दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों की साजिश में शामिल थे
उमर, शरजील समेत नौ आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, आरोपियों की भूमिका गंभीर
नई दिल्ली, 03 सितंबर (एजेंसियां)। दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 में दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगे के आरोपी उमर खालिद और शरजील इमाम समेत 9 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। यह फैसला जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शालिंदर कौर की बेंच ने सुनाया। हाईकोर्ट ने कहा कि इस स्टेज पर यह साफ तौर पर दिखाई देता है कि उमर खालिद और शरजील इमाम ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की योजना बनाने और उसे फैलाने में अहम भूमिका निभाई। हाईकोर्ट ने यह भी कहा, हम अभी केस के पूरे तथ्यों में नहीं जा रहे, लेकिन इस समय उनके खिलाफ जो सबूत हैं, वो उनकी भूमिका को बाकी आरोपियों से अलग और ज्यादा गंभीर दिखाते हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पाया कि दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के तुरंत बाद घटित घटनाओं में, खालिद और इमाम ने लोगों को भड़काने की पहल की थी। हाईकोर्ट ने कहा, पहली नजर में यह साफ होता है कि जैसे ही दिसंबर 2019 की शुरुआत में नागरिकता संशोधन विधेयक पारित हुई, ये लोग (अपीलकर्ता) सक्रिय हो गए। इन्होंने तुरंत वॉट्सऐप ग्रुप बनाया और मुस्लिम बहुल इलाकों में पर्चे बांटें, जिसमें लोगों से कानून का विरोध करने और तुरंत चक्काजाम जैसी कार्रवाई में भाग लेने की अपील थी। इन पर्चों में लोगों से पूरी व्यवस्था, जिसमें इमरजेंसी सेवाएं भी शामिल हैं, उन्हें भी ठप कर देने को कहा गया। हाईकोर्ट के मुताबिक, शरजील-उमर जैसे लोगों का मकसद सिर्फ राजनीतिक विरोध नहीं था, बल्कि लोगों को खासकर मुस्लिम समुदाय को ये विश्वास दिलाना था कि सीएए और एनआरसी उनके खिलाफ हैं, ताकि जानबूझकर गड़बड़ी फैलाई जा सके।
हाईकोर्ट ने खालिद और शरजील इमाम के भड़काऊ भाषणों की टाइमिंग पर भी ध्यान दिया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इन लोगों ने तब भड़काऊ भाषण दिए, जब एक खास माहौल बना हुआ था। ऐसे में परिस्थितियों के साथ इन चीजों को जोड़ें, तो ये मामला सिर्फ राजनीतिक अभिव्यक्ति से अधिक आगे बढ़ जाता है। ऐसे में यह मामला राजनीतिक बदले की कार्रवाई से कहीं अधिक गंभीर है। फिर, शरजील और उमर जैसे लोगों को यूएपीए जैसे गंभीर मामले भी हैं, ऐसे में इनके भाषणों को सिर्फ राजनीतिक मानना बड़ी भूल साबित हो सकती है। सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि इमाम और खालिद इस पूरी साजिश के मुख्य षड़यंत्रकारी थे, जो अपने सहयोगियों के साथ तन-मन-धन से इस काम में लगे हुए थे।
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