स्टारलिंक को भारत में भी मिला लाइसेंस
15 दिन में शुरू हो जाएगा ट्रायल
नई दिल्ली, 06 जून (एजेंसियां)। भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट कम्युनिकेशन (सैटकॉम) सेवाएं देने के लिए आधिकारिक लाइसेंस जारी कर दिया है। 15-20 दिनों के भीतर उन्हें परीक्षण स्पेक्ट्रम प्रदान कर दिया जाएगा। स्टारलिंक को भारत में ब्रॉडबैंड और सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं शुरू करने की हरी झंडी मिल गई है। यह मंजूरी भारत के ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने में मदद कर सकती है।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सैटकॉम कंपनियों के लिए स्पेक्ट्रम के प्रशासनिक आवंटन की सिफारिश की है, लेकिन डीओटी ने इन सिफारिशों को अभी तक मंजूरी नहीं दी है। स्टारलिंक को भारत में ब्रॉडबैंड और सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं शुरू करने की हरी झंडी मिल गई है। यह मंजूरी भारत के ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट पहुंचाने में मदद कर सकती है। ट्राई ने यह भी सिफारिश की है कि सैटकॉम कंपनियों से एजीआर (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) का 4 प्रतिशत शुल्क लिया जाए। अब स्टारलिंक को भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए स्पेक्ट्रम की मंजूरी का इंतजार है। अगर ट्राई की सिफारिशें मंजूर होती हैं, तो स्टारलिंक जल्द ही भारत में अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं शुरू कर सकती है।
हाल ही में केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि स्टारलिंक सैटेलाइट कनेक्टिविटी टेलीकॉम के गुलदस्ते में एक और फूल की तरह है। मोबाइल कनेक्टिविटी के साथ-साथ हमारे पास ऑप्टिकल फाइबर कनेक्टिविटी भी है, लेकिन सैटेलाइट कनेक्टिविटी दूरदराज के इलाकों में बहुत अहम है, जहां वायर्ड कनेक्शन आसानी से नहीं पहुंच सकते। आने वाले दिनों में तीसरा लाइसेंस जारी किया जाएगा। पहला लाइसेंस वनवेब को दिया गया था, दूसरा रिलायंस को दिया गया है और तीसरा लाइसेंस स्टारलिंक को दिया जा रहा है। इसके बाद सरकार स्पेक्ट्रम उपलब्ध कराएगी और देश में यह सेवा जल्द शुरू होगी।
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