सुदर्शन रेड्डी नक्सलवाद के समर्थक हैं
उपराष्ट्रपति पद के विपक्षी प्रत्याशी पर अमित शाह का प्रहार
पूर्व जस्टिस रेड्डी के फैसले से देश में नक्सलवाद फला-फूला
विपक्ष का काम केवल देश में अराजकता फैलाना रह गया है
कोच्चि, 22 अगस्त (एजेंसियां)। विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी नक्सलवाद के समर्थक रहे हैं। नक्सलियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ में चले सलवा जुडूम अभियान पर अगर रेड्डी ने उस समय रोक नहीं लगाई होती तो देश से नक्सलवाद तभी समाप्त हो गया होता। गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रेड्डी पर करारा प्रहार करते हुए यह धमाकेदार बात कही। अमित शाह ने सलवा जुडूम पर 2011 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए उन्हें आड़े हाथों लिया। शाह ने कहा कि सुदर्शन रेड्डी नक्सलवाद की विचारधारा से प्रेरित हैं। उन्होंने नक्सलवाद की मदद की है। विपक्ष ऐसे ही लोगों को पसंद करता है जो भारत को नापसंद करते हैं। अमित शाह ने कहा कि विपक्ष का काम केवल देश में अराजकता फैलाना रह गया है।
अमित शाह ने शुक्रवार को कोच्चि में एक मीडिया समूह के आयोजन में कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने जिस तरह से उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार का चुनाव किया है, उससे केरल में उसकी जीत की संभावना और कम हो गई है। अमित शाह ने कहा कि केरल ने नक्सलवाद का दंश झेला है। केरल की जनता निश्चित रूप से देखेगी कि कांग्रेस पार्टी, वामपंथी दलों के दबाव में, एक ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतार रही है, जो नक्सल विचारधारा से प्रेरित हैं।
अमित शाह ने संसद में पिछले दिनों पेश किए गए भ्रष्टाचार एवं अपराध विरोधी तीन विधेयकों का भी जिक्र किया और कहा, इन विधेयकों को लेकर कुछ और कहने की जरूरत नहीं है। मैंने संसद में देश की जनता से पूछा है कि क्या वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री जेल से सरकार चलाएं? यह कैसी बहस है? यह नैतिकता का सवाल है। अब वे पूछ रहे हैं कि इसे पहले संविधान में क्यों नहीं शामिल किया गया। जब संविधान का मसौदा तैयार किया गया था, तब यह अनुमान नहीं लगाया गया था कि जेल जा चुके लोग निर्वाचित पदों पर बने रहेंगे। अमित शाह ने कहा, बीते वक्त में ऐसी घटना हुई है, जिसमें एक मुख्यमंत्री ने जेल से सरकार चलाई। ऐसी स्थिति में क्या संविधान में संशोधन नहीं किया जाना चाहिए? उस समय भाजपा की सरकार भी सत्ता में थी, लेकिन हमें ऐसी स्थिति का सामना कभी नहीं करना पड़ा। अमित शाह ने कहा अगर उस समय दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा दे दिया होता, तो नए विधेयक पेश नहीं करने पड़ते।
गृहमंत्री ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि 2013 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के द्वारा लाए गए उस बिल की कॉपी को सार्वजनिक रूप से फाड़ दिया था, जिसका उद्देश्य अयोग्य ठहराए गए या किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए सांसदों और विधायकों को राहत प्रदान करना था। शाह ने दावा किया कि उस वक्त मनमोहन सिंह सरकार द्वारा लालू प्रसाद यादव की मदद के लिए यह अध्यादेश लाया गया था। तब राहुल गांधी ने नैतिकता के नाम पर, कैबिनेट द्वारा अनुमोदित अध्यादेश की प्रति सार्वजनिक रूप से फाड़ दी थी, लेकिन आज वही राहुल गांधी गांधी मैदान में लालू जी को गले लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं।
अमित शाह ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर भी विपक्ष के आरोपों पर पलटवार किया। गृह मंत्री ने कांग्रेस पर 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर कहा कि कांग्रेस इस प्रक्रिया को लेकर बेवजह का विवाद पैदा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के पास निर्वाचन क्षेत्र, जिला और राज्य स्तर पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए मौका था, लेकिन उन्होंने अभी तक एसआईआर पर कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है। इस दौरान अन्य राज्यों में एसआईआर के कार्यान्वयन के बारे में उन्होंने कहा कि यह चुनाव आयोग को तय करना है।
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