केसर के बीज प्रदेश से बाहर जाने पर किसान चिंतित
जम्मू, 25 अगस्त (ब्यूरो)। कश्मीर में केसर के कंदों अर्थात् बीजों के अवैध निर्यात पर अंकुश लगाने और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए, अधिकारियों ने पूरे केसर क्षेत्र में कड़ी निगरानी और दस्तावेजीकरण अभियान शुरू किया है। कृषि विभाग के पंपोर जोन ने इस प्रथा की जांच करने और कंद निकालने व बुवाई का विस्तृत रिकार्ड रखने के लिए एक विशेष दल का गठन किया है।
अधिकारियों ने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य कंदों की अनधिकृत आवाजाही को रोकना और स्थानीय उत्पादकों के हितों की रक्षा करना है, क्योंकि हाल के वर्षों में अवैध निर्यात एक बढ़ती हुई चिंता का विषय बन गया है। यह दल हर निष्कर्षण का रिकार्ड रख रहा है, यह ध्यान रखते हुए कि कंद कहां निकाले जाते हैं और उन्हें कहां दोबारा लगाया जाता है ताकि इस प्रक्रिया पर नजर रखी जा सके और अवैध निर्यात पर अंकुश लगाया जा सके। उन्होंने बताया कि दर्ज किए जा रहे विवरणों में उत्पादकों के नाम, आधार संख्या, निष्कर्षण के स्रोत और वे खेत शामिल हैं जहां कंद बोए जाते हैं।
अधिकारियों के अनुसार, इस प्रक्रिया और निगरानी से उन्हें यह सत्यापित करने में मदद मिलेगी कि प्रत्येक किसान कितना बीज निकालता है, दोबारा लगाता है और उसे कहां बोया जाता है। उन्होंने बताया कि यह निगरानी प्रक्रिया पूरे बुवाई के चरम मौसम में जारी रहेगी। पंपोर के कृषि विस्तार अधिकारी इश्तियाक अहमद भट ने बताया कि केसर के कंदों की निकासी और बुवाई 15 अगस्त से शुरू हुई, जिसके बाद विभाग ने निगरानी के प्रयास तेज कर दिए। उनके अनुसार, निर्यात कई वर्षों से चल रहा है और एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। हमने पंपोर, सम्बूरा, चंदहरा, लेथपो
भट ने कहा कि जागरूकता अभियान और छापे जरूरी हैं। केसर के बीज को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है ताकि यह यहीं रहे और स्थानीय स्तर पर बढ़ता रहे। अधिकारियों ने यह भी चेतावनी दी है कि केसर के कंदों का अवैध निर्यात या परिवहन बीज अधिनियम, 1966 और केसर अधिनियम, 2007 के तहत दंडनीय है, जिसमें कारावास, भारी जुर्माना और सामग्री की जब्ती का प्रावधान है। इस कार्य में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति पर जुर्माने सहित कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, किसानों से विभाग के साथ सहयोग करने और विश्व प्रसिद्ध कश्मीरी केसर के जर्मप्लाज्म की सुरक्षा के अभियान का समर्थन करने का आग्रह किया गया है। दूसरी ओर, अनुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए, अधिकारियों ने बताया कि एचएडीपी के तहत, निष्कर्षण और बुवाई में लगे किसानों को प्रति कनाल 27,000 रुपए सीधे उनके बैंक खातों में जमा किए जाएंगे।