पत्थर फेंकने वालों पर गोली चलाने का अधिकार क्यों नहीं?
कांग्रेस नेता पाकिस्तान की मदद करने की बात कर रहे हैं: सी.टी. रवि
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| विधान परिषद सदस्य सी.टी. रवि ने कहा कि राष्ट्रीय मुद्दों की बात करें तो भी कांग्रेसी पाकिस्तान की मदद करने की बात करते हैं| ऐसा क्यों है? यहां मीडिया प्रतिनिधियों से बात करते हुए उन्होंने कहा हमें अपने सैनिकों पर गर्व है| हमने कभी भी अपने सैनिकों पर अविश्वास व्यक्त नहीं किया है| किसी ने भी सैनिकों का श्रेय छीनने के लिए कुछ नहीं किया है| उन्होंने कहा कि जो लोग युद्ध के मैदान में गए वे सैनिक थे|
उन्होंने कांग्रेस नेताओं से पूछा कि क्या आपने अतीत में जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी, तब सबूत नहीं मांगे थे? फिर उन्होंने पूछा कि क्या उन्होंने सैनिकों पर अविश्वास व्यक्त किया था| उस समय सैनिकों पर आपका विश्वास कहां चला गया था? इतना ही नहीं, हमें अपने सैनिकों पर भरोसा है| हमें उन पर गर्व है|
उन्होंने बताया कि १९६२ के भारत-चीन युद्ध को छोड़कर किसी भी अन्य युद्ध में हमारे सैनिक रणभूमि पर नहीं हारे हैं| १९४८ के युद्ध के दौरान सैनिकों ने दावा किया था कि वे मात्र ४८ घंटों में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर कब्जा कर लेंगे| तो फिर आपने युद्ध क्यों रोक दिया? परिणाम क्या था? हमारा एक तिहाई कश्मीर पाकिस्तान के हाथों में चला गया| यह आज भी पाकिस्तान के हाथों में है| इसके लिए कौन जिम्मेदार है? हमारे सैनिक नहीं| उस समय जनरल थिमैया ने कहा था कि युद्धविराम की कोई आवश्यकता नहीं है| उन्होंने स्टंट भी किए हैं| १९६५ के युद्ध में हमारी सेना कराची और लाहौर तक गयी थी|
यह हमारे लिए गर्व की बात है| ताशकंद वार्ता की मेज पर हमने जो कुछ जीता था, वह सब हमें खोना पड़ा| इतना ही नहीं, उन्होंने बताया कि हमने अपने गौरवशाली प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी खो दिया है| उन्होंने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री की मृत्यु संदिग्ध होने के बावजूद पोस्टमार्टम नहीं कराया गया| कांग्रेसियों के बयानों के लहजे से ऐसा लगता है कि वे इसे भाजपा और पाकिस्तान के बीच युद्ध मान रहे हैं|
आतंकवादियों ने राजनीतिक दलों को निशाना नहीं बनाया है| उन्होंने राजनीतिक दलों से आगे जाकर भारत की संप्रभुता, हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और यहां के सर्वधर्म, समतावादी और सह-अस्तित्व के मूल्यों पर सवाल उठाया है और हत्या को अंजाम दिया है| उन्होंने इसके जरिए युद्ध भड़काने का आरोप लगाते हुए उनकी आलोचना की| १९७१ में बांग्लादेश आजाद हुआ| हमारे गौरवशाली सैनिकों ने ९३,००० पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया| प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और राजनीतिक नेता युद्ध के मैदान में नहीं गए थे| शिमला समझौते के तहत उन्हें बिना शर्त रिहा कर दिया गया| हमारे ५४ सैनिकों को रिहा नहीं किया गया| उनको क्या हुआ? पीओके वापस नहीं किया गया| एल.ओ.सी. पर सहमति होनी थी|
वार्ता की मेज पर सैनिकों ने क्या जीता और क्या खोया, इस बारे में हमें क्या कहना चाहिए? पराजित कौन है? युद्ध कोई बॉलीवुड फिल्म जैसा नहीं है| प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने सेना को पूरी आजादी दे दी है| मेरे कांग्रेसी मित्र जो अब आलोचना कर रहे हैं, क्या हमला मुंबई में नहीं हुआ था? क्या आपने सेना को जवाबी हमला करने की आजादी दी थी? क्या आपने सेना को उस समय स्वतंत्रता दी थी जब कई आतंकवादी हमले हुए थे? आपने पत्थर फेंकने वालों को जवाब में गोली चलाने का अधिकार भी नहीं दिया, है न? भले ही उन्होंने भारत और भारतीय ध्वज का अपमान किया और पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगाए, लेकिन हमारे सैनिकों को यह अपमान सहना चाहिए था| क्या यह ऐसी दोस्ती है?
जब पूरा देश कह रहा था कि युद्ध की जरूरत है, तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने कहा कि युद्ध नहीं, शांति की जरूरत है| उनका बयान यह कहते हुए मुख्य समाचार बना कि सिद्धरामैया साहब पाकिस्तान में हैं| उन्होंने बताया कि पाकिस्तानियों ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ उनके शब्दों का प्रयोग किया था| हमारे प्रधानमंत्री ने कहा है कि अब से कोई भी आतंकवादी हमला युद्ध को निमंत्रण है| आपने क्या किया?

