तब मनमोहन सरकार का अध्यादेश क्यों फाड़ा था?
अमित शाह ने राहुल गांधी की नैतिकता पर उठाए सवाल
अब आपकी नैतिकता कहां विलुप्त हो गई?
नई दिल्ली, 25 अगस्त (एजेंसियां)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की नैतिकता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। अमित शाह ने कहा कि क्या तीन आम चुनाव लगातार हारने के बाद राहुल गांधी की नैतिकता बदल गई है? अमित शाह ने 130वें संविधान संशोधन विधेयक को लेकर राहुल गांधी और कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। शाह ने वर्ष 2013 की उस घटना का भी जिक्र किया, जिसमें राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश की प्रति सार्वजनिक स्थल पर फाड़ डाली थी।
अमित शाह ने कहा कि मनमोहन सिंह सरकार में लाए गए अध्यादेश को राहुल गांधी ने क्यों फाड़ दिया था? अगर उस दिन उनमें नैतिकता थी तो अब क्या हो गया? क्या सिर्फ इसलिए कि आप तीन चुनाव लगातार हार चुके हैं तो आपकी नैतिकता बदल गई? नैतिक मूल्य चुनाव में हार जीत से जुड़े हुए नहीं होते हैं बल्कि नैतिक मूल्य चंद्रमा और सूरज की तरह अडिग होने चाहिए। उल्लेखनीय है कि मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को पलटने के लिए अध्यादेश लाया गया था। यह अध्यादेश बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव को बचाने के लिए लाया गया था, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अयोग्य घोषित हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने दोषी सांसदों और विधायकों की सदस्यता रद्द करने और उन्हें अयोग्य घोषित करने का फैसला सुनाया था। मनमोहन सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश में अयोग्य घोषित किए गए सांसदों-विधायकों को तीन महीने का समय दिया गया था, जिसमें वे दोबारा निर्वाचित हो सकते थे, लेकिन राहुल गांधी ने इसे गलत बताते हुए फाड़ दिया था। इससे राहुल गांधी की अपनी ही पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई थी।
केंद्र सरकार ने हाल ही में मानसून सत्र के दौरान 130वां संविधान संशोधन विधेयक, 2025 पेश किया। इस विधेयक में 30 दिनों तक जेल में रहने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान है, जिसका विपक्ष द्वारा विरोध किया जा रहा है। अमित शाह ने कहा आज देश में एनडीए गठबंधन के मुख्यमंत्री ज्यादा हैं। प्रधानमंत्री भी एनडीए से हैं। ऐसे में इस विधेयक से सिर्फ विपक्ष पर ही सवाल खड़े नहीं होते बल्कि हमारे मुख्यमंत्रियों पर भी सवाल उठेंगे। अगर फर्जी मामला है तो देश के उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट आंखें बंद करके नहीं बैठे हुए हैं, वे जमानत दे सकते हैं। कांग्रेस सरकार में भी ऐसा प्रावधान था कि अगर सत्र अदालत ने किसी को दो साल जेल की सजा सुनाई है तो उस सदस्य की सदस्यता अपने आप चली जाती थी।
भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद भी आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने जेल में रहने के बाद भी सीएम पद से इस्तीफा नहीं दिया था। इस पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा आजकल नई परंपरा आ गई है। दो साल पहले ऐसा कोई मामला नहीं था। आरोप लगने के बाद नेता इस्तीफा देते थे और रिहाई के बाद ही राजनीति में शामिल होते थे। लेकिन तमिलनाडु के कुछ मंत्रियों ने जेल में रहने के बावजूद मंत्रीपद से इस्तीफा नहीं दिया था। दिल्ली के सीएम और गृहमंत्री ने भी इस्तीफा नहीं दिया था। राजनीति को बदनाम करने और सामाजिक नैतिकता को इस स्तर तक गिराने के लिए हम इससे सहमत नहीं हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी दलों की ओर से 130वें संविधान संशोधन विधेयक के विरोध पर कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि वह और भाजपा दोनों इस विचार को पूरी तरह से खारिज करते हैं कि देश उस व्यक्ति के बिना नहीं चलाया जा सकता, जो जेल में बंद है। उन्होंने पूछा कि क्या कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई भी नेता जेल से सरकार चला सकता है? जेल को सीएम हाउस, पीएम हाउस बना दिया जाए? क्या डीजीपी, मुख्य सचिव, कैबिनेट सचिव या गृह सचिव जेल से आदेश लेंगे? अमित शाह ने कहा, मेरी पार्टी और मैं इस विचार को पूरी तरह से खारिज करते हैं कि इस देश पर उस व्यक्ति के बिना शासन नहीं चल सकता जो जेल में बैठा है। इससे संसद या विधानसभा में किसी के बहुमत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। एक सदस्य जाएगा, पार्टी के अन्य सदस्य सरकार चलाएंगे और जब उन्हें जमानत मिलेगी, तो वे आकर फिर से शपथ ले सकते हैं। इसमें क्या आपत्ति है?
उन्होंने कहा, मैं पूरे देश को 130वें संशोधन के बारे में बताना चाहता हूं। इस संशोधन में हमने यह प्रावधान किया है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या केंद्र या राज्य सरकार का कोई भी नेता गंभीर आरोपों का सामना करता है और गिरफ्तार होता है और अगर उसे 30 दिनों के भीतर जमानत नहीं मिलती है, तो उसे अपना पद छोड़ना होगा। अगर वह इस्तीफा नहीं देता है, तो उसे कानूनन पद से हटा दिया जाएगा। यही हमने 130वें संशोधन में शामिल किया है। गृह मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि खुद प्रधानमंत्री ने ही इस विधेयक के अंतर्गत प्रधानमंत्री पद को लाने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने स्वयं इसमें प्रधानमंत्री पद को शामिल किया है। इससे पहले, इंदिरा गांधी 39वां संशोधन (राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्
केंद्रीय मंत्री ने कहा, मैं स्पष्ट कर दूं कि जब कोई निर्वाचित सरकार संसद में कोई संविधान संशोधन लाती है, तो विरोध की अनुमति होती है। मैं पहले ही कह चुका हूं कि यह संशोधन दोनों सदनों की एक संयुक्त समिति को भेजा जाएगा। वहां सभी अपनी राय रख सकते हैं। चूंकि, यह एक संविधान संशोधन है, इसलिए इसके लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है, लेकिन क्या लोकतंत्र में यह उचित है कि विधेयक को संसद में पेश ही न करने दिया जाए? दोनों सदन चर्चा के लिए हैं या सिर्फ शोरगुल और व्यवधान के लिए? गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि यह विधेयक पारित हो जाएगा। कांग्रेस पार्टी और विपक्ष में कई लोग होंगे, जो नैतिकता का समर्थन करेंगे और नैतिकता के आधार पर काम करेंगे।
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