दो की मौत, दर्जनों जख्मी, उस पार भी हुआ भारी नुकसान
उड़ी, पुंछ और राजौरी समेत कई कस्बों में पाकिस्तानी गोले
जम्मू, 09 मई (ब्यूरो)। बाइस साल तक शांत रहने वाली एलओसी अर्थात लाइन आफ कंट्रोल पर दोनों ओर से तोपखाने आग उगले रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे दोनों ओर से 22 सालों का गुब्बार एक ही दिन में निकाल देना चाहते हों। कल के ड्रोन हमलों के बाद से ही पाक सेना भारी तोपखानों से उड़ी, पुंछ और राजौरी को शमशान बनाने में जुटी हुई है। दर्जनों मकान ध्वस्त हो चुके हैं। दो लोगों के मरने की पुष्टि हुई है। हालांकि उस पार पाक सेना को जबरदस्त क्षति पहुंचाने के दावों के बीच उस पार भी ऐसी ही तबाही के समाचार हैं।
कश्मीर में एलओसी के पास के गांवों में पाक सेना द्वारा रात से की जा रही गोलाबारी में एक महिला की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए और सम्पत्ति को नुकसान पहुंचा। खबरों के मुताबिक, उड़ी गांव में सड़क पर एक वाहन पर गोलाबारी होने से महिला की मौत हो गई, जिसकी पहचान नरगिस बेगम पत्नी बशीर खान के रूप में हुई है। एक अन्य महिला घायल हो गई, जिसका बारामुला जिले के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा गोलाबारी के बीच खतरा मोल लेते हुए उड़ी में बेघर हुए तथा जख्मी हुए लोगों से मिलने पहुंचे हैं। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने महिला की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि कल रात तीन लोगों को छर्रे लगने के कारण बारामुला के सरकारी मेडिकल कालेज अस्पताल लाया गया था। अधिकारी ने कहा कि महिला को मृत अवस्था में लाया गया, जबकि एक पुरुष और एक महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दोनों की हालत स्थिर है, लेकिन उनके कान और सीने में छर्रे लगे हैं।
इसके अलावा, पुंछ जिले के लोरान मंडी तहसील के लोहिबेला इलाकों में पाकिस्तानी गोलाबारी में एक नागरिक की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। मृतक की पहचान लोहिबेला के इबरार मलिक के रूप में हुई है, जबकि घायलों की पहचान शाहिदा बेगम और वसीम अहमद के रूप में हुई है। गोलाबारी में दर्जनों घर और अन्य संरचनाएं भी क्षतिग्रस्त हो गईं, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। कुपवाड़ा जिले के एक गांव के मुखिया मोहम्मद जाफर लोन ने फोन पर बताया कि केवल हम सुरक्षित हैं क्योंकि हमने भूमिगत बंकरों में शरण ली है। बाकी, कई घर क्षतिग्रस्त हो गए है। उन्होंने कहा कि सुबह करीब 5.30 बजे गोलाबारी बंद हो गई जिसके बाद उन्होंने क्षतिग्रस्त घरों का दौरा किया। लोन ने बताया कि 1700 से अधिक आबादी वाले उनके हाजीनार गांव में रात भर की गोलाबारी में कम से कम 20 घर क्षतिग्रस्त हो गए। कुपवाड़ा के एक अन्य ग्रामीण का कहना था कि वे डर में जी रहे हैं और डर के कारण अपने गांव छोड़ने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, बहुत से लोग गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं।
कुपवाड़ा में भी रात में भारी गोलाबारी के बाद गांवों में दहशत और भय का माहौल रहा और सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचा। चौकीबल, टंडगर, उड़ी और करनाह गांवों में गोलाबारी तेज थी और लोग भूमिगत बंकरों में शरण लिए हुए थे। कई दूरदराज और पहाड़ी गांवों से ली गई तस्वीरों में आवासीय और व्यावसायिक संरचनाओं को भारी नुकसान दिखाई दिया। साथ ही, कुछ गांवों ने गोलाबारी में पशुधन के नुकसान की सूचना दी। टंगधार के एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि वे पूरी रात जागते रहे क्योंकि जोरदार धमाकों ने गांव को हिलाकर रख दिया और लोगों में दहशत फैल गई। वहीं, लगभग 200 से अधिक लोग एक सामुदायिक बंकर में ठिठुर रहे हैं। भारी गोलाबारी के बीच, पिछले तीन दशकों में सीमा पार से गोलाबारी का खामियाजा भुगतने वाली गुरेज घाटी शांत रही। फिर भी कई ग्रामीण शहरों में सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं।