वनवासियों में धर्मांतरण गंभीर मुद्दा है

आरएसएस के सम्मेलन में बोले संघ प्रमुख मोहन भागवत

 वनवासियों में धर्मांतरण गंभीर मुद्दा है

ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय सेना का पराक्रम दिखाया

नागपुर06 जून (एजेंसियां)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भारतीय संस्कृति की जड़ें जनजातीय समाज में हैं और उन्होंने देश की परंपरा को बचाए रखा है। इसलिए जनजातीय क्षेत्रों में धर्मांतरण का मुद्दा गंभीर है। अगर कोई पूरे मन से पूजा पद्धति बदल रहा हैतो उस पर किसी को आपत्ति होने का सवाल ही नहीं उठता। लेकिन तरह-तरह के लालच दिखाकर और जबरदस्ती दूसरा मत स्वीकार करने के लिए मजबूर करना गलत है। यह हिंसा है। अगर इस तरह से मतांतरित व्यक्ति घर वापसी कर रहा हैतो उसे स्वीकार किया जाना चाहिए। स्थानीय रेशमबाग मैदान पर हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में मोहन भागवत ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि वनवासी हमारे समाज का हिस्सा हैं। धर्मांतरण और अन्य मुद्दों पर हम जनजातीय समुदाय के साथ यथासंभव सहयोग करेंगे। सरकार और प्रशासन मददगार हो सकते हैंलेकिन संबंधित लोगों को भी इस काम में भाग लेना चाहिए।

सरसंघचालक ने पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद सरकार और सेना ने आवश्यक कार्रवाई की। इस घटना ने भारतीय सेना की क्षमता और वीरता को दुनिया के सामने ला दिया। इसने साबित कर दिया कि विभिन्न रक्षा अनुसंधान कितने आवश्यक और उपयोगी हैं। इसने केंद्र सरकार की दृढ़ता को भी दिखाया। महत्वपूर्ण बात यह है कि दुनिया ने भारत में राजनीति करने वाले सभी दलों के नेताओं की समझदारी और आपसी सहयोग को भी देखा। पूरे समाज ने हमारी एकता की मिसाल पेश की। अगर ऐसी भावना हमेशा बनी रहे तो इससे एक मजबूत लोकतंत्र की परिकल्पना सामने आएगी। पहलगाम हमले के बाद कार्रवाई करने का मतलब यह नहीं है कि समस्या हल हो गई है। युद्ध के प्रकार बदल गए हैं। आतंकवाद को शह देकर उसी माध्यम से लड़ा जा रहा है। साइबर युद्ध से लेकर छद्म युद्ध तक निरंतर प्रगति हो रही है। अब घर बैठे एक क्लिक से ड्रोन को नियंत्रित करके युद्ध लड़ा जा सकता है। इसलिए हमें अपनी सुरक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनना होगा। इसके लिए सरसंघचालक ने यह भी अपील की कि सेनासरकारप्रशासन के साथ-साथ समाज को भी साथ आना चाहिए।

इस मौके पर पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे अरविंद नेताम ने कहा कि वनवासी समुदाय के सामने धर्मांतरण सबसे बड़ी समस्या है। इस खतरे को किसी भी राज्य की सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया है। अब धर्मांतरण विरोधी कानून पारित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि संघ और समाज मिलकर ही धर्मांतरण की समस्या का निदान कर सकते हैं। नेताम ने कहा कि देश में जनजातीय समुदाय के सामने कई चुनौतियां हैं। अक्सर जब वे सरकार और प्रशासन के सामने जाते हैं तो उनकी सुनवाई नहीं होती। इसलिए मैं संघ की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहा हूं। वनवासियों का विस्थापन भी बड़ी समस्या है। संघ को सभी की समान भागीदारी सुनिश्चित करने की पहल करनी चाहिए। नेताम ने मांग करते हुए कहा कि वनवासियों की जमीनों को स्थायी रूप से अधिग्रहित करने के बजाय लीज पर लिया जाना चाहिए। काम पूरा होने के बाद संबंधित जमीन उन्हें वापस की जानी चाहिए। छत्तीसगढ़ में पिछले कई सालों से धन कानून का पालन नहीं हुआ है। संघ को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए।

नेताम ने कहा कि धर्मांतरण को रोकने के लिए डीलिस्टिंग एक बड़ा हथियार हो सकता है। इसके समर्थन में माहौल बनाने की कोशिश की जानी चाहिए। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को कुचलने के लिए काम चल रहा है। हालांकिनक्सलवाद की विचारधारा कई लोगों के बीच बनी हुई है। इस बात का खतरा है कि भविष्य में नक्सली फिर से सिर उठाएंगे। इसलिएइस संबंध में एक नीति तैयार की जानी चाहिए। नेताम ने कहा कि वनवासियों के धर्म कोड पाने की मांग सामने आ रही है। हम कोई नई सामाजिक विचारधारा नहीं बनाना चाहते। हालांकिवनवासियों को भी पहचान मिलनी चाहिए। देश में जनजातीय समुदाय की पहचान धीरे-धीरे खत्म हो रही है। धर्म कोड होगा तो आने वाली पीढ़ी को अतीत और पहचान का पता चलेगा। संघ के कार्यक्रम मे शामिल होने को लेकर नेताम ने बताया कि संघ भूमि पर आकर मुझे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। संघ के शताब्दी वर्ष में यहां आना गौरव का क्षण है। नेताम ने अपने भाषण में रेखांकित किया कि देश में संघ के अलावा किसी भी संगठन ने देश की अखंडता और सामाजिक समरसता के लिए काम नहीं किया है।

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संघ के स्वयंसेवक देश लिए आशा की किरण : आशा भोसले

नागपुर, 06 जून (एजेंसियां)। स्वास्थ्य कारणों से कार्यक्रम में नहीं पहुंच सकीं प्रख्यात गायिका आशा ताई भोसले ने संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत को भावुक पत्र लिख कार्यक्रम में नहीं आ पाने के लिए क्षमा मांगी और कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक देश के लिए आशा की किरण हैं।

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आशा ताई भोसले ने लिखा, संघ के कार्यक्रम में आमंत्रण दिए जाने के लिए मैं अत्यंत आभारी हूं। मेरी यह प्रबल इच्छा थी कि मैं संघ मुख्यालय आकर उन कार्यकर्ताओं को देखूं जो राष्ट्रसेवा के लिए स्वयं को समर्पित करने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्यवशअमेरिका से लौटने के बाद अस्वस्थता के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है। डॉक्टरों ने मुझे पूर्ण विश्राम की सलाह दी है। इसलिएसारी तैयारियां करने के बाद भी मुझे यह यात्रा भारी मन से रद्द करनी पड़ रही है। उन्होंने लिखा, मैंने संघ के कार्यों को लेकर अपनी शुभेच्छा और भावना पहले भी प्रकट की है। संघ स्वयंसेवक और उनका कार्य हमारे देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक बड़ी आशा और सहारा हैं। मैं संघ के कार्यों के लिए हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं और यथासंभव सहयोग का आश्वासन भी देती हूं। मेरी हार्दिक इच्छा है कि मैं शीघ्र स्वस्थ होकर आपसे व्यक्तिगत रूप से भेंट कर सकूं। आशा है कि यह शीघ्र ही संभव होगा।

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