साख पर संकट से उबरने का प्रहसन

सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक किया जजों का सम्पत्ति का ब्यौरा

 साख पर संकट से उबरने का प्रहसन

33 जजों में से केवल 21 जजों का ब्यौरा सार्वजनिक क्यों?

जज वर्मा के घर से मिले नोटों की लीपापोती पर चुप्पी क्यों?

नई दिल्ली, 06 मई (एजेंसियां)। दिल्ली हाईकोर्ट के जज के यहां नोटों के जखीरे की बरामदगी की सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई लीपापोती से घबरा कर सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजों की सम्पत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने का प्रहसन खेलना शुरू किया है। ताकि असली मुद्दे से लोगों का ध्यान हटाया जा सके। सुप्रीम कोर्ट के जजों की सम्पत्ति का ब्यौरा सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड करने का प्रचार किया जा रहा है, लेकिन विडंबना यह है कि 33 जजों में से केवल 21 जजों की सम्पत्ति का ब्यौरा ही लोग देख पा रहे हैं। बाकी जजों ने अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा सुप्रीम कोर्ट को सौंपा है, लेकिन उसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। इस पर सवाल उठ रहे हैं। वेबसाइट पर सुप्रीम कोर्ट के जजों की सम्पत्ति सार्वजनिक किए जाने से दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से मिले अकूत धन पर एफआईआर दर्ज नहीं करने और मामले को रफा दफा करने की हरकतों पर देश में चल रही चर्चा में कोई कमी नहीं आई है।

वेबसाइट में सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त होने वाले जजों के नामअनुभवउनकी नियुक्ति की समेत उनका किसी पहले से सेवा दे रहे जज के साथ रिश्ते आदि की जानकारी भी सार्वजनिक की है। पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसने न्यायाधीशों की सम्पत्ति का विवरण अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। यह जानकारी न्यायालय के उस फैसले को देखते हुए लिया गया है जिसमें सम्पत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक डोमेन में लाने की बात कही गई हैहालांकि वेबसाइट पर 33 में से केवल 21 जजों की जानकारी ही देखी जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने 1 अप्रैल 2025 को निर्णय लिया था कि न्यायाधीशों की सम्पत्ति का विवरण इस न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड करके सार्वजनिक डोमेन में रखा जाएगा। न्यायाधीशों की सम्पत्ति का विवरण जो पहले से उपलब्ध हैउसे अपलोड किया जा रहा है। बाकी जजों की जानकारी मिलने पर अपलोड की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी वेबसाइट पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में नियुक्तियों की पूरी प्रक्रिया की भी जानकारी दी है जिसमें राज्य सरकारों और केंद्र सरकार से मिलने वाला इनपुट और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के रोल के बारे में बताया गया है। इसका मकसद पारदर्शिता लाना और जनता को जागरूक बनाना है। इसमें 9 नवंबर 2022 से अब तक हाईकोर्ट के जजों की नियुक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जो प्रस्ताव रखा था उसे अपलोड किया गया है। कॉलेजियम ने 221 नामों की सिफारिश पिछले ढाई साल में की थी। इनमें से 29 उम्मीदवारों के नामों को सरकार ने मंजूरी दी। इसमें ओबीसी 21, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 7, एससी 7 और एसटी 5 शामिल हैं। इसमें जानकारी दी गई है कि कोई भी उम्मीदवार किसी रिटायर्ड या मौजूदा सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के जज का रिश्तेदार या परिवार तो नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने जिन नामों की सिफारिश की थी उनमें से 11 जजों में के पिता, 3 के रिश्तेदार और 1-1 के भाई या ससुर पूर्व में या वर्तमान में जज हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की सम्पत्ति के सार्वजनिक ब्यौरे में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की सम्पत्ति की जानकारी भी शामिल है। खन्ना की सम्पत्ति में 55 लाख रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट और 1 करोड़ रुपए का पब्लिक प्रोविडेंट फंड शामिल है। 14 मई को मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालने जा रहे जस्टिस बीआर गवई के बैंक अकाउंट में 19.63 लाख रुपए और पीपीएफ खाते में 6.59 लाख रुपए हैं। साथ ही उनकी सम्पत्ति में साउथ दिल्ली में दो बेडरूम का डीडीए फ्लैट और कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज में चार बेडरूम का फ्लैट शामिल है। गुरुग्राम में चार बेडरूम के फ्लैट में भी उनकी 56 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं उनकी बेटी के पास बाकी 44 फीसदी हिस्सा है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में विभाजन से पहले के एक पुश्तैनी घर में भी उनकी हिस्सेदारी है। जस्टिस गवई को महाराष्ट्र के अमरावती में एक घर के अलावा मुंबई और दिल्ली में आवासीय अपार्टमेंट भी मिले हैं। उन्हें अमरावती और नागपुर में एग्रीकल्चर लैंड भी विरासत में मिली है। उन्होंने 1.3 करोड़ रुपए की देनदारी भी घोषित की है।

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जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका 24 मई को रिटायर होने वाले हैं। उनकी सम्पत्तियों में पीपीएफ में 92.35 लाख रुपएएफडी में 21.76 लाख रुपए2022 मॉडल की मारुति बलेनो कार और 5.1 लाख रुपए का कार लोन शामिल है। जस्टिस विक्रम नाथ ने नोएडा में 2-बीएचके अपार्टमेंटइलाहाबाद में एक बंगला और उत्तर प्रदेश में विरासत में मिली एग्रीकल्चर लैंड की घोषणा की है। इसके अलावा उनके पास 1.5 करोड़ रुपए का इंवेस्टमेंट भी है।

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वेबसाइट के अनुसार जस्टिस सूर्यकांत के पास चंडीगढ़, गुरुग्राम और दिल्ली में अपनी पत्नी के साथ संयुक्त तौर पर रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी है। उनके इन्वेस्टमेंट में 31 एफडी रसीद शामिल हैं। इनमें ब्याज भी शामिल है। इनकी कुल कीमत 6.03 करोड़ रुपए है। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी के पास अहमदाबाद के गुलबाई टेकरा स्थित दीप्ति बैंक ऑफ इंडिया सोसायटी में एक घर है। इसके अलावा नीतिबाग जजेज कोऑपरेटिव सोसायटीअहमदाबाद में भी एक घर है। उनके पास 60 लाख रुपए म्यूचुअल फंड में20 लाख रुपए पीपीएफ मेंइसके अलावा 50 लाख रुपए के गहने और 2015 मॉडल की मारुति स्विफ्ट कार है। जस्टिस सुधांशु धूलिया के पास 2008 मॉडल की मारुति जेन एस्टिलो कार है। यह इस समय इस्तेमाल में नहीं है। वह देहरादून में बेकार पड़ी है। उनकी प्रॉपर्टी लिस्ट में लिखा है कि यहां बताई गई सभी अचल सम्पत्तियां मेरे जज बनने से पहले की हैं और इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।

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