ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर बरसाए बम
अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने ईरान पर किया जोरदार हमला
30,000 पाउंड के 6 बंकर-बस्टर बम लेकर 37 घंटे उड़े लड़ाकू विमान
ईरान के फोर्डो, नतांज, इस्फाहान परमाणु केंद्रों को नष्ट करने का दावा
सैटेलाइट तस्वीरों से खुलासा: फोर्डो परमाणु केंद्र को हुआ भारी नुकसान
अमेरिका ईरान ने एक-दूसरे को दी धमकी, हमले तेज होने की आशंका
वाशिंगटन/तेहरान/तेल अवीव, 22 जून (एजेंसियां)। इजराइल और ईरान के युद्ध में अमेरिकी भी सीधे तौर पर शामिल हो गया है। अमेरिका के लड़ाकू विमानों ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु केंद्रों फोर्डो, नतांज और इस्फाहान पर बंकर बस्टर बम बरसाए। अमेरिका ने दावा किया है कि ईरान के ये तीनों परमाणु केंद्र ध्वस्त कर दिए गए हैं। इनमें ईरान का सबसे महत्वपूर्ण परमाणु केंद्र फोर्डो था। इन परमाणु केंद्रों पर अमेरिका ने 30,000 पाउंड वजनी छह बंकर बस्टर बमों से हमला बोला। सैटेलाइट तस्वीरों से भी पता चला है कि फोर्डो परमाणु केंद्र को भारी नुकसान पहुंचा है। ईरान का फोर्डो परमाणु केंद्र भूमिगत था और एक पहाड़ के कई मीटर नीचे थे। अमेरिका ने अपने बी-2 स्टील्थ बॉम्बर से यहां हमला किया। यह हमला बंकर बस्टर बमों से किया गया, जिससे परमाणु केंद्र को भारी नुकसान होने की आशंका जताई गई। अब सैटेलाइट तस्वीरों से भी इसकी पुष्टि हो गई है।
सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि फोर्डो परमाणु केंद्र जिस पहाड़ में मौजूद था, उसे भी अमेरिकी हमले में नुकसान हुआ है। हमले में परमाणु केंद्र के एंट्री पॉइंट तबाह हो गए हैं, जिससे ईरान को परमाणु केंद्र तक पहुंचने और नुकसान का आकलन करने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी। फोर्डो परमाणु केंद्र एक पहाड़ को काटकर उसके नीचे बनाया गया था। यह परिसर 80-90 मीटर था। इस केंद्र में यूरेनियम संवर्धन के लिए 2700 सेंट्रीफ्यूज होने का दावा किया जाता है, जो 60 प्रतिशत तक यूरेनियम संवर्धन में सक्षम थे। परमाणु बम बनाने के लिए 90 प्रतिशत तक यूरेनियम संवर्धन की जरूरत होती है। यहां संवर्धित यूरेनियम से ईरान महज तीन हफ्तों में नौ परमाणु हथियार बनाने में सक्षम था।
ईरान के परमाणु केंद्र पर हमले के बाद अपने बयान में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ईरान के पास अब भी समय है कि वह शांति के रास्ते पर लौटे। उसे यह जंग खत्म करनी होगी। अगर ईरान ने अब भी हमला किया तो हम भी हमला करेंगे। शांति नहीं हुई तो विनाश होगा। अभी सभी लक्ष्यों पर हमले नहीं किए गए हैं। ट्रंप ने कहा, यह जारी नहीं रह सकता। या तो शांति होगी या ईरान के लिए आफत होगी, जो पिछले आठ दिनों में हमारी ओर से देखी गई घटनाओं से कहीं अधिक गंभीर है। अगर शांति जल्दी नहीं आती है तो हम सटीकता, गति और कौशल के साथ उन अन्य लक्ष्यों पर हमला करेंगे। अमेरिकी बी-2 स्पिरिट बमवर्षक विमानों ने मिसौरी से लगभग 37 घंटे तक बिना रुके उड़ान भरी और रविवार की सुबह ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया। हमले से पहले स्टील्थ बमवर्षक विमानों में बीच हवा में ईंधन भरा गया। इसके बाद ये विमान तीन प्रमुख ईरानी परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फाहान पर कहर बनकर टूटे। हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि फोर्डो खत्म हो गया है। उन्होंने भारी किलेबंद भूमिगत सुविधा का जिक्र किया, जिसे लंबे समय से तेहरान का सबसे सुरक्षित परमाणु स्थल माना जाता है। उन्होंने मिशन की अद्भुत सफलता को सराहा और ईरान को चेतावनी दी कि उन्हें तुरंत शांति स्थापित करनी चाहिए अन्यथा उन्हें फिर से हमला झेलना पड़ेगा।
बंकर-बस्टर बमों और टॉमहॉक मिसाइलों के संयोजन से किए गए हमले वर्षों में ईरान के खिलाफ सबसे प्रत्यक्ष अमेरिकी सैन्य कार्रवाई थी। ट्रंप ने कहा कि फोर्डो पर छह बंकर-बस्टर बम गिराए गए और लगभग 30 टॉमहॉक मिसाइलों ने अन्य परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया। पेंटागन ने भी पुष्टि की है कि हमले में बी-2 बमवर्षक विमानों का इस्तेमाल किया गया था, जो इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और एक सप्ताह तक जारी संघर्ष के बाद हुआ है। शनिवार को अमेरिका ने प्रशांत द्वीप गुआम में बी-2 बमवर्षक विमानों को फिर से तैनात किया था। ये विमान जीबीयू-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनिट्रेटर (बंकर बस्टर बम) ले जाने में सक्षम हैं, जिसे फोर्डो जैसे गहरे दबे हुए लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है। हाल के दिनों में ईरानी परमाणु सुविधाओं पर इजराइली अभियानों की एक सीरीज के बाद अमेरिकी हमला हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि इजराइल के पास फोर्डो की सुरक्षा को भेदने की क्षमता नहीं थी।
बी-2 स्टील्थ बॉम्बर अमेरिकी वायुसेना में अपनी तरह का खास हथियार है, जो तीन दशकों से अमेरिकी स्टील्थ तकनीक की रीढ़ रहा है। 1989 में अपनी पहली उड़ान के बाद से यह विमान दुनिया के सबसे ज्यादा समय तक संचालित होने वाले विमानों में से एक है। बी-2 स्टील्थ बॉम्बर में दुश्मन के एयर डिफेंस को भेदने की अद्भुत क्षमता है। इसे नॉर्थरोप ग्रूमन नामक कंपनी ने बनाया है। बी-2 स्टील्थ बॉम्बर विमान की खासियत ये है कि इसे आसानी से ट्रैक नहीं किया जा सकता। साथ ही यह बेहद ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है, जिससे एयर डिफेंस के लिए भी इसे भेद पाना बेहद मुश्किल है। बी-2 स्टील्थ बॉम्बर पूरी सटीकता से दुश्मन ठिकानों पर हमला कर सकता है। इस अत्याधुनिक इंजीनियरिंग तकनीक से डिजाइन किया गया है, जिससे पारंपरिक रडार सिस्टम इसे नहीं पकड़ सकता। अपनी खास बनावट और फ्लाइंग विंग डिजाइन और बेहद कम इंफ्रारेड के चलते यह सिर्फ 0.001 वर्ग मीटर का रडार क्रॉस सेक्शन बनाता है, जो एक छोटी चिड़िया के बराबर होता है। यही वजह है कि जब दुश्मन के इलाके में घुसकर उसके ठिकानों पर पूरी सटीकता से हमला करना हो तो उस स्थिति में बी-2 स्टील्थ बॉम्बर का कोई मुकाबला नहीं है। यह 6 हजार नॉटिकल मील की गति से उड़ान भर सकता है। यह भारी भरकम हथियारों को ले जाने में सक्षम है। बंकर बस्टर बेहद ताकतवर विस्फोटक हैं, जो जमीन के काफी अंदर तक मार कर सकते हैं। आम तौर पर इन्हें बंकरों को तबाह करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जीपीएस गाइडेड इन बमों को बेहद सुरक्षित माने जाने वाले ठिकानों को निशाना बनाया जाता है।
