आंख उठाई तो घुस कर मारेंगे...
भारत की दृढ़ता का नया परिचय : ऑपरेशन सिंदूर
आतंकवादी संगठनों और संरक्षक देशों को स्पष्ट संदेश
शुभ-लाभ विमर्श
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में यह ऑपरेशन एक स्पष्ट और सुस्पष्ट संदेश देता है कि सीमा पार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इसके लिए जिम्मेदार लोगों, चाहे वे सरकारी हों या गैर-सरकारी, को ठोस कीमत चुकानी होगी। परमाणु बल प्रयोग के लंबे समय से चले आ रहे हौव्वे को मोदी सरकार ने खत्म कर दिया और उसकी जगह दृढ़ता और स्पष्टता ने जगह ले ली है।
26 अप्रैल 2025 को कोडनेम ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान पर भारत के हालिया सटीक हमलों ने एक स्पष्ट संदेश दिया है। भारत के खिलाफ किसी भी दुस्साहस की कीमत चुकानी होगी। हमले से कुछ ही दिन पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए स्पष्ट रूप से कहा था, हम उन्हें धरती के छोर तक खदेड़ देंगे। हम हर आतंकवादी और उनके समर्थकों की पहचान करेंगे, उनका पता लगाएंगे और उन्हें उनकी कल्पना से परे दंडित करेंगे। इस ऑपरेशन ने उन शब्दों के पीछे के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया। पिछली प्रतिक्रियाओं के विपरीत, भारतीय सशस्त्र बलों ने न केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाया, बल्कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी अंदर तक हमला किया। यह सब सावधानीपूर्वक पाकिस्तानी सेना पर सीधे हमलों से बचते हुए किया गया। आधिकारिक तौर पर यह ऑपरेशन केंद्रित, लक्षित, नपातुला और सटीक कार्रवाई के रूप में पारिभाषित हुआ। इस ऑपरेशन ने भारत की आतंकवाद-रोधी रणनीति के एक नई दहलीज पर दृढ़ता से खड़े होने का संकेत दिया।
इस सोची-समझी कार्रवाई ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और उन सारी ताकतों को एक तीखी चेतावनी देने वाली साबित हुई। पाकिस्तान को भी यह समझ में आ गया कि आतंकवाद को लगातार समर्थन देने से पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान भी भारत के निशाने पर आ सकते हैं। संयमित और बेजोड़ सटीकता से ऑपरेशन सिंदूर ने विश्वसनीय प्रतिरोध और रणनीतिक दृढ़ता की एक नई रणनीति का पूरे विश्व को संकेत दिया है।
हमले के बाद, भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादी ढांचे को विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत निशाना बनाया गया। नागरिक और सैन्य हताहतों से बचने के लिए हमले सावधानीपूर्वक किए गए। भारत के रुख की पुष्टि करते हुए, बयान में कहा गया, भारत सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ अपने नागरिकों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा। नई दिल्ली ने पाकिस्तान से आतंकी नेटवर्क को खत्म करने को भी कहा और उकसावे के जारी रहने पर आगे की कार्रवाई की सख्त चेतावनी भी दी।
जम्मू और कश्मीर में 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में चुन-चुन कर 26 हिंदू पर्यटकों को मारा गया था। इसके बाद ही यह ऑपरेशन शुरू हुआ। दशकों से चली आ रही हिंसा और खून-खराबे से तंग आकर जम्मू और कश्मीर के लोग सामान्य स्थिति और आर्थिक स्थिरता के लिए संघर्ष कर रहे थे। इस हमले में न केवल निर्दोष लोगों की मौत हुई, बल्कि कश्मीरियों की प्रतिष्ठा भी धूमिल हुई। एक स्थानीय कश्मीरी ने एक आतंकवादी को निहत्था करने की कोशिश में वीरतापूर्वक अपनी जान भी गंवा दी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, यह हमला सिर्फ निर्दोष लोगों पर हमला नहीं था, बल्कि कश्मीर में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को तोड़ने का प्रयास था। उनके बयान से यह बात रेखांकित होती है कि हमले के पीछे की मंशा सिर्फ़ शांति भंग करने से कहीं ज्यादा थी क्षेत्र में सामाजिक सामंजस्य और स्थिरता के व्यापक ताने-बाने को कमजोर करना।
