ज्ञानवापी और मथुरा पर बातचीत करने को तैयार
मोहन भागवत के सुझाव का किया समर्थन
नई दिल्ली, 5 सितम्बर,(एजेंसी) : जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने काशी और मथुरा के मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच मोहन भागवत की बातचीत की हिमायत का समर्थन किया है। उन्होंने संवेदनशील धार्मिक मुद्दों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की राय का भी स्वागत किया है। काशी-मथुरा के मुद्दे पर महमूद मदनी ने शुक्रवार को कहा कि उनके संगठन ने पहले ही बातचीत के पक्ष में एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें जोर दिया गया था कि मतभेद होने के बावजूद, उन्हें कम करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
मदनी ने कहा, 'बहुत सारे अगर और मगर हैं...मेरे संगठन ने एक प्रस्ताव पारित किया कि जुड़ाव होना चाहिए। मतभेद हैं, लेकिन हमें कम करने की जरूरत है...हम बातचीत के सभी प्रयासों का समर्थन करेंगे।' हाल ही में, आरएसएस प्रमुख ने ज्ञानवापी और मथुरा काशी पर बयान दिया। एएनआई के साथ बातचीत में इस्लामिक विद्वान महमूद मदनी ने कहा मुस्लिम समुदाय तक पहुंचने के उनके (आरएसएस प्रमुख) प्रयासों की प्रशंसा और सराहना की जानी चाहिए।
मदनी ने कहा, हम सभी प्रकार की बातचीत का समर्थन करेंगे। ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा-काशी विवादों पर भागवत की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए, मदनी ने कहा कि इस तरह के प्रयास की आवश्यकता है। भागवत ने कहा कि था कि राम मंदिर आंदोलन को संघ ने समर्थन दिया था। संघ काशी और मथुरा आंदोलन में शामिल नहीं होगा लेकिन उसके सदस्य चाहे तो उसमें शामिल हो सकते हैं।
बता दें कि भागवत ने भारत में इस्लाम की स्थायी उपस्थिति पर ज़ोर दिया, जनसांख्यिकी संतुलन के लिए प्रत्येक भारतीय से तीन बच्चे पैदा करने का आग्रह किया, और नागरिकों के लिए रोजगार की वकालत करते हुए, असंतुलन के लिए धर्मांतरण और अवैध प्रवासन को ज़िम्मेदार ठहराया।
पहलगाम आतंकी हमले की साजिश पर क्या कहा?
मदनी ने हाल के वर्षों में राजनीतिक भाषा और विमर्श के स्तर में आई गिरावट की भी आलोचना की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि विपक्षी नेताओं और राज्य के नेताओं समेत सभी राजनीतिक दल अनुचित और आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। मौलाना मदनी ने पहलगाम आतंकी हमले की साजिश को नाकाम करने का श्रेय देश के नागरिक समाज को दिया और कहा कि अगर यह घटना किसी और देश में हुई होती तो बहुत बवाल मच जाता।
मदनी ने कहा, 'सबसे पहले, जिस तरह से उन बदमाशों ने दूसरों के नाम पूछने के बाद उन्हें मार डाला - मैं अपने देशवासियों का जितना शुक्रिया अदा करूं कम है, जिन्हें मैं हिंदू और मुसलमान में नहीं बांटना चाहता। उन्होंने धैर्य दिखाया। यह सच है - अगर कोई और देश होता, तो कौन जानता कि किस तरह की अराजकता फैल जाती। यही भारत की खूबसूरती है।' उन्होंने आगे कहा, 'उस शर्मनाक घटना को नाकाम करने में सबसे बड़ी भूमिका इस देश के नागरिक समाज की थी। उन्होंने (आतंकियों) समझा कि यह इस देश में रहने वाले समुदायों को लड़ाने की साजिश है और इसे नाकाम कर दिया। यह ऑपरेशन सिंदूर से भी बड़ा काम था।'
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