ईरान पर हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, हमारा लक्ष्य दुनिया के सबसे बड़ी आतंक प्रायोजित देश ईरान के परमाणु खतरे को कम करना था। ट्रंप ने हमले के बाद देश को संबोधित किया और इसे शानदार सैन्य सफलता करार दिया। यह कदम इजराइल और ईरान के बीच चल रहे तनाव में अमेरिका की सीधी सैन्य भागीदारी को दर्शाता है। राष्ट्र के नाम संबोधन में ट्रंप ने कहा, हमारा लक्ष्य दुनिया के सबसे बड़े आतंक प्रायोजक देश ईरान के परमाणु खतरे को समाप्त करना था। उन्होंने दावा किया कि तीनों परमाणु ठिकानों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है। ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी कि अगर वह जवाबी कार्रवाई करता है, तो अमेरिका और अधिक घातक हमले करेगा। डोनाल्ड ट्रंप कहते हैं कि ईरान पिछले 40 साल से अमेरिका के खिलाफ है और कई अमेरिकी इस नफरत की भेंट चढ़ चुके हैं। अब यह और नहीं होगा। ईरान की वजह से हजारों अमेरिकियों और इजराइली नागरिकों की जान गई है। अपने संबोधन के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की तारीफ की और कहा कि दोनों देशों ने एक अभूतपूर्व टीम की तरह काम किया। दरअसल, इजराइल का तो शुरू से ही ईरान के परमाणु ठिकाने निशाना थे। वो इन तीनो ही परमाणु ठिकानों पर बमबारी कर चुका है। लेकिन, फोर्डो जैसे गहरे बंकरों को नष्ट करने के लिए अमेरिका की बंकर बस्टर बम जीबीयू-57 की जरूरत थी, जो केवल अमेरिकी बी-2 स्टील्थ बॉम्बर ले जा सकता है। फिलहाल, नेतन्याहू ने इन हमलों को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह मध्य पूर्व की शांति के लिए एक बड़ा कदम है।
अमेरिकी हमले के बाद ईरान ने भी त्यौरियां चढ़ा ली हैं। हालांकि ईरान की परमाणु एजेंसी ने आधिकारिक पुष्टि की है कि फोर्डो, नटांज, और इस्फहान पर हमले हुए। ईरान ने धमकी दी है कि अब वह अपनी परमाणु गतिविधियों को और तेज करेगा। अमेरिकी हमलों के बाद ईरान की सरकारी टीवी ने दावा किया कि अमेरिकी हमलों से कुछ वक्त पहले ही ईरान ने तीनों ही परमाणु ठिकानों को खाली करा लिया था। ईरान ने कहा कि इस्लामिक रिपब्लिक के परमाणु उद्योग को बमबारी करके नष्ट नहीं किया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र ने अमेरिकी हमलों की कड़ी निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिया है। ईरान में मानवाधिकारों पर विशेष प्रतिवेदक सहित विशेष प्रतिवेदकों के समूह ने इजराइल पर ईरानी मिसाइल हमलों पर भी आपत्ति जताई है। संयुक्त राष्ट्र ने एक बयान में कहा कि ये (इजराइली) हमले अंतरराष्ट्रीय कानून के मौलिक सिद्धांतों का घोर उल्लंघन दर्शाते हैं।
इसके विपरीत अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के युद्ध में सीधे उतरने के फैसले की सराहना की है। ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ हो रही है। अमेरिकी सीनेटरों ने ट्रंप के फैसले को सही और साहसिक करार दिया है। हमले के बाद साउथ कैरोलिना के सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने कहा, बहुत बढ़िया, राष्ट्रपति ट्रंप। टेक्सास के सीनेटर जॉन कॉर्निन ने कहा, साहसिक और सही निर्णय। अलाबामा के सीनेटर केटी ब्रिट ने हमले को मजबूत और सर्जिकल करार दिया। इसके अलावा ओक्लाहोमा के सीनेटर मार्कवेन मुलिन ने कहा, अमेरिका पहले, हमेशा प्रथम। सीनेट सशस्त्र सेवा समिति के अध्यक्ष मिसिसिपी के रोजर विकर ने कहा कि ट्रंप ने ईरानी शासन की ओर से पैदा किए जा रहे खतरे को समाप्त करने के लिए जानबूझकर और सही निर्णय लिया है। विकर ने कहा कि अब हमारे सामने अपने नागरिकों और सहयोगियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कई विकल्प हैं।
