योगी सरकार ने बनाए 16 हजार से अधिक अमृत सरोवर
गोरखपुर, महराजगंज, प्रयागराज, आजमगढ़ एवं बाराबंकी अव्वल
जल संरक्षण को जन आंदोलन बना रहा जल शक्ति अभियान
लखनऊ, 22 जून (एजेंसियां)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सरकार ने जल संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। जल संकट से निपटने और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से राज्य में 16,000 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण किया गया है। यह कार्य मिशन अमृत सरोवर योजना के तहत किया जा रहा है। इससे न केवल पानी की उपलब्धता को बढ़ाया जा रहा है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती दी जा रही है।
इस अभियान में गोरखपुर जिला सबसे आगे रहा, जहां 735 अमृत सरोवरों का निर्माण किया गया। महराजगंज में 600 से अधिक तथा प्रयागराज में 523 अमृत सरोवर बनाकर जल संरक्षण को बढ़ावा दिया गया। आजमगढ़ और बाराबंकी भी इस पहल में टॉप फाइव जिलों में शामिल रहे। सरकार ने जल निकायों के विकास में समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित की। गांववासियों, पंचायतों और स्थानीय संगठनों की मदद से यह पहल जमीनी स्तर पर उतरी। इससे जल संरक्षण का यह अभियान एक सामाजिक आंदोलन का रूप ले सका।
जल संरक्षण की इस योजना ने ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध कराया। तालाबों की खुदाई, सौंदर्यीकरण और रखरखाव में महिलाओं ने सक्रिय भूमिका निभाई। यह अभियान केवल जल प्रबंधन नहीं बल्कि आजीविका का साधन भी बना। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की स्पष्ट नीति और दृढ़ संकल्प के चलते जल संरक्षण को लेकर प्रदेश ने एक नई पहचान बनाई है। टिकाऊ जल संसाधन विकसित करने के लिए व्यापक नीति बनाई गई, जिसका असर अब दिखने लगा है।
जल संरक्षण को जन आंदोलन बनाने की दिशा में उत्तर प्रदेश ने जल शक्ति अभियान शुरू कर रखा है। कैच द रेन 2025 के तहत यूपी ने ऐतिहासिक उपलब्धियां दर्ज की हैं। 22 मार्च से 13 जून 2025 के बीच कुल 1,66,000 से अधिक जल-संरक्षण कार्य या तो पूर्ण हो चुके हैं या प्रगति पर हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यह अभियान सिर्फ एक सरकारी पहल नहीं, बल्कि जन-भागीदारी से जन-जागरूकता का पर्याय बन गया है। जल संचयन, वर्षा जल संचयन, पारंपरिक जल स्रोतों के पुनरुद्धार और वनरोपण जैसे अनेक कार्यों को जिलास्तर पर तीव्रता से क्रियान्वित किया जा रहा है।
17,557 कार्य पूर्ण और 16,561 कार्य प्रगति पर हैं जो जल संचयन और रेन वाटर हार्वेस्टिंग से सीधे जुड़ते हैं। इसी तरह, मनरेगा के तहत पारंपरिक जल स्रोतों के 5,714 कार्य पूर्ण और 5,093 कार्य प्रगति पर हैं। सोकपिट व स्टेबलाइजेशन पॉन्ड के 3,825 कार्य पूर्ण और 512 कार्य प्रगति पर हैं। वाटरशेड डेवलपमेंट के 66,135 कार्य पूर्ण और 52,097 कार्य प्रगति पर हैं। इंटेंसिव फॉरेस्टेशन के 20,922 कार्य पूर्ण और 23,089 कार्य प्रगति पर हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) द्वारा 228 जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम पूर्ण किए जा चुके हैं। इन कार्यक्रमों में किसानों, छात्रों, ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को जल प्रबंधन की तकनीकों से अवगत कराया गया। कार्यों को एग्रीकल्चर व हॉर्टिकल्चर विभागों द्वारा अंजाम दिया गया।।
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