पहलगाम का झटका, हजारों लोगों की आजीविका छिनी
जम्मू, 14 मई (ब्यूरो)। पहलगाम में हाल ही हुए आतंकी हमले ने क्षेत्र के पर्यटन उद्योग को गहरा झटका दिया है, जिससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं। कभी चहल-पहल से भरा यह शहर अब वीरान पड़ा है, क्योंकि 5,000 घोड़ा संचालक और करीब 600 वाहन मालिक-अपने परिवारों के साथ-जो अपनी आजीविका के लिए पर्यटन पर निर्भर थे, आज बेकार हो गए हैं।
अनंतनाग में कभी पर्यटन गतिविधियों का जीवंत केंद्र रहा पहलगाम का सुंदर शहर अब वीरान नजर आता है। कश्मीर की बैसरन घाटी, जिसे अक्सर पोस्टकार्ड-परफेक्ट दृश्यों के लिए मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है, उसकी शांति 22 अप्रैल को तब बिखर गई, जब पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान ले ली गई। यह हमला पर्यटन सीजन की शुरुआत में हुआ, जो अप्रैल से अक्टूबर तक चलता है। यह होटल, परिवहन, हस्तशिल्प और स्थानीय बाजारों से जुड़े व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण अवधि होती है। हजारों निवासी, जिनकी आजीविका पर्यटकों की आमद पर निर्भर करती है, अब बहुत कम या बिना आय और घटती उम्मीद के साथ अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं।
पत्रकारों से बात करते हुए, पोनी वाला एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल वहीद वानी ने उन हजारों घोड़ा संचालकों के लिए गहरी चिंता व्यक्त की, जो अब अपने परिवारों का भरण-पोषण करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे कहते हैं कि पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले से 5,000 घोड़ा संचालकों के परिवार प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि पहलगाम की पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर करती है, क्योंकि क्षेत्र के सभी 13 गांव इसकी प्राकृतिक सुंदरता पर निर्भर हैं। वे कहते हैं कि हमला करने वालों ने बहुत बड़ी गलती की है। हम इस देश के नागरिक हैं और अगर पर्यटक यहां आना बंद कर देंगे तो हमलावरों का उद्देश्य पूरा हो जाएगा। बैसरन में निर्दोष नागरिकों पर हमले के लिए जिम्मेदार लोग शांति को भंग करना चाहते थे। देश भर से पर्यटकों को यहां आना चाहिए और ऐसे तत्वों के एजेंडे को विफल करना चाहिए। फोटोग्राफर, होटल व्यवसायी, ड्राइवर और टट्टू वालों की आजीविका प्रभावित हुई है।
पहलगाम के सूमो स्टैंड के अध्यक्ष गुलजार अहमद के बकौल, पर्यटकों को परिवहन सेवाएं प्रदान करने वाले 600 से अधिक वाहन मालिकों ने भी अपनी आय का स्रोत खो दिया है। वे कहते हैं, मेरे संघ में करीब 600 वाहन हैं जो करीब 60,000 परिवार के सदस्यों की आजीविका का सहारा हैं। पहलगाम की पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन के इर्द-गिर्द घूमती है। पर्यटकों के बिना हमारे पास न तो कोई काम है और न ही कोई आय। लोग संकट में हैं। पहलगाम हमेशा से शांतिपूर्ण रहा है, जिससे शांति के दुश्मन नाराज हो सकते हैं। गुलजार अहमद कहते हैं कि पहलगाम एक सितारे की तरह चमक रहा था, और अब पूरा इलाका अंधेरे में डूब गया है। सरकार को कश्मीर घाटी में पर्यटन को पुनर्जीवित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।