सीनेट के नेता जॉन थून ने कहा, हम यह तय करने के लिए कार्रवाई कर रहे हैं कि परमाणु हथियार ईरान की पहुंच से बाहर रहें। मैं राष्ट्रपति ट्रंप के साथ खड़ा हूं और खतरे में पड़े अमेरिकी सैनिकों और कर्मियों के लिए प्रार्थना करता हूं। सदन के अध्यक्ष माइक जॉनसन को शनिवार को हमलों से पहले ही जानकारी दे दी गई थी। जॉनसन ने कहा कि सैन्य अभियान हमारे विरोधियों और सहयोगियों को स्पष्ट रूप से याद दिलाएगा कि राष्ट्रपति ट्रंप जो कहते हैं, वही करते हैं। हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के अध्यक्ष रिक क्रॉफोर्ड ने कहा कि मैं व्हाइट हाउस के संपर्क में था और उन अमेरिकी सेवा सदस्यों का आभारी हूं जिन्होंने इन सटीक और सफल हमलों को अंजाम दिया।
डेमोक्रेटिक सहयोगियों से अलग हटकर पेंसिल्वेनिया के सीनेटर जॉन फेटरमैन ने भी ईरान पर हमलों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, यह अमेरिकी राष्ट्रपति का सही कदम था। ईरान दुनिया में आतंकवाद का अग्रणी प्रायोजक है और उसके पास परमाणु क्षमता नहीं हो सकती। हालांकि कुछ सांसदों ने ट्रंप के फैसले का विरोध भी किया। केंटकी के प्रतिनिधि थॉमस मैसी ने ट्रंप के हमलों की घोषणा के बाद कहा कि यह सांविधानिक नहीं है। कई डेमोक्रेट्स का मानना है कि कांग्रेस को इस मामले में अपनी बात कहने का अधिकार होना चाहिए।
ईरान के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी से कहा, शांति के लिए पहल करें
नई दिल्ली, 22 जून (एजेंसियां)। इजराइल-अमेरिका-ईरान युद्ध की ताजा स्थितियों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन से बातचीत की। भारत ने पश्चिम एशिया में बढ़े तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की है। दोनों नेताओं ने पश्चिम एशियाई क्षेत्र में बढ़ते तनाव और हालिया घटनाक्रमों पर गंभीर चर्चा की। ईरान के राष्ट्रपति ने पश्चिम एशिया में शांति स्थापना के लिए पहल करने की अपील की।
इस बातचीत के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हमने वर्तमान स्थिति पर विस्तार से चर्चा की और हालिया तनावों पर गहरी चिंता साझा की। तनाव को शीघ्र कम करने, संवाद और कूटनीति को आगे बढ़ाने का आह्वान दोहराया, ताकि क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता शीघ्र बहाल हो सके। बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और आपसी सहयोग को प्राथमिकता देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से यह मानता रहा है कि संवाद और कूटनीति ही किसी भी संकट का समाधान हैं।
ईरानी परमाणु केंद्रों पर अमेरिकी हमले के मद्देनजर ईरानी राष्ट्रपति पेजेशकियन ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया था। राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। यह टेलीफोनिक वार्ता 45 मिनट तक चली। ईरान के राष्ट्रपति ने भारत को क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने वाला मित्र और साझेदार बताया और भारत के रुख और तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति के आह्वान के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की बहाली में भारत की आवाज और भूमिका महत्वपूर्ण थी।
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने अमेरिका पर ईरान के खिलाफ हमलों का मुख्य जिम्मेदार होने का आरोप लगाया है। सरकारी समाचार एजेंसी इरना के अनुसार, पेजेशकियन ने कहा कि अमेरिका हमेशा हमले के पीछे रहा, लेकिन ईरान की सेनाओं के आगे और इजराइल कमजोर पड़ने पर अमेरिका का चेहरा बेनकाब हो गया।
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