भारत में होगा 8884000 करोड़ रुपए का निवेश
भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ का व्यापार समझौता लागू
भारतीयों को मिलेंगे 10 लाख रोजगार
नई दिल्ली, 12 अक्टूबर (एजेंसियां)। भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के बीच व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता (टीईपीए) आधिकारिक तौर पर एक अक्टूबर 2025 से लागू हो गया है। इससे आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड के साथ आर्थिक सहयोग के एक नए युग की शुरुआत हुई है। 10 मार्च 2024 को नई दिल्ली में इस समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था।
ईएफटीए ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ यूरोप के 3 आर्थिक संगठनों में एक हैं। भारत और ईएफटीए के बीच मुक्त व्यापार समझौता अर्थव्यवस्था की मजबूती की दिशा में निर्णायक साबित होगा। इससे 15 वर्षों में भारत में 8,884,000 करोड़ रुपए का दीर्घकालिक निवेश होगा। साथ ही 10 लाख से ज्यादा रोजगार मिलेंगे। इस समझौते से अगले 15 वर्षों में भारत में 100 अरब डॉलर यानी 8 लाख 88 हजार 4 सौ करोड़ रुपए का निवेश होगा। साथ ही 10 लाख से ज्यादा सीधा रोजगार मिलेगा। इसके अलावा इससे जुड़े अप्रत्यक्ष रोजगार अलग होंगे। यह इन चार विकसित यूरोपीय देशों के साथ भारत का पहला मुक्त व्यापार समझौता है। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच व्यापारिक समझौतों की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
चार यूरोपीय देशों, आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉ
टीईपीए एक व्यापक और दूरदर्शी समझौता है। इसमें 14 अध्याय हैं, जो व्यापार के महत्वपूर्ण पहलुओं से जुड़े हैं। वस्तुओं के लिए बाज़ार तक पहुंच बनाना, व्यापार करना आसान बनाना, बेवजह की रुकावटों को दूर करना, पर्यावरण मानकों को मानना, व्यापार में तकनीकी बाधाएं दूर करना, निवेश प्रोत्साहन, सेवाएं, बौद्धिक संपदा अधिकार शामिल हैं। किसी भी भारतीय मुक्त व्यापार समझौते में पहली बार ऐसा हुआ है कि समझौते में निवेश और रोजगार सृजन को बाध्यकारी बनाया गया है। ये आत्मनिर्भर भारत की दिशा में अहम कदम है। इस समझौते का लक्ष्य अगले पंद्रह वर्षों में भारत में 100 अरब डॉलर यानी 8 लाख 88 हजार 4 सौ करोड़ रुपए का निवेश और दस लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजित करना है, जो इसे देश के आर्थिक इतिहास की सबसे दूरदर्शी व्यापारिक साझेदारियों में से एक बनाता है।
टीईपीए के मूल में एक मजबूत निवेश प्रक्रिया है। इसमें ईएफटीए देशों को शुरुआती 10 वर्षों के दौरान भारत में 50 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने और उसके बाद के पांच वर्षों में 50 अरब डॉलर का अतिरिक्त निवेश करने की प्रतिबद्धता होगी। ये रकम अल्पकालिक पोर्टफोलियो निवेशों के बजाय विनिर्माण, इनोवेशन और अनुसंधान में दीर्घकालिक परियोजनाओं में लगाई जाएंगी। इनसे भारत के प्रतिभाशाली लोगों को यूरोप के उन्नत तकनीकी नेटवर्क से जोड़कर दस लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने का अनुमान है। इसे आसान बनाने के लिए, फरवरी 2025 में निवेशकों के लिए एक भारत-ईएफटीए डेस्क की स्थापना की गई है। जो नवीकरणीय ऊर्जा, विज्ञान, इंजीनियरिंग और डिजिटल बदलाव जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हुए, छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए संयुक्त उद्यमों और सहयोग को बढ़ावा देगा।
यह समझौता रणनीतिक रूप से टैरिफ को कम या पूरी तरह समाप्त करके संतुलित बाजार तक पहुंच को सुनिश्चित करेगा। ईएफटीए ने अपनी 92.2 प्रतिशत उत्पादों पर टैरिफ में छूट दी है, जिसमें भारत के 99.6 प्रतिशत निर्यात शामिल हैं, जिसमें सभी गैर-कृषि वस्तुएं और प्रोसेस्ड कृषि उत्पाद शामिल हैं। बदले में, भारत ने अपनी 82.7 प्रतिशत टैरिफ पर रियायतें दी हैं, जिसमें ईएफटीए के 95.3 प्रतिशत निर्यात शामिल हैं। खास बात यह है कि भारत ईएफटीए से 80 प्रतिशत से अधिक सोना आयात करता है, जहाँ प्रभावी शुल्क अपरिवर्तित रहते हैं। डेयरी, सोया, कोयला, फार्मास्यू
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