दादागीरी और ताकत की राजनीति बर्दाश्त नहीं : जिनपिंग
तियानजिन (चीन), 01 सितंबर (एजेंसियां)। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में दादागीरी वाले व्यवहार की आलोचना की और निष्पक्ष, न्यायपूर्ण तथा बहुपक्षीय व्यवस्था की मांग की। उन्होंने सभी देशों से सहयोग, विविधता का सम्मान और साझा विकास को बढ़ावा देने की अपील की। जिनपिंग ने मतभेदों के बावजूद एकता बनाए रखने पर जोर दिया। जिनपिंग की ओर से यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत समेत कई देशों पर भारी टैरिफ लगाए जाने की कड़ी निंदा हो रही है।
राष्ट्रपति जिनपिंग ने यह बात 20 से ज्यादा देशों के नेताओं के सामने कही, जिनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और मध्य एशिया, पश्चिम एशिया, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया के राष्ट्राध्यक्ष शामिल थे। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बगैर कुछ शक्तिशाली देशों पर हठधर्मिता और शक्ति की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने एक ऐसी विश्व व्यवस्था की मांग की जो न्याय और समानात पर आधारित हो और जिसमें सभी को भागीदारी का अधिकार हो। जिनपिंग ने कहा, लगभग 24 साल पहले जब इस संगठन की स्थापना हुई थी, तब हमने शंघाई भावना की नींव रखी थी। यह भावना आपसी विश्वास, आपसी लाभ, समानता, सलाह-मशविरा, सभ्
उन्होंने कहा, हमने कानून व्यवस्था और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाया, मतभेदों को सही तरीके से संभाला और सुलझाया, बाहरी दखल का स्पष्ट रूप से विरोध किया और क्षेत्र में शांति व स्थिरता बनाए रखी। हमने सबसे पहले बेल्ट एंड रोड पहल की शुरुआत की। हम हमेशा अंतरराष्ट्रीय न्याय और निष्पक्षता के पक्ष में खड़े रहते हैं, सभ्यताओं के बीच समावेश और आपसी सीख को बढ़ावा देते हैं और प्रभुत्ववादी सोच और शक्ति की राजनीति का विरोध करते हैं।
चीनी राष्ट्रपति ने कहा, भविष्य को देखते हुए हमें आज की चुनौतियों और बदलावों से भरी दुनिया में शंघाई-भावना को आगे बढ़ाना चाहिए। हमें मजबूत कदमों के साथ आगे बढ़ना चाहिए और अपने संगठन की संभावनाओं का बेहतर उपयोग करना चाहिए। हमें मतभेदों को किनारे रखकर एकता की राह पकड़नी चाहिए, क्योंकि साझा लक्ष्य ही हमारी ताकत और लाभ का स्रोत हैं। मतभेदों के बीच समानता तलाशने की इच्छा, समझदारी और दूरदर्शिता को दर्शाती है। अपने भाषण में जिनपिंग ने कहा, एससीओ के सभी सदस्य देश एक-दूसरे के दोस्त और साझेदार हैं। हमें एक-दूसरे के मतभेदों का सम्मान करना चाहिए, रणनीतिक संवाद बनाए रखना चाहिए, आम सहमति बनानी चाहिए और एकता व सहयोग को मजबूत करना चाहिए। हमें सहयोग के दायरे को और बड़ा करना चाहिए और हर देश की विशेष क्षमताओं का पूरा उपयोग करना चाहिए, ताकि हम इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता, विकास और समृद्धि के लिए अपनी जिम्मेदारी निभा सकें।
चीनी राष्ट्रपति ने कहा, दुनिया की स्थिति अब भी अस्थिर और अशांत बनी हुई है। हमें धमकाने की राजनीति को नकारना होगा, बाहरी दखल का विरोध करना होगा और सभी देशों के वैध विकास के अधिकारों की रक्षा करनी होगी। जिनपिंग ने बहुपक्षीयता की पैरवी करते हुए संयुक्त राष्ट्र की भूमिका को बचाए रखने और वैश्विक व्यापार की अखंडता बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, हम न्याय और समानता का समर्थन करते हैं और हठधर्मी ताकतों और शक्ति की राजनीति का विरोध करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय मामलों में सम्मान पर आधारित रचनात्मक भागीदारी होनी चाहिए।
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