एक तो बेटा... ऊपर से मां..!
राहुल गांधी का बयान विवादास्पद तो सोनिया गांधी का लेख
शुभ-लाभ मीमांसा
हिंदी में पुरानी कहावत है... एक तो करेला, ऊपर से नीम चढ़ा। यही कहावत राहुल गांधी और उनकी माता जी सोनिया गांधी पर लागू होती है। राहुल गांधी अपनी नाबालिग बेवकूफाना बोलियों के कारण हमेशा विवाद में रहते हैं और कांग्रेस पार्टी को हमेशा झेंपने के लिए विवश करते रहते हैं। अब उनकी माता सोनिया गांधी का एक लेख विवाद सृजित कर रहा है। हमास के आतंकियों ने इजराइल में घुस कर जो अमानवीय और घृणित हरकतें कीं, उसकी खामियाजा आज पूरा पश्चिम एशिया भुगत रहा है। हमास के घिनौने कृत्य पर सोनिया, राहुल, प्रियंका सब चुप्पी शातिराना चुप्पी साधे रहे। ऊपर से फिलस्तीन प्रेम का दिखावा करने वाला झोला टांगे प्रियंका इजराइल के घाव पर नमक छिड़कने का सार्वजनिक कृत्य करती रहीं। अब सोनिया ने एक अंग्रेजी अखबार में लेख लिख कर ईरान के लिए अपना पूरा ममत्व उड़ेल दिया है। उनका यह ममत्व इजराइली बच्चों और महिलाओं के लिए नहीं था जो हमास आतंकियों के हाथों मारे गए, अगवा हुए या बलत्कृत हुए।
सोनिया गांधी की इस छद्म-मानवीयता पर इजराइल ने बड़ा कटाक्ष किया है। इजराइल का कहना है कि सोनिया गांधी को यह पता ही नहीं है कि देश-दुनिया में क्या हो रहा है। हमास ने इजराइल पर क्या किया और इजराइल के निर्दोष लोगों ने किस तरह की यंत्रणाएं झेलीं। इजराइल के राजदूत रुवेन अजार ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के ईरान के पक्ष में लिखे लेख पर सख्त एतराज जताया है। उन्होंने कहा है कि इजराइल ने हमेशा भारत का साथ दिया है और भारत के विपक्षी नेताओं में इतनी भी परिपक्वता नहीं कि वह कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की संवेदनशीलता को समझ सके।
भारत में इजराइल के राजदूत रुवेन अजार ने कहा है कि सोनिया गांधी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन उन जैसे नेताओं को क्षेत्रीय (मध्यपूर्व) हालात की जानकारी होनी चाहिए। इस इलाके में तीन दशकों से चल रही ईरानी आक्रामकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, हमें यह देखकर निराशा हुई कि सोनिया गांधी ने 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हुए हमास के हमलों की निंदा नहीं की, लेकिन ईरान पर हमले के बाद बिल्कुल बौखला गईं। इजराइल ने कहा, ईरान द्वारा पिछले तीन दशकों से की जा रही आक्रामकता को नजरअंदाज करना पूरी तरह अस्वीकार्य है।
सोनिया गांधी ने एक अंग्रेजी अखबार में लिखे लेख में इजराइल-ईरान युद्ध में ईरान का पक्ष लिया और मोदी सरकार को जिम्मेदार होने की सलाह दी (यह सलाह वे अपने बेटे को नहीं देतीं)। सोनिया ने अपने लेख में मोदी को यह भी नसीहत दी कि वे इजराइल के खिलाफ बुलंद आवाज में बोलने का साहस करें। ईरान मसले पर सोनिया ने भारत पर चुप रहने का आरोप लगाया और कहा कि ईरान भारत का मित्र रहा है जबकि इजराइल के साथ रणनीतिक संबंध हालिया हैं।
सोनिया ने मोदी सरकार पर स्वतंत्र फिलिस्तीन की कल्पना करने वाले दो राष्ट्र सिद्धांत को समर्थन करने वाली विदेश नीति को त्यागने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि इजराइल ने ईरान की संप्रभुत्ता का उल्लंघन किया है और एकतरफा कार्रवाई कर रहा है। इजराइल के पीएम नेतन्याहू पर उन्होंने लगातार शांति भंग करने और आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया। ईरान के पक्ष में बोलते हुए सोनिया ने कहा कि 1994 में ईरान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में कश्मीर मुद्दे पर प्रस्ताव रोकने में मदद की थी।
जबकि असलियत यह है कि ईरान ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के रुख पर हमेशा गोलमोल रवैया अपनाया है। कई बार उसने सोशल मीडिया के माध्यम से गलत बयानबाजी की है। उसने कश्मीर में आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन किया है। इसके अलावा कई बार उसने भारत के मुस्लिम समुदाय का जिक्र करते हुए मोदी सरकार को कटघरे में खड़े किया। ईरान भारत का प्रतिबद्ध दोस्त कभी नहीं रहा। जबकि इजराइल लगातार पाकिस्तान के खिलाफ भारत का समर्थन देता आ रहा है चाहे वह सीमा पार आतंकवाद का मसला हो या पाकिस्तान में घुसकर बदला लेने की भारतीय कार्रवाई हो।
भारत कभी चुप नहीं रहा। शांति के पक्ष में भारत सरकार हमेशा मुखर रही है। चाहे वह यूक्रेन-रूस जंग हो या इजराइल-ईरान युद्ध। भारत ने प्रत्येक फोरम पर शांति की बात की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइप्रस दौरे के दौरान भी दोहराया कि इस शताब्दी में युद्ध से समस्या का हल नहीं निकाला जा सकता। हर समस्या का समाधान शांति से ही हो सकता है।
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