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