सरकार ने महेश शेट्टी के खिलाफ निष्कासन आदेश को कानूनी और न्यायोचित बताया

सरकार ने महेश शेट्टी के खिलाफ निष्कासन आदेश को कानूनी और न्यायोचित बताया

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| सौजन्या की मौत के लिए न्याय की मांग कर रहे अभियान का नेतृत्व कर रहे महेश शेट्टी को राज्य से बाहर करने के अपने फैसले का राज्य सरकार ने बचाव किया है| सरकार ने कहा है कि यह आदेश पूरी कानूनी प्रक्रिया के अनुसार जारी किया गया था और इसमें प्राकृतिक न्याय के किसी भी सिद्धांत का उल्लंघन नहीं किया गया| शेट्टी को रायचूर जिले के मानवी में एक साल तक रहने का निर्देश देने वाले इस निष्कासन आदेश को उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी|

यह याचिका सोमवार को न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज की एकल पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई| सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता तारानाथ पुजारी ने दलील दी कि निष्कासन आदेश में कई प्रक्रियागत खामियां हैं| उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और गृह विभाग दोनों ही शेट्टी के खिलाफ कार्रवाई करते दिख रहे हैं| पुजारी ने कहा कि शेट्टी के खिलाफ आपराधिक मामलों का कोई विवरण नहीं दिया गया है| उन्होंने आगे कहा कि उन्हें लगभग दस मामलों में पहले ही बरी किया जा चुका है, जबकि दो अन्य मामलों में ’बी’ रिपोर्ट दायर की जा चुकी है| उन्होंने आगे तर्क दिया कि लोकसभा चुनावों के दौरान शेट्टी द्वारा हिंसा भड़काने के दावों का कोई ठोस सबूत नहीं है और यह दावा कि गवाहों को उनके कारण सामने आने का डर था, झूठा है|

इन दलीलों का खंडन करते हुए, महाधिवक्ता के. शशिकिरण शेट्टी ने कहा कि शेट्टी के वकील द्वारा प्रस्तुत दलीलें गलत थीं| उन्होंने कहा कि एक स्थानीय निवासी होने के नाते, सौजन्य आंदोलन के बैनर तले शेट्टी की गतिविधियां लोगों को अच्छी तरह से ज्ञात थीं| महाधिवक्ता ने जोर देकर कहा कि सरकार ने प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन नहीं किया है और निष्कासन आदेश बिना किसी प्रक्रियागत चूक के जारी किया गया था| दोनों पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया| इसने पहले जारी किए गए अंतरिम आदेश को भी बढ़ा दिया, जो अधिकारियों को निष्कासन आदेश के संबंध में शेट्टी के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोकता है|

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