इस ऑपरेशन के लिए सिंदूर नाम पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों की विधवाओं के सम्मान में चुना गया था। हिंदू परंपरा में सिंदूर एक महिला की विवाहिता होने का प्रतीक है। इस नाम का मार्मिक चयन हमले में विधवा हुई 25 महिलाओं द्वारा अनुभव किए गए गहरे नुकसान को परिलक्षित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से पीड़ितों और उनके परिवारों को श्रद्धांजलि के रूप में यह नाम चुना।
6 मई 2025 को सुबह 1:05 बजे से 1:30 बजे के बीच किया गया यह ऑपरेशन भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा सावधानीपूर्वक समन्वित हमला था, जिसका उद्देश्य लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूहों से जुड़े आतंकी ढांचे, लॉन्चिंग पैड और प्रशिक्षण केंद्रों को नष्ट करना था। विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर, ऑपरेशन ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में और पाकिस्तान के अंदरूनी इलाकों में बहावलपुर, मुरीदके, तेहरा कलां, सियालकोट, भीमबर, कोटली और मुजफ्फराबाद सहित नौ जगहों को निशाना बनाया। सभी निर्धारित लक्ष्यों पर सटीक निशाना साधा गया और कोई विफलता नहीं रही। इस सटीकता से पाकिस्तान सरकार को भारत की मजबूत खुफिया पैठ और हमला करने की क्षमताओं के बारे में साफ-साफ संदेश गया। ऑपरेशन सिंदूर की महत्वपूर्ण रणनीति में प्रमुख आतंकवादी सरगनाओं के ठिकानों पर प्रहार भी शामिल था। जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य बहावलपुर में जैश के मुख्यालय पर हुए हवाई हमलों में मारे गए। साथ ही अजहर के चार करीबी सहयोगी भी मारे गए। ये कार्रवाइयां आतंकवादी संगठनों के भीतर प्रभावशाली सरगनाओं को लक्षित करने में ऑपरेशन की सटीकता को खास तौर पर रेखांकित करती है।
ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान समेत दुनिया को भारतीय सेना के सटीक हथियारों और शस्त्रागारों की विविधता का भी परिचय दिया। भारतीय सेना ने राफेल लड़ाकू विमानों से स्कैल्प मिसाइल दागे और एएएसएम हैमर बमों का भी इस्तेमाल किया। भारतीय सेना ने इन उन्नत हथियारों के जरिए पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किए बिना 500 किलोमीटर दूर तक के लक्ष्यों पर सक्षमतापूर्वक हमला किया। यह भारत की रणनीतिक योजना और तकनीकी श्रेष्ठता को दर्शाता है। हथियारों का चयन विशिष्ट लक्ष्यों के लिए सावधानीपूर्वक किया गया, जिससे ऑपरेशन की प्रभावशीलता बढ़ गई। इस सटीकता ने पाकिस्तान के पांच भारतीय जेट विमानों को मार गिराने के झूठे दावों को भी उजागर कर दिया, क्योंकि ऐसा कोई सबूत नहीं था। वास्तव में, पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली आने वाले हमलों को रोकने में विफल रही, जिससे भारतीय हथियार प्रणालियों की श्रेष्ठता और भी उजागर हुई। ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय सशस्त्र बलों की सभी तीन शाखाओं थलसेना, नौसेना और वायुसेना द्वारा निष्पादित किया गया था। इससे सेना की तीनों शाखाओं के बीच निर्बाध समन्वय और संयुक्त परिचालन शक्ति का प्रदर्शन हुआ। थलसेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा भी, यह ऑपरेशन भारत की सख्त, तीव्र और समन्वित हमला करने की क्षमता का प्रमाण है।
