भारत ने रूस से बढ़ाया कच्चे तेल का आयात

पश्चिम एशिया में तनाव के चलते भारत ने अपनाई खास रणनीति

भारत ने रूस से बढ़ाया कच्चे तेल का आयात

जून में भारत ने हर रोज खरीदा 20-22 लाख बैरल

कुल तेल आयात का 40-44% तेल रूस से आता है

नई दिल्ली, 22 जून (एजेंसियां)। ईरान इजराइल युद्ध में अमेरिका के शामिल होने के बाद पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ना तय है और इसका सीधा असर तेल की कीमतों पर होगा। तेल की कीमतें बढ़ने की आशंका है। भारत ने हालात को भांपते हुए जून माह में रूस से तेल आयात बढ़ा दिया है। भारत ने जून महीने में रूस से इतना तेल खरीदा हैजो पश्चिम एशिया और खाड़ी देशों से खरीदे गए कुल कच्चे तेल से भी ज्यादा है।

वैश्विक व्यापार विश्लेषक फर्म कैपलर के आंकड़ों के मुताबिक भारत ने जून महीने में रूस से 20-22 लाख बैरल प्रति दिन के हिसाब से कच्चे तेल की खरीद की है। यह बीते दो साल में सबसे ज्यादा है। मई माह में भारत ने रूस से तकरीबन 11 लाख बैरल प्रति दिन के हिसाब से कच्चा तेल खरीदा था। भारत पहले रूस से अपनी जरूरत का महज एक प्रतिशत तेल ही आयात करता थालेकिन अब इसमें भारी बढ़ोतरी हुई है और अब भारत अपने कुल तेल आयात का 40-44 प्रतिशत तेल रूस से मंगाता है।

साफ है कि जून में पश्चिम एशिया में बढ़े तनाव के चलते भारत ने अपनी आयात रणनीति में बदलाव किया है। भारत ने जून माह में इराकसऊदी अरबसंयुक्त अरब अमीरात और कुवैत से कुल करीब 20 लाख बैरल प्रतिदिन तेल की खरीद की है। हालांकि तनाव बढ़ने से तेल के दाम बढ़ सकते हैं। ईरान ने धमकी दी थी कि अगर अमेरिका इजराइल के साथ उसके युद्ध में शामिल हुआ तो वे होर्मुज जलडमरूमध्य में व्यापारिक जहाजों पर हमले करेंगे। भारत का 40 प्रतिशत तेल अभी भी होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर भारत पहुंचता है। ईरान के समर्थन में हूती विद्रोही भी लाल सागर में व्यापारिक जहाजों को निशाना बना सकते हैं। जिससे खाड़ी के देशों से तेल आयात को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। यही वजह है कि भारत ने खाड़ी देशों पर अपनी तेल निर्भरता को घटाया है।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक है और पूर्व में भारत अपने तेल आयात का अधिकतर हिस्सा खाड़ी के देशों से आयात करता थालेकिन रूस के यूक्रेन पर हमले के बादजब रूस ने भारत को तेल खरीद पर भारी रियायत दी तो भारत ने रूस से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया। अब भारत अपने तेल आयात के लिए खाड़ी देशों पर ही निर्भर नहीं हैबल्कि अब हम रूस के साथ ही अमेरिकालैटिन अमेरिकी देशों से भी कच्चे तेल की खरीद कर रहे हैं। हालांकि अमेरिका से हमें तेल आयात महंगा पड़ता है। कैपलर की रिपोर्ट के अनुसारभारत ने जून में अमेरिका से हर हिन 4.39 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद कीजबकि पूर्व में यह आंकड़ा 2.80 लाख बैरल प्रतिदिन था। भारत करीब 51 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद करता हैजिससे भारत की रिफाइनरियों में पेट्रोल और डीजल अलग किया जाता है।

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