सवा सौ साल से सेना से जुड़े परिवार की पांचवीं पीढी की महिला पारूल बनी सेना में अधिकारी
नयी दिल्ली 06 सितम्बर (एजेंसी)। पिछले सवा सौ वर्ष से भी लंबे समय से सेना में रहकर राष्ट्र सेवा में जुटे परिवार की बेटी लेफ्टिनेंट पारूल धाड़वाल ने अपनी पिछली चार पीढ़ियों से प्रेरणा लेते हुए सेना में कमीशन हासिल कर इतिहास बनाया है।
पंजाब के होशियारपुर जिले के जनौरी गाँव की लेफ्टिनेंट पारुल धाड़वाल सेना में अपने परिवार की पाँचवीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। उनके परदादा के पिता, परदादा, दादा और पिता सेना में रहकर देश सेवा करते रहे हैं। उनके भाई भी पहले से ही सेना में हैं। उनका गांव मज़बूत सैन्य परंपरा के लिए देश भर में प्रसिद्ध है।
लेफ्टिनेंट पारूल का कमीशन परिवार के लिए एक उल्लेखनीय क्षण है जहाँ विरासत और आधुनिकता के संगम में परिवार की एक बेटी ने भी सेना की वर्दी पहनी है।धाड़वाल परिवार दो पीढ़ियों के तीन सेवारत अधिकारियों के साथ देश के प्रति समर्पण के जज्बे का भी अनोखा उदाहरण है।
लेफ्टिनेंट पारुल धाड़वाल को शनिवार को सेना की प्रतिष्ठित अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (ओटीए) चेन्नई से सफलतापूर्वक उत्तीर्ण होने के बाद सेना की आयुध कोर में कमीशन दिया गया। उन्हें मेरिट क्रम में पहले स्थान पर रहने के लिए राष्ट्रपति के गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया। यह उपलब्धि उनके असाधारण समर्पण और योग्यता को दर्शाती है।
धाडवाल परिवार की सैन्य परंपरा उनके परदादा के पिता , ‘74 पंजाबीज’ के सूबेदार हरनाम सिंह से जुड़ी है, जिन्होंने एक जनवरी 1896 से 16 जुलाई 1924 तक सेना में सेवा की थी। उनके परदादा, मेजर एल.एस. धाडवाल, 3 जाट रेजिमेंट में थे, जबकि तीसरी पीढ़ी में कर्नल दलजीत सिंह धाड़वाल (7 जे एंड के राइफल्स) और ब्रिगेडियर जगत जामवाल (3 कुमाऊं) ने सेना में विशिष्ट सेवा की थी। इस परंपरा को आगे बढाते हुए उनके पिता मेजर जनरल के.एस. धाडवाल, और उनके भाई कैप्टन धनंजय धाडवाल दोनों अभी 20 सिख रेजिमेंट में हैं।
लेफ्टिनेंट पारुल धडवाल का कमीशन न केवल इस शानदार सैन्य परंपरा को मजबूत करता है, बल्कि भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है।
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