अपनी तात्कालिक सामरिक सफलता के साथ-साथ ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को एक निर्णायक रणनीतिक संदेश दिया है। भारत ने पाकिस्तानी सेना को प्रतिरोध का एक मजबूत पाठ पढ़ाया। भविष्य में कोई भी दुस्साहस पाकिस्तान को भारी कीमत चुकाने पर मजबूर करेगा, जिसे पाकिस्तान आसानी से नहीं झेल नहीं सकता। पाकिस्तानी क्षेत्र में अंदर तक हमला करके, भारत ने दिखाया कि कोई भी लक्ष्य उसकी पहुंच से दूर नहीं है और भविष्य में उकसावे के गंभीर परिणाम होंगे। पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था, जो अंतरराष्ट्रीय बेलआउट पर निर्भर है, संघर्ष शुरू करने या बनाए रखने की उसकी क्षमता को अत्यंत कम कर देती है। संकट के तुरंत बाद, पाकिस्तानी नेता ख्वाजा आसिफ ने कहा, यदि भारत तनाव कम करने को तैयार है, तो हम तनाव कम करने को तैयार हैं। इसके अलावा, दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) ने तनाव कम करने के लिए बातचीत भी की।
कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के लिए भी ऑपरेशन सिंदूर ने साफ-साफ संदेश दिया। अगर भारत पाकिस्तान के अंदर तक जाकर लगभग पूरी सटीकता के साथ हमला कर सकता है, तो स्थानीय आतंकी तत्वों को बेअसर करना और भी आसान है। ऑपरेशन की सटीकता और पहुंच ने एक स्पष्ट चेतावनी दी, जिसका आतंकी नेटवर्क पर महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ा।
ऑपरेशन सिंदूर से कई लक्ष्य सधे। आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ठोस रणनीतिक बदलाव भी देखने को मिला। इस बदलाव ने परमाणु ब्लैकमेल को पूरी तरह खत्म किया और दृढ़ निर्णय क्षमता को पारिभाषित किया। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह निर्णायक रुख अतीत के सतर्क रणनीतिक दृष्टिकोण से साफ-साफ अलग है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, नई दिल्ली ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को रूढ़ियों और कुंठाओं से निकाल कर नया और महत्वपूर्ण रूप दिया है। आतंकी हमलों के बाद लंबी बहस और परमाणु ब्लैकमेल का दौर अब खत्म हो गया है। मोदी के कार्यकाल से पहले, पाकिस्तान की परमाणु निरोधक क्षमता को लेकर भारत के राजनीतिक प्रतिष्ठान में व्यापक भय और भ्रम था। पाकिस्तान ने लंबे समय से भारत को डराने के लिए अपनी परमाणु क्षमता को ब्लैकमेल की तरह इस्तेमाल किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद को समर्थन देने वाले पाकिस्तान पर जुर्माना लगाने के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और संकल्प का प्रदर्शन किया है। इसके अलावा, मोदी के रणनीतिक दृष्टिकोण में आश्चर्य, गोपनीयता और रणनीतिक-चाल का तत्व भी शामिल है। उदाहरण के लिए, ऑपरेशन सिंदूर से पहले मॉक ड्रिल की घोषणा ने पाकिस्तान का ध्यान भटका दिया, लेकिन वास्तविक हमले रात में हुए, जिससे पाकिस्तान अचंभित रह गया। यह अप्रत्याशितता मोदी के रणनीतिक नेतृत्व की पहचान है, जो विरोधियों को अनुमान लगाने पर मजबूर करती है और यह सुनिश्चित करती है कि वे भारत के अगले कदम के लिए कभी भी पहले से कुछ तय नहीं कर सकते। मोदी ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि यदि आप भारत के खिलाफ आतंकवाद को जारी रखते हैं, तो आपको गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उनके नेतृत्व ने भारत-पाकिस्तान संबंधों के गणित को मौलिक रूप से बदल दिया है। यह सुनिश्चित किया है कि भारत अब पाकिस्तान के उकसावे का मूक दर्शक नहीं रहेगा।